मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने आज से धर्मस्थलों को खोलने की इजाजत दे दी है, जिसके बाद से इस मुद्दे पर बीते महीने भर से चल रही सियासत भी खत्म हो गई. राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी इस मुद्दे को लेकर ठाकरे सरकार को घेर रही थी.


मुंबई के मशहूर श्री सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबादेवी मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर और शिरडी के साईं बाबा का मंदिर जिनके दरवाजे भक्तों के लिए बीते 7 महीनों से बंद थे, आज खुल गये. सुबह से ही इन मंदिरों में दर्शनार्थियों का आना भी शुरू हो गया. हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने धर्मस्थलों को खोले जाने की इजाजत तो दे दी है, लेकिन कई सारे नियम भी बनाये गये हैं जैसे की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य है और मंदिर में सीमित संख्या में ही भक्तों को प्रवेश दिया जायेगा. मंदिरों के साथ साथ दरगाहें और दूसरे धर्मस्थल भी कुल गये हैं. मुंबई की माहिम दरगाह और हाजी अली दरगाह पर लोग आने शुरू हो गये.


धर्मस्थलों को खोलने को लेकर ठाकरे सरकार और विपक्ष के बीच खूब तनातनी हुई. बीजेपी सरकार पर धर्मस्थलों को खोलने का दबाव बना रही थी तो वहीं सरकार का कहना था कि ऐसा करना जोखिम भरा है. धर्मस्थलों पर होने वाली भीड़ की वजह से कोरोना के मामले बेतहाशा बढ़ सकते हैं. महाराष्ट्र देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्यों में रहा है.


इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच शाब्दिक टकराव भी हुआ. कोश्यारी ने ठाकरे को खत लिखते हुए कहा कि जब राज्य में बार और रेस्तरां खोले जा सकते हैं तो फिर मंदिर क्यों नहीं. उन्होंने अपने खत में सवाल किया कि क्या उद्धव ठाकरे सेक्युलर हो गये हैं?


कोश्यारी के इस खत से ठाकरे भड़क गये और उन्होंने कोश्यारी को एक जवाबी खत लिखा. ठाकरे ने कहा कि उन्हें कोश्यारी से हिंदुत्व का सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है. कोश्यारी के खत से एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी आहत हुए. उन्होंने प्रधानमंत्री से कोश्यारी की शिकायत करते हुए लिखा कि ठाकरे को कोश्यारी ने जिस भाषा में खत लिखा है उससे उन्हें झटका लगा है. इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कोश्यारी को खत में बेहतर भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए था.


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