Maharashtra Politics: '...तो मैं क्या कहता कि मत दो इस्तीफा', SC की तीखी टिप्पणी पर तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का पहला बयान
Maharashtra News: सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के मामले में फैसले सुनाते हुए माना कि महाराष्ट्र के राज्यपाल का निर्णय भारत के संविधान के अनुसार नहीं था.
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Bhagat Singh Koshyari On SC Verdict: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर फैसला सुनाते हुए गुरुवार (11 मई) को राज्य के तत्कालीन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी पर तीखी टिप्पणी की. जिस पर पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की प्रतिक्रिया भी आई है. उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ संसदीय और विधायी परंपरा जानता हूं और उस हिसाब से मैंने तब जो कदम उठाए सोच-समझकर उठाए. जब इस्तीफा मेरे पास आ गया तो मैं क्या कहता कि मत दो इस्तीफा.
इससे पहले शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है.
"गवर्नर का फैसला संविधान के अनुसार नहीं था"
कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई संचार नहीं था. जिससे ये संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं. राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं. महाराष्ट्र के गवर्नर का फैसला संविधान के अनुसार नहीं था.
सात जजों की बेंच को भेजा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल की ओर से तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं था. हालांकि कोर्ट ने पूर्व की स्थिति बहाल करने से इनकार करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य करार देने के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार से जुड़े पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के 2016 के नबाम रेबिया फैसले को सात जजों की बड़ी पीठ को भी भेज दिया.
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