Maharashtra Deputy CM: बीजेपी (BJP) ने महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में बड़ा उलटफेर करते हुए एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का सीएम बनाया है. वहीं, देवेंद्र फडणवीस को उप-मुख्यमंत्री बनाया है. सूत्रों के मुताबिक इसकी पटकथा शिवसेना के सियासी वजूद को जड़ से काटने के लिए लिखी गई है. महाराष्ट्र की राजनीति में आज का दिन सबसे बड़े राजनीतिक सरप्राइज के रूप में देखा जाएगा. बीजेपी ने बड़े दल होने के बावजूद छोटे दल के नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद सौंप दिया. बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक यह फैसला राजनीति में दूर की सोच कर लिया गया है.
ये फैसला उसका उदाहरण है. बीजेपी के एक बड़े नेता के मुताबिक शिवसेना से अलग हुए गुट के एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री की कमान देने पर एक तीर से कई निशाने साधे हैं. पहला ये कि शिंदे को कमान देने बाला साहेब के शिष्य शिवसेना के असली वारिस बन सकेंगे इससे उद्धव ठाकरे के सियासी वजूद को खत्म करने में मदद मिलेगी और असली शिवसेना बीजेपी के साथ रहेगी.
फडणवीस के सीएम बनने से शिवसेना को हो सकता था फायदा?
देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने पर इस साल नवंबर में होने वाले बीएमसी के चुनाव में उद्धव इमोशनल कार्ड खेल कर बीजेपी को शिवसेना की टूट का दोषी ठहरा सकते थे और बीएमसी के चुनाव में इस इमोशनल कार्ड के जरिए अपनी राजनीतिक नैया पार लगा सकते थे. इससे उद्धव ठाकरे को फिर से अपना राजनीतिक वजूद खड़ा करने में मदद मिलती और उद्धव ठाकरे एक बार फिर मजबूत हो सकते थे. ऐसे में शिवसेना की सरकार को गिराकर शिवसेना को खत्म करने का मूल उद्देश्य ही खत्म हो जाता.
किस रणनीति के तहत शिंदे को दी गई सरकार की कमान?
सूत्रों के मुताबिक सोची-समझी रणनीति के तहत एकनाथ शिंदे को कमान दी गई. इससे अगले चुनावों से पहले उद्धव ठाकरे परिवार से शिवसेना पार्टी को और उसके चुनाव चिह्न को छीना जा सकेगा. इससे दो फायदे होंगे एक असली शिवसेना का निशान और चुनाव चिह्न या तो एकनाथ शिंदे के पास होगा या फिर विवाद की स्थिति में उद्धव ठाकरे के परिवार के पास भी शिवसेना और उसका चुनाव चिह्न नहीं रह जाएगा. इसका सियासी फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिलेगा. एक बहुत बड़ा सियासी फायदा बीजेपी को ये होगा कि वो महाराष्ट्र में एक मात्र हिंदुत्व की रक्षक पार्टी का तमगा हासिल कर लेगी.
प्रेस कॉन्फ्रेस में क्या बोले एकनाथ शिंदे?
हम उद्धव जी से लगातार शिवसेना को और हिंदुत्व को हो रहे नुकसान के बारे में बताते रहे लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. हम लोग बाला साहेब के हिंदुत्व को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. आने वाले स्थानीय निकाय के चुनाव और लोकसभा चुनावों में उद्धव ठाकरे के सामने अब खुद को सियासी रूप से ज़िंदा रखने के लिए या तो फिर से एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करना पड़ेगा और अगर ऐसा किया तो फिर उद्धव ठाकरे परिवार को हिंदुत्व की लाइन से भटकने के आरोप झेलने पड़ेंगे और अगर इन दलों का साथ नहीं लिया तो उद्धव परिवार के राजनीतिक वजूद खतरे में पड़ सकता है.
लोकसभा चुनावों से पहले क्या ये है बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक?
लोकसभा चुनावों (loksabha Election) के मद्देनजर बीजेपी (BJP) के रणनीतिकार इसे मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देख रहे हैं. एक तीर से महाविकास अघाड़ी (MVA) की सरकार गिरा दी. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) परिवार से बाला साहेब की विरासत छीन कर शिंदे के हाथ सौंप दी और शिवसेना (Shiv Sena) का वजूद भी खतरे में डाल दिया है, लोकसभा चुनावों की दृष्टि से बीजेपी फिलहाल इसे अपने लिए फायदे का सौदा मान रही है.
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