12 दिन का इंतजार, NDA का शक्ति प्रदर्शन, 15 मिनट के कार्यक्रम में सिर्फ 3 शपथ, क्या महायुति में सब ठीक नहीं?
Maharashtra Oath Ceremony: देवेंद्र फडणवीस ने सीएम, अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। केवल तीन शपथ और 15 मिनट के समारोह से महायुति में अंदरूनी तनाव और असहमति के संकेत मिल रहे हैं.
महाराष्ट्र में 12 दिन के लंबे इंतजार के बाद देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. इस बार राज्य सरकार में दो डिप्टी सीएम होंगे- अजित पवार और एकनाथ शिंदे. शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी के वरिष्ठ नेता शामिल हुए. हालांकि, इस शपथ ग्रहण समारोह में कई बातें ऐसी हैं, जो सवाल उठाती हैं कि महायुति गठबंधन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है.
महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. बीजेपी को 132 सीटें मिली हैं. इसके बाद एकनाथ शिंदे का सीएम बनने का रास्ता भी जटिल होता चला गया और आखिरकार उन्हें डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ा. हालांकि ये पद स्वीकार करने के लिए बीजेपी ने उन्हें काफी मनाया है. लेकिन महाराष्ट्र की जनता को अपने नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान और शपथ के लिए 12 दिनों का लंबा इंतजार करना पड़ा
चुनाव के बाद एकनाथ शिंदे की सियासी क्रोनोलॉजी
एकनाथ शिंदे चुनावी नतीजों के बाद बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलने के बावजूद सीएम नहीं बन पाए थे. फिर उन्हें डिप्टी सीएम बनने के लिए बीजेपी की तरफ से कई बार मनाया गया. यह स्थिति महायुति में अंदरूनी खींचतान का संकेत देती है. इससे पहले लगातार 12 दिनों तक महायुति की बैठकें चलती रही. फिर एकनाथ शिंदे ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने इशारों में कहा था कि बीजेपी का हर फैसला उन्हें मंजूर होगा.
इसके बाद स्वास्थ्य कारणों से सतारा में अपने पैतृक गांव चले गए. वहां से मुंबई लौटने के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और अपने सरकार की उपलब्धियां गिनाई. इस दौरान उन्होंने कहा कि वह आम आदमी हैं. उन्होंने CM का मतलब कॉमन मैन बताया था.
शपथ ग्रहण समारोह को लेकर उठते सवाल
महाराष्ट्र का शपथ ग्रहण कार्यक्रम केवल 15 मिनट का था और इसमें सिर्फ तीन लोग—देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने शपथ ली. इस तरह के सीमित शपथ ग्रहण से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या महायुति में सब ठीक नहीं है. इससे पहले शिंदे ने मुख्यमंत्री पद से वंचित होने की स्थिति में महाराष्ट्र सरकार में 12 महत्वपूर्ण मंत्रालयों की मांग की थी. पिछले सप्ताह अमित शाह के साथ देर रात हुई बैठक में शिंदे ने विधान परिषद के अध्यक्ष पद की भी मांग की थी. उन्होंने अमित शाह से यह भी आग्रह किया था कि वे सुनिश्चित करें कि मंत्री पद के आवंटन के दौरान शिवसेना को "उचित सम्मान" मिले.
गठबंधन की मजबूती या कमजोरी?
भले ही बीजेपी, एनसीपी (अजित पवार) और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) का यह गठबंधन राजनीतिक रूप से मजबूत नजर आता हो, लेकिन इसके भीतर की असहमति और खींचतान कहीं न कहीं गठबंधन की स्थिरता पर सवाल उठाती हैं. महाराष्ट्र में भाजपा की लीडरशिप में बदलाव और शिंदे को डिप्टी सीएम का पद मिलने के बाद महायुति के भीतर से उठ रही आवाज़ें यह साफ करती हैं कि शायद अंदरखाने मंत्रालय के बंटवारे को लेकर सब ठीक नहीं है.
महाराष्ट्र की राजनीति में अभी और क्या होने वाला है, यह कहना मुश्किल है. महायुति के भीतर अंदरूनी मतभेद, शपथ ग्रहण में भागीदारों की कमी, और शिंदे के डिप्टी सीएम बनने के बाद के घटनाक्रम राज्य की राजनीति में और उथल-पुथल का संकेत दे सकते हैं. ऐसे में आगामी दिन महायुति के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं.
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