Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की बगावत की वजह से महाविकास अघाड़ी सरकार (MVA) पर सियासी संकट गहरा गया है. 21 जून को बगावत की खबर आते ही महाविकास अघाड़ी खेमे में हलचल मच गई थी. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेता इस संकट से निकलने की लगातार कोशिश कर रहे थे. इसी दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) और अजीत पवार (Ajit Pawar) उद्धव ठाकरे से मिलने के लिए मातोश्री (Matoshree) पहुंचे थे. खबर है कि शिंदे गुट की बागवत के बाद उद्धव ठाकरे सीएम पद से इस्पीफा देना चाहते थे, लेकिन NCP प्रमुख शरद पवार ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया.
शरद पवार और अजीत पवार से मुलाकात से पहले ही उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने मुख्यमंत्री की कुर्सी से इस्तीफा देने का प्लान बना लिया था. बताया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे नहीं चाहते थे कि पार्टी में बगावत के बाद वो सीएम बने रहें.
उद्धव को इस्तीफा देने से आखिर किसने रोका?
कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना में बगावत के बाद अंकगणित को समझ गए थे, इसलिए उन्होंने 21 और 22 जून को ही कुर्सी छोड़ने का मन बना लिया था लेकिन बीजेपी सूत्रों के मुताबिक शरद पवार उन्हें ये समझाने में कामयाब रहे कि वो सीएम पद से इस्तीफा न दें. दावा है कि इसी बात को पुख्ता करने के लिए शरद पवार और अजीत पवार मतोश्री का चक्कर काट रहे थे. ताकि उद्धव का उन पर भरोसा बना रहे.
क्यों इस्तीफा देना चाहते थे महाराष्ट्र सीएम?
महाराष्ट्र (Maharashtra) के डिप्टी सीएम और एनसीपी (NCP) के नेता अजीत पवार (Ajit Pawar) ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि सबकुछ उद्धव ठाकरे के स्पोर्ट में है. लेकिन उद्धव ठाकरे को बागियों के तेवर का एहसास होने लगा था, शायद इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री आवास वर्षा को छोड़ने का फैसला लिया और मातोश्री में शिफ्ट हो गए थे. अब फ्लोर टेस्ट को लेकर हलचल तेज हो गई है. एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट अपनी रणनीति बनाने में जुटा है तो वहीं बीजेपी की सियासी घटनाक्रम पर पैनी नजर है.
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