Maharashtra Politics: इस साल के अंत तक महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसकी तैयारियों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां जोरों शोरों से लगी हुई है. सूत्रों के मुताबिक पिछले कई दिनों से सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के बीच विवाद चल रहा है, जिसे यह कयास लगाये जा रहे हैं कि महायुती के अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं है. लाडली बहन योजना, महामंडल का विस्तार, धर्म को लेकर बयानबाजी, सीट बंटवारा ये सभी ऐसी घटना है, जिस वजह से महायुति में नाराजगी दिख रही है.


क्यों एक-दूसरे से नाराज हैं महायुति के नेता?


सूत्रों के मताबिक लाडली बहन योजना को लेकर सीएम एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम अजित पवार से नाराज हैं. हिंदू-मुस्लिम पर बयानबाजी को लेकर डिप्टी सीएम अजित पवार बीजेपी पर नाराज हैं. महामंडलो का विस्तार को लेकर अजित पवार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से नाराज चल रहे हैं तो वहीं सीटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी एकनाथ शिंदे और अजित पवार पर नाराज है. महायुति के भीतर यह नाराजगी कई मौकों पर लोगों के सामने भी देखने को मिली है.


महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव 2024 में एमवीए के सामने एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था. महाराष्ट्र की इस सरकार को ट्रिपल इंजिन सरकार कहते हैं, हालांकि तीनों पार्टियों के एक-दूसरे पर नाराज होने से इस सरकार को ब्रेक लग रहा है, जिसका नुकसान विधानसभा पर हो सकता है. एक साल पहले ही अजित पवार की महाराष्ट्र सरकार में एंट्री से एकनाथ शिंदे की शिवसेना नाराज चल रही थी. अजित पवार की पार्टी ने शिंदे सरकार के मंत्री पद भी लिए, जिस वजह से शिंदे के विधायक और नाराज हो गये. अब एकनाथ शिंदे को नाराज विधायको को महामंडल देकर खुश किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ अजित पवार नाराज हो रहे हैं.


हिंदुत्व के मुद्दे पर अजीत पवार नाराज


महाराष्ट्र की ट्रिपल इंजन सरकार में एकनाथ शिंदे की शिवसेना और बीजेपी कट्टर हिंदुत्ववादी पार्टी है तो दूसरी तरफ अजित पवार सेक्युलर लाइन लेकर चलते हैं. शिवसेना शिंदे गुट के संजय गायकवाड़, संजय शिरसाट और बीजेपी विधायक नितेश राणे, सांसद अनिल बोंडे समेत अन्य लोगों के विवादित बयान पर भी अजित पवार की पार्टी नाराज है. डिप्टी सीएम अजित पवार गुट के कुछ नेता सीधे दिल्ली जाकर शिंदे गुट और सांप्रदायिक बयान देने वाले बीजेपी नेताओं की शिकायत दर्ज करने के धमकी दी है. उनका कहना है कुछ नेताओं के बेतुके बयानों से विपक्ष लगातार महायुति को बदनाम कर रहा है. आम लोगों में इसका गुस्सा है. इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है.


लाडली बहन के मुद्दे पर पिछली कैबिनेट मे अजित पवार के मंत्री से सीधा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भीड़ गए थे. सीटो के बंटवारे को लेकर एकनाथ शिंदे और अजित पवार की डिमांड से बीजेपी तंग आ चुकी है, इसीलिए अब देवेंद्र फडणवीस को बीच में रखते हुए सब कुछ ठिक-ठाक रखने का प्रयास करने जा रही है.


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