Maharashtra Politics: ‘पोस्टर लगने से कोई सीएम नहीं बनता’, अजित पवार के मामले पर बोले शिवसेना विधायक
Ajit Pawar Poster War: महाराष्ट्र की राजनीति में उस वक्त हलचल तेज हो गई जब एनसीपी और विपक्ष के नेता अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर पोस्टर लगा दिए गए.
Ajit Pawar CM Poster: एनसीपी नेता और विधानसभा में नेता विपक्ष अजित पवार के जगह-जगह मुख्यमंत्री वाले पोस्टर लगाए जाने को लेकर शिवसेना विधायक (शिंदे कैम्प) संजय शिरसाट ने कहा कि पोस्टर लगाए जाने से कोई मुख्यमंत्री नहीं बनता है. उन्होंने आगे कहा कि पोस्टर अगर एक या दो बार लगाया जाता तो यह समझा जा सकता है कि किसी कार्यकर्ता ने अपने नेता के सम्मान में पोस्टर लगाया है लेकिन अगर पोस्टर बार-बार लगाया जा रहा है, इसका मतलब साफ है कि अजित पवार यह जांच रहे हैं कि पार्टी में उनके कितने समर्थक हैं.
उन्होंने आगे कहा कि राज्य में सत्ता परिवर्तन का कोई चांस नही है. जहां तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बात है तो ऐसा लगता है कि हमने जो कुछ भी किया है वह कानून के दायरे में रहकर किया है और इसीलिए हमें पूरा विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी हमारे पक्ष में ही आएगा. लोग हवा में बातें कर रहे हैं. ऐसे लोगों की बातों का कोई मतलब नहीं बनता है.
मुख्यमंत्री के छुट्टी पर जाने वाले सवाल पर
सीएम की छुट्टी को लेकर हो रही राजनीति पर शिवसेना विधायक ने कहा, “राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ढाई साल छुट्टी पर थे.. तब किसी ने उनसे सवाल नहीं किया. एकनाथ शिंदे रात के 2- 3 बजे तक काम करने वाले मुख्यमंत्री हैं. अगर मुख्यमंत्री परिवार के निजी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 2 दिन की छुट्टी लेते हैं तो इसे लेकर ज्यादा सवाल नहीं खड़ा किया जाना चाहिए. छुट्टी पर रहने के बावजूद भी काम रुका नहीं है.”
इसके अलावा, देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री वाले पोस्टर के सवाल पर उन्होंने कहा, “पोस्टर के विषय में उपमुख्यमंत्री ने नाराजगी जाहिर की है. सरकार को किसी भी तरह का खतरा नहीं है. हम मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे.”
अजीत पवार के लगे पोस्टर
अजित पवार ने बयान देकर इन तमाम अटकलों को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि वे अपनी आखिरी सांस तक एनसीपी में रहेंगे. हालांकि इसके बावजूद उनके सीएम बनने को लेकर चर्चा जारी है. माना जा रहा है कि अजित पवार का यह बयान अस्थायी हो सकता है. शरद पवार के करीबी सूत्रों के मुताबिक अजित पवार के पास बहुमत नहीं है. अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या कोई दल खुले तौर पर बीजेपी के साथ हाथ मिलाएगा? क्योंकि दलों को इस बात का भी डर है कि उन्हें बड़े पैमाने पर जनता की प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता है.
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