Maharashtra New CM: एक हफ्ते से भी ज्यादा समय के इंतजार के बाद आखिरकार बुधवार (4 दिसंबर 2024) को महाराष्ट्र के नए सीएम को लेकर बना सस्पेंस खत्म हो गया. मुख्यमंत्री को लेकर सभी अटकलें सही साबित हुईं और एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाया.
इस घोषणा के बाद शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां शुरू हो गईं हैं, लेकिन इस ऐलान के बाद एक सवाल भी उठ रहा है. इस पर राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा हो रही है. सवाल ये है कि आखिर बीजेपी ने महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसा फॉर्मूला क्यों नहीं अपनाया. यहां पार्टी ने किसी नए चेहरे को मौका क्यों नहीं दिया. आइए आपको कुछ पॉइंट में बताते हैं इस सवाल का जवाब.
इन वजहों से यहां नहीं लागू हुआ नया फॉर्मूला
- महाराष्ट्र की राजनीतिक की बात करें तो देवेंद्र फडणवीस की गिनती अनुभवी और साफ सुथरे नेताओं में होती है. वह 6 बार से विधायक चुनाव जीत रहे हैं. वह संगठन से लेकर सरकार तक में काम कर चुके हैं. इनकी हर वर्ग और क्षेत्र में अच्छी पैठ मानी जाती है.
- फडणवीस शिंदे सरकार से पहले 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के सीएम रह चुके हैं. उन्होंने दूसरी बार अक्टूबर 2019 में सीएम पद की शपथ ली थी, लेकिन शिवसेना के समर्थन वापस लेने के कारण 3 दिन बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. एकनाथ शिंदे जब कई विधायकों को तोड़कर अपने साथ लाए तो भाजपा ने उनके साथ मिलकर सरकार बनाई और इसमें फडणवीस डिप्टी सीएम बनाए गए. बार बार बड़ी जिम्मेदारी मिलना बताता है कि फडणवीस की लोकप्रियता काफी है.
- उद्धव ठाकरे के सीएम बन जाने के बाद बीजेपी जब विपक्ष में आई तब भी फडणवीस ने अच्छा काम किया. फडणवीस विपक्ष के नेता थे. तब उन्होंने कोरोनाकाल में अव्यवस्थाओं से लेकर भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को लेकर उद्धव सरकार पर काफी हमला किया था. उनके हमलों की वजह से उद्धव सरकार कई बार बैकफुट पर दिखी. यहां से भी फडणवीस का कद बढ़ा.
- 2022 में जब शिवसेना टूटी और शिंदे कुछ विधायक को लेकर बीजेपी के पास आए तब भाजपा के पास ज्यादा विधायक थे, लेकिन यहां फडणवीस ने पूरा फोकस सरकार बनाने पर किया और सीएम की कुर्सी खुशी-खुशी शिंदे को दे दी. वह डिप्टी सीएम बने रहे. उन्होंने पार्टी आलाकमान के फैसले का कभी विरोध नहीं किया. इससे भी उनकी छवि अच्छे नेता की बनी.
- विधानसभा चुनाव 2024 में भी फडणवीस ने महायुति के सामने आई तमाम चुनौतियों का डटकर सामना किया और अच्छा समाधान निकाला. बात चाहे शिवसेना और एनसपी के साथ सीट शेयरिंग की हो या फिर स्थानीय मुद्दों को उठाने की. हर जगह देवेंद्र फडणवीस ऑलराउंडर बनकर उभरे.
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