(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Explainer: उद्धव ठाकरे को कुर्सी के बाद अब पार्टी खोने का डर, जानिए कानूनी लड़ाई में किसका पलड़ा भारी
Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे इस्तीफा देने के बाद पहली बार शुक्रवार को जनता के सामने आए. उन्होंने दावा किया कि कोई भी 'धनुष-बाण' को शिवसेना (Shiv Sena) से नहीं ले सकता.
Maharashtra Shiv Sena Politics: महाराष्ट्र में शिवसेना से बगावत करके एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) सरकार बनाने में सफल तो हो गए, लेकिन अभी चुनाव चिह्न को लेकर जंग जारी है. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और एकनाथ शिंदे के बीच असली और नकली शिवसेना को लेकर संघर्ष जारी है. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे चुनाव 'धनुष-बाण' पर समझौते के मूड में नहीं दिख रहे हैं. उद्धव का कहना है कि धनुष बाण शिवसेना (Shiv Sena) का है और रहेगा. वहीं विधायकों की अयोग्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस्तीफा देने के बाद पहली बार शुक्रवार को जनता के सामने आए. इस दौरान उन्होंने दावा किया कि कोई भी 'धनुष-बाण' के चिन्ह को शिवसेना से नहीं ले सकता.
चुनाव चिह्न पर क्या बोले उद्धव ठाकरे?
उद्धव ठाकरे ने कहा कि ये पहली बार नहीं है जब पार्टी को इस तरह से बगावत का सामना करना पड़ा है. विधायक आते-जाते रहते हैं, लेकिन इससे पार्टी का वजूद समाप्त नहीं होता है. ठाणे और नवी मुंबई से पार्षदों के गुट बदलने को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा कि जो पार्षद एकनाथ शिंदे के साथ हैं, वे उनके साथ जुड़ रहे हैं. उद्धव ठाकरे ने तंज कसते हुए कहा कि जो नेता शिवसेना की मदद से आगे बढ़े वो छोड़कर चले गए, लेकिन जिन लोगों ने शिवसेना को बड़ा बनाया वो अभी भी हमारे साथ हैं.
सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका
उद्धव ठाकरे खेमा चुनाव चिह्न को लेकर समझौते और कानूनी लड़ाई को लेकर पीछे हटने के मूड में नहीं है. उद्धव ठाकरे गुट ने शुक्रवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के ओर से शिंदे गुट और बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की. इस याचिका में शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई ने कहा कि राज्यपाल की ओर से एकनाथ शिंदे को नए गठबंधन का मुख्यमंत्री और शिवसेना के 39 बागी विधायकों के प्रमुख के रूप में बुलाना असंवैधानिक.
11 जुलाई को सुनवाई
महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर की ओर से एकनाथ शिंदे गुट को मान्यता देने के बाद उद्धव ठाकरे कैंप ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. ठाकरे और शिंदे दोनों ही गुट की तरफ से असली शिवसेना की दावेदारी की जा रही है. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे गुट की ओर से निलंबन और बागी विधायकों की अयोग्यता की मांग करने वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. इस पर 11 जुलाई को अहम सुनवाई होगी. उद्धव ठाकरे को न्यायपालिका पर भरोसा है. उद्धव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का 11 जुलाई का फैसला, न केवल शिवसेना का बल्कि भारतीय लोकतंत्र का भविष्य तय करेगा.
क्या छिन सकता है चुनाव चिह्न?
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे का गुट दोनों ही चुनाव चिह्न धनुष-बाण पर दावा कर रहे हैं. दोनों गुट की तरफ से विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग है. कहा जा रहा है कि असली और नकली की लड़ाई में शिवसेना का असली चुनाव निशान भी छिना जा सकता है. चुनाव आयोग दोनों ही दलों को अलग-अलग निशान दे सकता है.
उद्धव ठाकरे के पास अब कितने विधायक?
महाराष्ट्र में शिवसेना के 55 विधायको में से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट में 40 और ठाकरे की शिवसेना में कुल 15 विधायक हैं. सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ अब चुनाव आयोग के सामने भी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे को शिवसेना पार्टी पर दावा करने के लिए कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ेगा. ऐसे में पार्टी के चुनाव चिह्न धनुष-बाण रद्द होने की संभावना है. हालांकि 40 विधायकों के समर्थन वाले शिंदे गुट का पलड़ा भारी दिख रहा है.
बिहार में LJP में कुछ ऐसा ही हुआ था?
महाराष्ट्र में शिवसेना (Shiv Sena) की लड़ाई बिहार में एलजेपी के चिराग पासवान की लड़ाई की तरह ही है. चिराग पासवान को पिछले साल जून महीने में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. चिराग पासवान का पत्ता काटकर उनके अपने ही चाचा पशुपति पारस ने एलजेपी का नेतृत्व अपने हाथ में ले लिया था. अपने पिता रामविलास पासवान की बनाई पार्टी से बाहर किए जाने के बाद चिराग पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) नाम से नई पार्टी बनाई थी. ऐसा माना जा रहा है कि इसी तर्ज पर महाराष्ट्र में भी शिवसेना के चुनाव चिह्न (Shiv Sena Symbol) की लड़ाई का अंजाम हो सकता है.
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