BJP In Maharashtra Politics: अपने शिकार पर सटीक और जोरदार अटैक करने के लिए शेर को हमले से पहले दो कदम पीछे हटना पड़ता है. महाराष्ट्र में भी कुछ यही देखने को मिल रहा है. यहां बीजेपी ने 106 सीटें होने के बावजूद करीब 50 विधायकों के समर्थन वाले एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया. बड़े-बड़े चुनावी पंडितों ने भी ये नहीं सोचा होगा कि करीब 10 दिन तक चले इस बवाल के बाद शिंदे सीधे सीएम पद तक पहुंच सकते हैं. लेकिन इस पूरी पिक्चर की स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी है और बीजेपी (BJP) आलाकमान को असली क्लाइमैक्स का इंतजार है.
दरअसल बीजेपी ने अपनी एक चाल से कई निशाने साधने की कोशिश की है. जिसके नतीजे हमें आने वाले कुछ महीनों में देखने को मिल सकते हैं. सबसे पहले आपको शिवसेना में बगावत के दौरान बीजेपी की रणनीति के बारे में बताते हैं...
वेट एंड वॉच मोड में क्यों थी बीजेपी?
महाराष्ट्र में एमवीए सरकार बनने के बाद से ही बीजेपी नेता लगातार शिवसेना पर कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर हमलावर रहे. सीधे-सीधे शिवसेना की हिंदुत्व विचारधारा पर सवाल उठाए गए. बताया गया कि पिछले ढ़ाई साल में बीजेपी ने शिवसेना के भीतर भी इस आग को सुलगाने का काम किया. लेकिन जब बगावत की ये आग दिखी तो बीजेपी पूरी तरह पर्दे के पीछे चली गई. बीजेपी ने इस झगड़े पर तब तक कुछ नहीं कहा, जब तक कि उद्धव के इस्तीफे की नौबत नहीं आ गई.
क्योंकि शिवसेना और खुद उद्धव ठाकरे ने शिंदे गुट को तोड़ने की पूरी कोशिश की. इस वक्त ऐसा था जब सभी को उम्मीद थी कि कुछ बागी विधायक घर वापसी कर सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसके बाद बीजेपी ने मैदान में उतरने का फैसला किया. क्योंकि पहले ही बीजेपी एक बार शरद पवार के हाथों मात खा चुकी थी, जब रातों-रात फडणवीस ने अजित पवार के साथ मिलकर शपथ ले ली थी. लेकिन 24 घंटे के भीतर पवार ने ये बाजी पलट दी और बीजेपी की खूब किरकिरी भी हुई. ऐसे में इस बार बीजेपी दूर बैठकर ही वेट एंड वॉच वाले मोड में रही. जब बहुमत का आंकड़ा बड़ी संख्या में नजर आने लगा तो बीजेपी ने अपनी एंट्री मारी.
शिंदे की उंगली पकड़ बीएमसी के किले पर चढ़ाई
अब बात करते हैं कि बीजेपी ने अपने इस एक तीर से किन निशानों को साधने की कोशिश की... सबसे पहला निशाना अगले कुछ ही महीनों में होने वाले बीएमसी चुनाव हैं. जिस पर पिछले 25 सालों से शिवसेना का कब्जा है. बीएमसी देश की सबसे ज्यादा बजट वाली नगर पालिका है. जिसका चुनाव सितंबर में होगा. क्योंकि बीजेपी की हमेशा से ये आदत रही है कि वो अपने सहयोगी की उंगली पकड़कर धीरे-धीरे वो हर चीज हासिल कर लेती है, जिसकी पार्टी को जरूरत हो. बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के साथ छोटे भाई की तरह गठबंधन करने के बाद बीजेपी ने अपने कद को बढ़ाया और सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आ गई.
बिहार में नीतीश कुमार की ही तरह महाराष्ट्र में भी एकनाथ शिंदे को बीजेपी ने अपना मोहरा बनाया है. क्योंकि एकनाथ शिंदे हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना से अलग हुए हैं और ये दावा कर रहे हैं कि वो बालासाहेब ठाकरे के असली सैनिक हैं. इसीलिए उन्होंने उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाने का फैसला लिया. ऐसे में बीजेपी के लिए शिंदे के सहारे बीएमसी के किले पर चढ़ाई काफी आसान हो जाएगी. शिंदे सीधे-सीधे बीएमसी चुनाव में शिवसेना के कई वोट काटेंगे, जिसका सीधा फायदा सहयोगी बीजेपी उठाएगी. जिसके बाद बीजेपी का सबसे अमीर नगर पालिका में राज करने का सपना पूरा हो सकता है.
ठाकरे परिवार का वजूद मिटाने की तैयारी?
अब बीजेपी का दूसरा निशाना सीधे ठाकरे परिवार है. बीजेपी ने शिंदे को आगे रखकर ठाकरे परिवार को मात देने की कोशिश की है. क्योंकि मुख्यमंत्री की कुर्सी एक शिवसैनिक के हाथों में रही तो ठाकरे परिवार का कद खुद ही राज्य में कम होता चला जाएगा. अगले ढ़ाई साल में अगर बीजेपी का ये फॉर्मूला काम कर गया तो पार्टी खुद ही अपने दम पर बहुमत के आंकड़े तक पहुंच सकती है, जिसके बाद उसे शिंदे की भी जरूरत नहीं होगी. बस इतना करने के बाद बीजेपी अपने मुख्यमंत्री के साथ ऐसी सरकार बना सकती है जो किसी बैसाखी के सहारे नहीं होगी. यानी एकनाथ शिंदे बीजेपी के लिए एक ऐसा हथियार हैं, जो शिवसेना को पूर तरह खत्म कर सकता है.
2024 की भी तैयारी
एकनाथ शिंदे के सहारे पार्टी अगर बीएमसी चुनावों से लेकर उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना को ठिकाने लगाने में कामयाब रहती है तो महाराष्ट्र में बीजेपी का एकछत्र राज होगा. 2024 लोकसभा चुनाव के लिए भी ये काफी मायने रखता है. शिंदे के रहते शिवसेना के असली हिंदुत्व वाले मुद्दे की आग को हमेशा हवा मिलती रहेगी, ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान भी असली-नकली के इस खेल में बीजेपी सबसे आगे खड़ी नजर आ सकती है. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को कुल 42 सीटें मिली थीं, जिसमें से 18 सीटें शिवसेना की थीं. लेकिन आने वाले चुनावों में बीजेपी की ये रणनीति शिवसेना को सिंगल डिजिट में समेट सकती है. रही बात मराठा वोट की तो उसके लिए बीजेपी के बगल में एकनाथ शिंदे खड़े होंगे, जो शिवसेना के कोर वोटर यानी मराठा वोटर्स को तोड़ने का पूरा दम रखते हैं.
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