Maharashtra: महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) और दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) को बर्खास्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल हुई है. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि 2 दिन से अधिक न्यायिक हिरासत में रहने पर जज, IAS, IPS और दूसरे सरकारी नौकर अस्थायी रूप से पद से हटा दिए जाते हैं. लेकिन लंबे अरसे से बंद मंत्री अब तक पद पर बने हुए हैं. 


याचिका में बताया गया है कि नवाब मलिक 23 फरवरी को गिरफ्तार हुए थे और वह अब तक न्यायिक हिरासत में हैं. उनके ऊपर माफिया दाऊद इब्राहिम से संबंध रखने, बेनामी संपत्ति, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप हैं. दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन भी फ़र्ज़ी कंपनी चलाने, बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति जैसे गंभीर आरोप में हिरासत में हैं.


याचिकाकर्ता ने कहा है IPC की धारा 21 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 2 में दी गई परिभाषा के तहत मंत्री 'पब्लिक सर्वेंट' हैं. वह संविधान के शेड्यूल 3 के तहत लोगों की सेवा की शपथ भी लेते हैं. अपने पदक चलते वेतन और तमाम सुविधाओं के भी पात्र होते हैं. लेकिन उनके लिए नियम दूसरे सरकारी नौकरों के जैसे नियम लागू नहीं होते. सुप्रीम कोर्ट भी नरसिंह राव मामले पर 1998 में दिए फैसले में कह चुका है कि सांसद/विधायक लोकसेवक (पब्लिक सर्वेंट) हैं.


जेल में बंद मंत्री पद के कर्तव्य निभाने में असमर्थ होता है


जनहित के मसलों पर कई याचिकाएं दाखिल कर चुके बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा है जेल में बंद मंत्री अपने पद के कर्तव्य निभाने में असमर्थ होता है. वह विधानसभा की कार्यवाही में भी हिस्सा नहीं ले सकता है.  ऐसे में उसे पद पर बने रहने देना अनुचित है. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि कोर्ट भविष्य में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए व्यवस्था बनाने का भी प्रयास करे. लॉ कमीशन को इस विषय पर अध्ययन कर रिपोर्ट देने के लिए कहा जाए.


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