(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maharashtra Political Crisis: अजित पवार की बगावत के बाद क्या है महाराष्ट्र का नंबर गेम? बीजेपी के दोनों हाथ में लड्डू
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में अजित पवार की बगावत के बाद बीजेपी और ज्यादा मजबूत नजर आ रही है. नंबर गेम के हिसाब से हर सूरत में बीजेपी के लिए फायदे का सौदा है.
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया तूफान खड़ा हो गया है, शिवसेना के एकनाथ शिंदे के बाद एनसीपी के अजित पवार ने पार्टी को दो हिस्सों में तोड़ दिया और खुद डिप्टी सीएम की कुर्सी संभाल ली. कहा जा रहा है कि ये खेल कुछ ऐसे खेला गया कि राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी शरद पवार को इस बात की भनक तक नहीं लगी. कुल मिलाकर शिवसेना के बाद एनसीपी में टूट का सिर्फ एक ही पार्टी को बड़ा फायदा मिला है और वो है बीजेपी... आने वाले लोकसभा और उसके बाद विधानसभा चुनावों में बीजेपी के लिए ये फायदे का सौदा माना जा रहा है. आइए जानते हैं कि अजित पवार की बगावत के बाद महाराष्ट्र का नंबर गेम कितना बदल गया है.
बीजेपी को मिली मजबूती
तमाम राज्यों की तरह महाराष्ट्र में भी बीजेपी ने क्षेत्रीय दलों के सहारे सत्ता तक पहुंचने का काम किया. फिलहाल हालात ये हैं कि बीजेपी सबसे मजबूत स्थिति में नजर आ रही है और बाकी तमाम दल बुरी तरह से बिखरे नजर आ रहे हैं. खास बात ये है कि अगर शिंदे गुट पर अयोग्यता वाली तलवार लटकती है और सरकार पर कोई खतरा आता है तो अब अजित पवार के सहारे बीजेपी अपनी सरकार को बनाए रख सकती है.
ये है बीजेपी का नंबर गेम
नंबर गेम की बात करें तो बीजेपी के पास निर्दलीय और छोटे दलों को मिलाकर महाराष्ट्र में कुल 126 (अपने 105) विधायक हैं. जिनमें शिंदे कैंप के 40 विधायकों को जोड़ दें तो आंकड़ा 166 का हो जाता है. वहीं अब अजित पवार के साथ 30 विधायक भी इसी गठबंधन में जुड़ गए हैं. ऐसे में ये आंकड़ा 196 तक पहुंच जाता है. अब अगर शिंदे गुट को हटा भी दें तो बीजेपी अजित पवार और उनके समर्थक विधायकों के साथ 156 (126+30) के आंकड़े पर रहेगी. यानी बहुमत की संख्या से 11 विधायक ज्यादा होंगे. ऐसे में बीजेपी के लिए अजित पवार की बगावत सोने पर सुहागा जैसी है.
बाकी दलों के पास कितने विधायक
अब उद्धव गुट वाली शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के पास कितना संख्या बल है, इसे भी आपको बताते हैं. कुल 288 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास कुल 44 विधायक हैं. वहीं शिवसेना के 56 विधायकों में से 40 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ चले गए, तो शिवसेना के कुल 16 विधायक ही बचे हैं. अब एनसीपी के कुल 53 विधायकों में से 30 विधायक पाला बदल चुके हैं. ऐसे में एनसीपी का आंकड़ा 23 तक सिमट गया है. बताया जा रहा है कि अजित पवार ने 40 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा किया है, ऐसे में एनसीपी का ये संख्या बल और कम हो सकता है. मौजूदा स्थिति में तीनों दलों (शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी) के नंबर जोड़ दिए जाएं तो अब महज 83 विधायक ही एमवीए गठबंधन में नजर आते हैं.
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