(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maharashtra NCP Crisis: कभी बेचा करते थे सब्जी, फिर 800 करोड़ के घोटाले में फंसे, जानें कौन हैं अजित पवार के साथ बागी होने वाले छगन भुजबल
Chhagan Bhujbal Profile: अजित पवार के अलावा एनसीपी नेता छगन भुजबल ने भी महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद की शपथ ली है. एक बार वह राज्य के डिप्टी सीएम रह चुके हैं.
NCP Political Crisis: महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला है. एनसीपी नेता अजित पवार राज्य के उपमुख्यमंत्री बन गए हैं तो वहीं उनके साथ एनसीपी नेता छगन भुजबल ने भी मंत्री पद की शपथ ली है. आइये जानते हैं छगन भुजबल के बारे में.
छगन भुजबल का जन्म जन्म 15 अक्टूबर 1947 को हुआ था. वह महाराष्ट्र की येवला विधानसभा सीट से विधायक है. उनके पास महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के तौर पर काम करने का भी अनुभव है. उन्होंने 18 अक्टूबर 1999 से 23 दिसंबर 2003 तक डिप्टी सीएम के रूप में काम किया था.
महाराष्ट्र में वह लोक निर्माण विभाग मंत्री और गृह मामलों के मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं. छगन भुजबल ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्हें एनसीपी प्रमुख शरद पवार का करीबी माना जाता रहा है.
राजनीति में आने से पहले सब्जियां बेचकर गुजारा करते थे भुजबल
छगन भुजबल ने 1960 में शिव सेना से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. राजनीति में आने से पहले वह सब्जियां बेचकर जीवन-यापन करते थे. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उन्होंने एक बार सब्जियां बेचने के लिए पैसे उधार लिए थे. सब्जियों की उनकी दुकान भायखला बाजार में थी. वहीं उनकी मां छोटी सी फल की दुकान चलाती थीं.
बालासाहेब ठाकरे से प्रभावित होकर राजनीति के अखाड़े में उतरे
1960 में में छगन भुजबल शिव सेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के विचारों से प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने राजनीति में आने का फैसला लिया. शिवसेना में शामिल होकर वह शिव सैनिक बन गए. उन्हें एक कट्टर शिव सैनिक माना जाता था क्योंकि वह पार्टी के शुरुआती सदस्यों में से एक थे.
1991 में भुजबल ने शिव सेना छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया. शरद पवार ने जब कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी बनाने का फैसला किया तो छगन भुजबल भी उनके साथ आ गए. भुजबल दो बार मुंबई के मेयर भी रह चुके हैं. भुजबल 2004 से विधायक हैं.
महाराष्ट्र सदन घोटाले में आया था नाम
महाराष्ट्र सदन घोटाले में भी छगन भुजबल का नाम आया था. मुंबई सेशन कोर्ट ने सितंबर 2021 में महाराष्ट्र सदन घोटाले में छगन भुजबल और उनके परिवार के लोगों को बरी किया था. जिस वक्त उन्हें बरी किया गया था, वह महाराष्ट्र के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले के मंत्री थे.
भुजबल पर आरोप लगा था कि उन्होंने 2005-06 के दौरान बगैर टेंडर जारी किए केएस चमनकर इंटरप्राइजेज को ठेका दे दिया था. ईडी ने भी एसीबी की रिपोर्ट के आधार पर भुजबल के खिलाफ मामला दर्ज किया था. 2016 में ईडी ने भुजबल को गिरफ्तार भी किया था लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2018 में उन्हें जमानत दे दी थी.
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