Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट (Maharashtra) की राजनीति में हर रोज परिवर्तन हो रहा है. उद्धव (Uddhav Thackeray) की कुर्सी के साथ साथ उनकी पार्टी शिवसेना की कमान भी उनके हाथों से जाती दिखाई दे रही है. विधानसभा में शिवसेना (Shivsena) का संख्याबल लगातार घट रहा है. गुरुवार तक एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के कैंप में शिवसेना के 33 विधायक थे वो अब बढ़कर 38 हो गए हैं, 9 विधायक निर्दलीय हैं और 2 विधायक प्रहार जनशक्ति पार्टी के हैं जो गुवाहाटी (Guwahati) के रेडिसन ब्लू होटल में ठहरे हुए हैं. अब सभी की निगाहें होने वाले फ्लोर टेस्ट पर टिकी हैं.
अगर फ्लोर टेस्ट हुआ तो क्या होगा. पहले जान लेते हैं कि ये फ्लोर टेस्ट होता क्या है. इस टेस्ट में फैसला किया जाता है कि मौजूदा दल के पास सरकार बनाने के लिए संख्याबल है या नहीं. इसमें राज्यपाल किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में कहा गया है कि राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट के आदेश देने की शक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है. अगर राज्यपाल को लगता है कि सरकार के पास सदन में संख्याबल कम है तो वो चाहें तो फ्लोर टेस्ट के लिए बुला सकते हैं.
फ्लोर टेस्ट लेता कौन है
कानून के मुताबिक अगर विधानसभा सत्र चल रहा होता है तो विधानसभा अध्यक्ष फ्लोर टेस्ट के लिए बुला सकते हैं लेकिन अगर सत्र नहीं चल रहा है तो अनुच्छेद 163 के तहत राज्यपाल फ्लोर टेस्ट के लिए बुला सकते हैं. सनद रहे कि महाराष्ट्र में अभी फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल ही बुला सकते हैं क्योंकि वहां पर विधानसभा सत्र नहीं चल रहा है.
बहुमत साबित करने के लिए कितनी संख्या चाहिए
महाराष्ट्र की 288 विधायकों वाली विधानसभा में किसी भी राजनीतिक दल को अपना बहुमत साबित करने के लिए 144 विधायकों का समर्थन चाहिए होता है. मौजूदा सरकार की अगर बात करें तो एमवीए सरकार में शिवसेना के 55 विधायक, एनसीपी के 53 विधायक और कांग्रेस के 44 विधायक हैं. इसके अलावा एमएनएस, स्वाभिनी पक्ष और राष्ट्रीय समाज पक्ष के एक-एक विधायक विधायक और 6 निर्दलीय विधायकों का समर्थ मिला हुआ है. तो वहीं बीजेपी के पास 106 विधायकों के साथ मुख्य विपक्षी पार्टी बनी हुई है.
बीजेपी और एकनाथ शिंदे साथ आए तो
अब बात कर लेते हैं उस समीकरण की जो एकनाथ शिंदे के बागी होने के बाद पैदा हुआ है. एकनाथ शिंदे के बागी होने के बाद कहा जा रहा है कि उद्धव सरकार अल्पमत में चल रही है. क्योंकि शिंदे का दावा है कि शिवसेना के 38 विधायक उनके साथ हैं इसके साथ ही 9 निर्दलीय और 2 प्रहार जनशक्ति पार्टी के विधायकों का समर्थन भी मिला हुआ है. इसके साथ ही अगर बीजेपी साथ आई तो बीजेपी 106 विधायकों वाली सबसे बड़ी पार्टी है. तो ऐसे में ये आसानी से बहुमत साबित कर सरकार बना सकते हैं.
सरकार के साथ और सरकार के खिलाफ कितने विधायक
अगर सरकार के साथ के विधायकों की बात करें तो 114 विधायक ऐसे हैं जो सरकार के साथ हैं जिसमें एनसीपी के 53, शिवसेना के 17 और कांग्रेस के 44 विधायक शामिल हैं. तो वहीं सरकार के खिलाफ का आंकड़ ज्यादा दिखाई दे रहा है. यहां 164 विधायक हैं जो सरकार के खिलाफ हैं जिसमें बीजेपी के 106, बागी शिंदे के 38 और अन्य 20 विधायक सरकार के खिलाफ दिखाई दे रहे हैं.
संजय राउत की अपनी कहावत
इन सब के बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि विधानसभा में शिवसेना (Shivsena) का संख्याबल घटा है लेकिन शक्ति परीक्षण में बागी विधायक एमवीए (MVA) का साथ देंगे. राउत ने कहा कि संख्या किसी भी वक्त बदल सकती है. उन्होंने कहा कि मुंबई (Mumbai) लौटने के बाद ही बागी विधायकों की पार्टी के प्रति वफादारी की असली परीक्षा होगी. राउत ने पत्रकारों से बातचीत में स्वीकार किया कि बगावत के कारण विधानसभा में पार्टी का संख्याबल कम हुआ है उन्होंने कहा कि बागी गुट ने पर्याप्त संख्याबल होने का दावा किया है और लोकतंत्र संख्याबल पर चलता है. लेकिन नंबर किसी भी वक्त बदल सकते हैं. जब बागी विधायक (Rebel MLA) लौटेंगे, तो बाला साहेब ठाकरे (Bala Saheb Thackeray)और शिवसेना के प्रति उनकी वफादारी की परीक्षा होगी.
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