Maharashtra: महाराष्ट्र के करंजी गांव में एक पुल के लिए तरस रहे ग्रामीण, अंतिम संस्कार के लिए भी घुटने तक पानी से होकर जाने की मजबूरी
Maharashtra News: करीब 5 हजार की आबादी वाले करंजी गांव (Karanji Village) में एक श्मशान घाट (Crematorium) बनाया गया था, लेकिन यहां तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है.
Maharashtra No Bridge in Village: महाराष्ट्र के करंजी गांव (Karanji Village) से एक दिल दहलाने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां पर लोगों को घुटने भर पानी से होते हुए शव को ले जाना पड़ा. इसकी वजह भी साफ है कि इस गांव में पुल (Bridge) नहीं है और श्मशान तक जाने का कोई रास्ता नहीं है. कांग्रेस के आजादी गौरव पदयात्रा की शुरुआत पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक विजय वडेट्टीवार (Vijay Wadettiwar) के जन्मस्थान करंजी गांव से हुई थी, लेकिन उसी गांव में श्मशान भूमी (Crematorium) तक जाने का रास्ता नहीं होने के कारण अंतिम संस्कार (Cremation) के लिए घुटने तक पानी में जाना पड़ा.
श्मशान भूमी के रास्ते में करंजी गांव में नाले पर कोई पुल नहीं है. इससे इस कच्ची सड़क पर बाढ़ का पानी फैल गया है और अंतिम संस्कार के लिए ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
अंतिम संस्कार के लिए जाने में घुटने तक पानी
आपको बता दें कि आजादी गौरव यात्रा में इस जिले के तीन कांग्रेस विधायक मौजूद थे, जिसमें एक विधायक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. करंजी गांव में श्मशान तक पहुंचने का रास्ता ठीक न होना बताता है कि ये ग्रामीण क्षेत्र अब भी कितना पीछे है. श्मशान तक पहुंचने के रास्ते में करंजी गांव में नाले पर कोई पुल नहीं है. इससे इस कच्ची सड़क पर बाढ़ का पानी फैल गया है. इस तरह जब गांव में ही रहने वाले रवि अतराम की मौत हो गई और लोगों को उनका दाह संस्कार करने के लिए घुटने भर पानी से गुजरना पड़ा.
महाराष्ट्र का करंजी गांव क्यों है पिछड़ा?
गोंडपिंपरी तालुका में करंजी गांव विजय वडेट्टीवार (Vijay Wadettiwar) का जन्मस्थान है, इसलिए उन्होंने इसी करंजी गांव से कांग्रेस की आजादी गौरव यात्रा की शुरुआत की थी. तीर्थयात्रा के दो दिन बाद इस गांव में यह चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है. पांच हजार की आबादी वाले करंजी गांव (Karanji Village) में एक श्मशान घाट (Crematorium) बनाया गया था. नाले पर पुल का निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. कई बार इस पुल की मांग की जा चुकी है. गांव वालों का कहना है कि जब ग्राम पंचायत ने भी पुल बनाने की मांग की तो वडेट्टीवार ने मंत्री रहते हुए इस पर ध्यान नहीं दिया, इसलिए यहां के लोगों को मौत के बाद भी दर्द सहना पड़ता है.
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