Shiv Sena On Ajit Pawar Row: एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार के बीजेपी (BJP) में जाने की अटकलों के बाद महाराष्ट्र में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. इस मामले पर अब शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) की ओर से भी बड़ा बयान दिया गया है. शिवसेना (Shiv Sena) के प्रवक्ता संजय शिरसाट (Sanjay Shirsat) ने कहा कि अगर अजित पवार एनसीपी (NCP) के नेताओं के समूह के साथ बीजेपी के साथ हाथ मिलाते हैं तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) महाराष्ट्र में सरकार का हिस्सा नहीं रहेंगे.
संजय शिरसाट ने मंगलवार (18 अप्रैल) को मुंबई में कहा कि उन्हें लगता है कि एनसीपी प्रत्यक्ष रूप से बीजेपी से हाथ नहीं मिलाएगी. महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना और बीजेपी की गठबंधन सरकार है. शिरसाट ने कहा कि हमारी रणनीति स्पष्ट है. एनसीपी वह पार्टी है जो धोखा देती है. हम उनके साथ मिलकर शासन नहीं करेंगे. अगर बीजेपी, एनसीपी के साथ जाती है तो महाराष्ट्र को ये पसंद नहीं आएगा. हमने (उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना से) बाहर होने का फैसला किया क्योंकि लोगों को हमारा कांग्रेस और एनसीपी के साथ होना पसंद नहीं था.
"अगर अकेले आए तो स्वागत है"
शिरसाट ने कहा कि अजित पवार ने कुछ नहीं कहा है. इसका मतलब है कि वह एनीसीपी में नहीं रहना चाहते. शिवसेना के नेता ने कहा कि हमने कांग्रेस और एनसीपी को छोड़ा, क्योंकि हम उनके साथ नहीं रहना चाहते थे. अजित पवार को वहां पूरी आजादी नहीं है. इसलिए अगर वह एनसीपी को छोड़ते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे. अगर वे एनसीपी के नेताओं के साथ आएंगे तो हम सरकार का हिस्सा नहीं रहेंगे.
"बेटे के चुनाव हारने की वजह से नाराज"
शिवसेना प्रवक्ता ने कहा कि अजित पवार अपने बेटे पार्थ पवार के चुनाव हारने की वजह से नाराज हैं. उनकी नाराजगी का सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका के मामले से कोई संबंध नहीं है. पार्थ पवार को 2019 लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र के मावल निर्वाचन क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा था.
शिरसाट को हाल ही में एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना का प्रवक्ता नियुक्त किया गया था. उन्होंने कहा कि अजित पवार का संपर्क में नहीं होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन उनकी नाराजगी, जो मीडिया की ओर से दिखाई जा रही है और हमारे मामले (सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित) का कोई संबंध नहीं है. अजित पवार उनके बेटे पार्थ पवार की हार की वजह से नाराज हैं.
2019 के शपथ ग्रहण समारोह का किया जिक्र
उन्होंने कहा कि नवंबर 2019 में आयोजित हुए शपथ ग्रहण समारोह, जिसमें देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली थी, उसके लिए अजित पवार को जिम्मेदार ठहराया गया था. ढाई साल के बाद, शरद पवार ने कहा कि यह राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए एक प्रयोग था. अजित पवार ने आज तक इस पर स्पष्टीकरण नहीं दिया है. नवंबर 2019 में गुपचुप तरीके से बनाई गई देवेंद्र फडणवीस-अजित पवार सरकार तीन दिन ही टिक सकी थी.
अजित पवार ने अटकलें की खारिज
शिरसाट ने कहा कि अजित पवार बड़े नेता हैं और उनके मन में क्या चल रहा है, ये वो आसानी से नहीं बताते. बीजेपी की जाने की अफवाहों को खारिज करते हुए अजित पवार ने कहा है कि मैं जब तक जीवित हूं, अपनी पार्टी के लिए काम करता रहूंगा. एनसीपी में किसी तरह के मतभेद और उनके बीजेपी से हाथ मिलाने की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है. हम सभी (पार्टी विधायक) एनसीपी के साथ हैं.
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