Maharashtra Political Crisis: एकनाथ शिंदे के दिल्ली दौरे पर लिखी गई थी महाराष्ट्र की स्क्रिप्ट? सियासी ड्रामे की इनसाइड स्टोरी
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में राजनीतिक घटनाक्रम इतनी तेजी से बदला कि किसी को इसकी कानोंकान खबर तक नहीं हुई. हालांकि एनसीपी में तूफान लाने की तैयारी काफी पहले से चल रही थी.
Maharashtra Political Crisis: कहते हैं कि सियासत मौके का खेल है और जो मौकों को भुना लेता है, वही सबसे बड़ा खिलाड़ी होता है. आज महाराष्ट्र की सियासत में अजित पवार बड़े खिलाड़ी साबित हुए. लंबे समय से चली आ रही अटकलों पर उन्होंने पूर्ण विराम लगा दिया. बीजेपी के साथ उनका जो राजनीतिक रिश्ता बना है, उसके लिए उन्होंने पारिवारिक रिश्ते की बलि चढ़ा दी, लेकिन ये सब कुछ अचानक नहीं हुआ, ना तो अजित पवार के दिल में बीजेपी के लिए अचानक से कोई प्यार उमड़ा और ना ही बीजेपी ने एक रात में इतना बड़ा गेम खेल दिया...बल्कि इसके पीछे तो शुद्ध राजनीति है, जिसकी नींव एक महीने पहले से पड़ने लगी थी. हम आपको बताएंगे कि कैसे मुंबई से दिल्ली और दिल्ली से अहमदाबाद तक इस सियासी एसिपोड की स्क्रिप्ट लिखी गई.
एक झटके में डिप्टी सीएम बन गए पवार
महाराष्ट्र में रविवार की सुबह बिल्कुल सामान्य थी, छुट्टी का दिन था तो सबकी अपनी-अपनी प्लानिंग थी. लेकिन शाम होते-होते महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत कुछ बदल गया. जो अजित पवार कल तक जनता की नजरों में नेता विपक्ष की भूमिका में थे वो अब डिप्टी सीएम हैं और सबसे बड़ी बात ये कि शरद पवार के सियासी भविष्य के सामने उन्होंने नई लकीर खींच दी है.
ये तस्वीर महाराष्ट्र की सियासत में पिछले कुछ सालों का सबसे बड़ा विस्फोट है, जिसने ना सिर्फ बीजेपी का जोश हाई कर दिया है, बल्कि शरद पवार के सियासी भविष्य को समेटकर रख दिया है. अजित पवार के गुट का दावा है कि उनके साथ NCP के 40 विधायक हैं, लेकिन ये 40 विधायक अजित पवार के छाते के नीचे कैसे आए. इन विधायकों ने शरद पवार के खिलाफ मोर्चा क्यों खोला. इसकी एक लंबी कहानी है, क्योंकि ये घटना अचानक से नहीं हुई है. बल्कि इसके पीछे धारदार रणनीति और मंझी हुई सियासत है.
दिल्ली में लिखी गई स्क्रिप्ट
महाराष्ट्र में हुए महाबदलाव का एक सिरा दिल्ली की सियासी जमीन से जुड़ता है. क्योंकि 29 जून को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे दिल्ली दौरे पर थे. कहने को तो ये साधारण दौरा था, लेकिन यहीं पर गृहमंत्री अमित शाह से हुई शिंदे की मुलाकात ने 2 जुलाई की पूरी स्क्रिप्ट लिख दी. दिल्ली में 29 जून की रात को एक ऐसी पिक्चर की तैयारी चल रही थी, जो महाराष्ट्र में तूफान लाने वाली थी.
पहले खबर उठी कि महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार पर मंथन चल रहा है, लेकिन इस मुलाकात की कहानी कुछ और ही थी. इस मुलाकात में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि बीजेपी महाराष्ट्र में ऑपरेशन पवार पर काम कर रही है. .ये ऑपरेशन अब तक के सबसे सीक्रेट ऑपरेशन्स में से एक था. ये सियासत में बदलाव की ऐसी आंधी थी, जो एक झटके में बहुत कुछ उड़ा ले गई.
काफी सीक्रेट रखा गया 'ऑपरेशन'
दिल्ली में भले ही 29 जून को सब कुछ तय हो गया था, लेकिन महाराष्ट्र में इस बदलाव की खबर चुनिंदा लोगों को ही थी. बीजेपी और अजित पवार की प्लानिंग इतनी सीक्रेट थी कि किसी को भी कानों-कान इसकी भनक तक नहीं लगी. दिल्ली और मुंबई में रातों-रात क्या सियासी खिचड़ी पक रही थी, इसका अंदाजा शरद पवार भी नहीं लगा सके और उनके सामने अब ऐसी परिस्थिति पैदा हो गई, जिससे उभरने में उन्हें लंबा वक्त लग सकता है.
आशीष सेलार की अहम भूमिका
इस ऑपरेशन में बीजेपी हाईकमान ने चुनिंदा नेताओं को ही शामिल किया था. जिसमें से एक बड़ा नाम- मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार भी हैं. आशीष सेलार ही वो नेता हैं जो लगातार दिल्ली और मुंबई के बीच संवाद सेतु बने थे. दिल्ली में बीजेपी के ताकतवर नेताओं के संपर्क में थे और बीजेपी हाईकमान से अजित पवार की सीधी बात करवा रहे थे. ये मुद्दा दिल्ली से मुंबई और मुंबई से दिल्ली शिफ्ट होता रहा, लेकिन बात लीक होने के डर से सिर्फ खास नेताओं को ही इसके बारे में जानकारी दी गई थी.
लगातार चलती रही सीक्रेट मीटिंग
सिर्फ दिल्ली और मुंबई ही नहीं...अजित पवार को सरकार में शामिल कराने के पीछे अहमदाबाद में हुई एक मीटिंग भी काफी अहम है. ये मीटिंग 20 जून को हुई थी, यानी करीब दो हफ्ते पहले... सूत्र बताते हैं कि 20 जून को ही अजित पवार की अहमदाबाद में बीजेपी के एक बड़े नेता से मुलाकात हुई थी और उसी दिन तय हो गया था कि जुलाई के शुरुआती दिनों में ही महाराष्ट्र में बड़ा सियासी विस्फोट करना है. ऐसा नहीं है कि अजित पवार एक झटके में शिंदे सरकार में शामिल हो गए, बल्कि इसके लिए उन्हें भी काफी मेहनत करनी पड़ी. एक-एक विधायक को भरोसे में लेना पड़ा, मंत्रीपद का बंटवारा तय करना पड़ा और तब जाकर महाराष्ट्र में बदलाव का मेगा एपिसोड पूरा हुआ.
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