Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में पिछले कई दिनों से चल रहे सियासी घमासान का आज पटाक्षेप हो गया. शिवसेना से बगावत कर भाजपा (BJP) से हाथ मिलाने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) ने अपना बहुमत साबित कर लिया है. सोमवार का दिन महाराष्ट्र की नई नवेली सरकार के लिए अहम रहा. BJP ने जिस एकनाथ शिंदे को प्रदेश की कमान थमाई है, उन्होंने 164 मतों से बहुमत हासिल कर लिया है. वहीं, विपक्षी पार्टी महाविकास अघाड़ी (MVA) को कुल 99 वोट ही मिले. शिवसेना के सबसे खास कहे जाने वाले एकनाथ शिंदे की बगावत ने आखिरकार शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी महागठबंधन सरकार के लिए मुसीबत पैदा कर दी और उसका अंत तब हुआ जब BJP ने एकनाथ शिंदे को सीएम बनाया और अपनी ही पार्टी के सीएम के उम्मीदवार कहे जा रहे देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadanvis) को उपमुख्यमंत्री बना दिया. आज भाजपा का सियासी ख्वाब पूरा सा हो गया है, जिसकी टीस उसने ढ़ाई साल झेली है.


महाराष्ट्र में सियासत ने दोहराया इतिहास


कहा जाता है कि राजनीति में सत्ता के लिए साम-दाम-दंड-भेद सहित सभी तरीके आजमाए जाते हैं, इसकी पूरी की पूरी झलक महाराष्ट्र की राजनीति में बीते दिनों देखने को मिली. लेकिन, महाराष्ट्र में जो कुछ भी हुआ है वो कोई पहली बार नहीं हुआ है, या यूं कहें कि इतिहास ने फिर से खुद को दोहराया है. साल 2019 की विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए जैसे अचानक एनसीपी-शिवसेना और कांग्रेस ने आनन-फानन में महाविकास अघाड़ी नाम से गठबंधन बनाया और सत्ता हथिया ली. वैसे ही महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल शिवसेना के विधायकों ने कांग्रेस-एनसीपी पर आरोप लगाकर बगावत की और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली.


इसकी पूरी बिसात पहले ही बिछ चुकी थी. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के सबसे करीबी कहे जाने वाले एकनाथ शिंदे ने ही विभीषण की भूमिका निभाई और आज भाजपा अपनी खास रणनीति के तहत आज महाराष्ट्र में अपनी इच्छा पूरी करने में कामयाब हो गई. ढ़ाई साल के बाद भाजपा की मन्नत आखिरकार आज पूरी हो गई और महाराष्ट्र में फिर से भाजपा-शिवसेना के बागी गुट की सरकार ने बहुमत हासिल कर लिया है.


ढ़ाई साल बाद पूरी हुई भाजपा की मन्नत


ढ़ाई साल पहले शिवसेना ने भाजपा के हाथ से सत्ता का निवाला छीन लिया था. साल 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं और शिवसेना के साथ इस शर्त पर सरकार बनाने बात कही थी कि देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री बनेंगे. शिवसेना ने इस ऑफर को ठुकरा दिया था और कहा था कि गठबंधन में शामिल दोनों पार्टियों से दो नेता ढ़ाई-ढ़ाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन, भाजपा ने इस ऑफर को ठुकरा दिया और अजित पवार गुट के साथ सरकार बनाने की कोशिश की जो दो दिन भी नहीं चल सकी. फिर सियासी चाल चलते हुए शिवसेना ने रातों रात कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन बनाया और सरकार बना ली. इससे भाजपा को बहुत बड़ा आघात लगा था और वह हाथ मलती रह गई.


भाजपा ने महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार बनने के बाद कहा था कि हमारे साथ धोखा हुआ है. तब से भाजपा ने कई बार महाविकास अघाड़ी गठबंधन में परोक्ष रूप से दरार डालने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सकी. साथ ही भाजपा ने तब ये भी कहा था कि हमें कुछ करने की जरूरत नहीं है, ये सरकार खुद के ही अंतर्कलह के कारण गिर जाएगी और हुआ भी वही. महाराष्ट्र में भाजपा ने बड़े ही सधे तरीके से राजनीतिक दांव-पेंच खेले, जिससे कोई भी उसपर आरोप ना लगाए. अब ढ़ाई साल के बाद भाजपा का निशाना सही लगा और महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल शिवसेना तितर-बितर हो गई है. शिवसेना के बाद अब कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के भी बगावत करने की बात कही जा रही है. 


भाजपा ने चली सधी सियासी चाल


ये सब भाजपा के लिए उतना आसान नहीं था. उद्धव ठाकरे के खिलाफ भाजपा ने खास रणनीति तैयार की और उसके लिए कई तरह की चालें चली गईं. कोविड काल में महाराष्ट्र के सीएम रहे उद्धव ठाकरे के बढ़ते कद और उनकी प्रशंसा को लेकर भाजपा चिंतित थी और उसके सारे दांव फेल हो रहे थे. उसके बाद महाराष्ट्र में ईडी, सीबीआई-इनकम टैक्स विभाग काफी सक्रिय रहे और सरकार में शामिल कई नेताओं की परेशानी लगातार बढ़ती गई. इसके बाद शिवसेना के भीतर नेताओं के डर और पार्टी की अंतर्कलह धीरे-धीरे सामने आने लगी. राज्यसभा और फिर विधानपरिषद चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी के खिलाफ क्रॉस वोटिंग का आरोप लगाकर एकनाथ शिंदे ने पार्टी में बगावत कर दी और अचानक 29 विधायकों को लेकर गायब हो गए. शिंदे ने उद्धव ठाकरे से साफ कह दिया कि वो कांग्रेस-एनसीपी का साथ छोड़कर भाजपा के साथ आएं और सरकार बनाएं. 


साल 2019 के बाद एकबार फिर महाराष्ट्र में सियासी तूफान आया और अब थम गया है. इस तूफान ने जहां शिवसेना को भारी नुकसान पहुंचाया है, तो वहीं महाविकास अघाड़ी गठबंधन को भी कमजोर कर गया है. हालांकि शिवसेना नेताओं का कहना है कि हम फिर से सत्ता में आएंगे, लेकिन अभी ये इतना आसान नहीं है. अब महाराष्ट्र में विपक्ष को 99 का जो चक्कर लगा है वो उससे  जल्दी उबर नहीं पाएगी.


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