Supreme Court On Maharashtra Crisis: सुप्रीम कोर्ट ने आज एनथान शिंदे बनाम उद्धव ठाकरे मामले पर फ़ैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने बयानों के ज़रिए उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका दिया है. अदालत ने कहा, सबसे पहले तो स्‍पीकर, राज्‍यपाल ने दूसरे खेमे का व्हिप बनाकर गलत किया. वहीं, उद्धव ठाकरे की सरकार बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया है. अदालत ने ये भी कहा कि अयोग्यता पर स्पीकर फैसला ले.


आइये पढ़ते हैं महाराष्ट्र फैसले पर कोर्ट के बड़े बयान



  • CJI ने कहा, हमसे कहा गया है कि कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर को फैसला लेने से रोक कर सही नहीं किया. हम इससे सहमत नहीं हैं.

  • CJI बोले, नबाम रेबिया फैसले को बड़ी बेंच को भेज रहे हैं. यह तय करना होगा कि अगर अयोग्यता कार्रवाई का अनुमान लगाते हुए विधायक स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव पहले ही भेज दें तो क्या स्पीकर अयोग्यता पर फैसला नहीं ले सकेगा? 

  • सीजेआई ने कहा, विधायकों को जनता चुनती है. जिस पक्ष के पास बहुमत हो वो सरकार बनाता है. व्हिप की नियुक्ति पार्टी करती है या विधायक दल इस पर भी हमने अपना निष्कर्ष दिया है. व्हिप को पार्टी से अलग करना लोकतंत्र के हिसाब से सही नहीं होगा. पार्टी ही जनता से वोट मांगती है. सिर्फ विधायक तय नहीं कर सकते कि व्हिप कौन होगा.

  • उद्धव ठाकरे को पार्टी विधायकों की बैठक में नेता माना गया था. 3 जुलाई को स्पीकर ने शिवसेना के नए व्हिप को मान्यता दे दी. इस तरह दो नेता और 2 व्हिप हो गए.

  • स्पीकर को स्वतंत्र जांच कर फैसला लेना चाहिए था. गोगावले को व्हिप मान लेना गलत था. व्हिप की नियुक्ति पार्टी करती है. हालांकि, हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि अयोग्यता का मसला लंबित रहते चुनाव आयोग को वास्तविक पार्टी पर फैसला नहीं लेना चाहिए था. आयोग को अनिश्चित काल तक उसके संवैधानिक काम से नहीं रोका जा सकता.

  • सीजेआई ने आगे कहा, आयोग को संगठन में बहुमत समेत दूसरे पैमानों पर परखना चाहिए. ECI ने निर्णय लिया लेकिन उसे आधार बना कर स्पीकर फैसला नहीं ले सकते. उन्हें अपना काम करना चाहिए.

  • कोर्ट ने कहा, अयोग्यता कार्रवाई से बचने के लिए खुद के वास्तविक पार्टी होने का दावा नहीं किया जा सकता. अगर सरकार और स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा टालने की कोशिश करें तो राज्यपाल फैसला ले सकते हैं. लेकिन इस मामले में विधायकों ने राज्यपाल को जो चिट्ठी लिखी, उसमें यह नहीं कहा कि वह MVA सरकार हटाना चाहते हैं. सिर्फ अपनी पार्टी के नेतृत्व पर सवाल उठाए

  • राज्यपाल को ऐसी शक्ति का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जो संविधान ने उन्हें नहीं दी है.

  • अदालत ने कहा, किसी पार्टी में असंतोष फ्लोर टेस्ट का आधार नहीं होना चाहिए.

  • राज्यपाल को जो भी प्रस्ताव मिले थे वह स्पष्ट नहीं थे. यह पता नहीं था कि असंतुष्ट विधायक नई पार्टी बना रहे हैं या कहीं विलय कर रहे हैं. कई विधायकों ने अपनी सुरक्षा को लेकर राज्यपाल से चिंता जताई थी लेकिन यह कानून व्यवस्था की बात है.

  • कोर्ट ने आगे कहा, यह कहीं से भी साफ नहीं था कि उद्धव के पास बहुमत नहीं है.

  • विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव लाना सही है. राज्यपाल ने अपनी तरफ से फ्लोर टेस्ट के लिए कहना सही नहीं था. हमसे पुरानी स्थिति बहाल करने की मांग की गई लेकिन उद्धव ने बिना फ्लोर टेस्ट में हिस्सा लिए इस्तीफा दे दिया. इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते. कोर्ट ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा, हम अयोग्यता पर फैसला नहीं लेंगे. स्पीकर इस मामले पर जल्द फैसला लें.