Maharashtra Political Crisis: चुनाव गए तो बीजेपी उन्हें कचरे में... ‘सामना’ के जरिए शिवसेना की बागी विधायकों को चेतावनी
Maharashtra Political Crisis: शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना' के जरिए उद्धव ठाकरे ने बागी विधायकों पर जमकर हमला बोला है.
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना' के जरिए सीएम उद्धव ठाकरे ने बागी विधायकों पर जमकर हमला बोला है. एक संपादकीय में कहा गया कि शिवसेना के टिकट पर, पैसों पर, निर्वाचित हुए मेहनतवीर विधायक BJP की गिरफ्त में फंस गए हैं. वे पहले सूरत और बाद में विशेष विमान से आसमान चले गए. इन विधायकों की इतनी भागदौड़ क्यों चल रही है? शिवसेना के अंतर्गत जो घटनाक्रम चल रहे हैं उससे हमारा संबंध नहीं, ऐसा मजाक BJP को तो नहीं करना चाहिए. सूरत के जिस होटल में ये ‘महामंडल’ था वहां महाराष्ट्र के भाजपाई लोग उपस्थित थे. फिर सूरत से इन लोगों के आसाम जाते ही गुवाहाटी हवाई अड्डे पर आसाम के मंत्री स्वागत के लिए मौजूद रहते हैं. इसके पीछे का गूढ, दांव-पेंच न समझने जैसी राज्य की जनता मूर्ख नहीं है. होटल, हवाई जहाज, वाहन, घोड़े, विशेष सुरक्षा व्यवस्था भाजपा सरकार की ही कृपा नहीं है क्या? हमें तो भारतीय जनता पार्टी के नैतिक अधिष्ठान की सराहना करने की इच्छा होती है.
कल तक भ्रष्टाचार, आर्थिक कदाचार के आरोपों वाले शिवसेना विधायकों पर हमला करनेवाले, उन्हें ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स का डर दिखाकर ‘अब तुम्हारी जगह जेल में है’ ऐसा बोलनेवाले किरीट सोमैया इसके बाद क्या करेंगे? ये सभी विधायक कल से भाजपा के समूह में शामिल हो गए हैं और दिल्ली के राजनीतिक गागाभट्टों ने उन्हें पवित्र, शुद्ध कर लिया है. अब किरीट सोमैया को इन सभी शिवसेना विधायकों के चरणपूजन करने होंगे, ऐसा नजर आ रहा है. अकोला के विधायक नितीन देशमुख सूरत से मुंबई लौट आए और उन्होंने जो हुआ, इस बारे में सनसनीखेज सच्चाई बताई.
जरूरत खत्म होते ही कचरे में फेंक देंगे
ये सभी विधायक एक बार फिर चुनाव का सामना करते हैं तो जनता उन्हें पराजित किए बगैर नहीं रहेगी. इसका भान इन लोगों को नहीं होगा. इसलिए ये शिवसेना के विधायक व माननीय पुन: अपने घर लौट आएंगे. आज जो भाजपा वाले उन्हें हाथों की हथेली पर आए जख्म की तरह संभाल रहे हैं, वे आवश्यकता समाप्त होते ही पुन: कचरे में फेंक देंगे. भाजपा की परंपरा यही रही है. महाराष्ट्र में नई सरकार स्थापित करने का सपना किसी ने देखा ही होगा तो वह उनका स्वप्नदोष है. राज्यसभा, विधान परिषद चुनाव की ‘अतिरिक्त’ जीत किसकी वजह से मिली है, यह अब खुल गया है.
समय रहते सावधान हो जाओ, समझदार बनो!
अब तो विधायकों को बंद करके रखा गया है. आतंक की तलवार के नीचे रखा गया है, यह वापस लौटे नितीन देशमुख ने साफ कर दिया है. शिवसेना ने ऐसे कई प्रसंगों को पचाया है. ऐसे संकटों के सीने पर पांव रखकर शिवसेना खड़ी रही. जय-पराजय पचाया. सत्ता आई या गई, शिवसेना जैसे संगठन को फर्क नहीं पड़ता है. फर्क पड़ता है तो भाजपा के प्रलोभन और दबाव के शिकार हुए विधायकों को. शिवसैनिकों ने तय किया तो सभी लोग हमेशा के लिए ‘भूतपूर्व’ हो सकेंगे. इसके पहले की बगावतों का इतिहास यही कहता है. समय रहते सावधान हो जाओ, समझदार बनो!
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