Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत में माहौल गर्म है. कहा जा रहा है कि एनसीपी के विधायक तोड़कर अजित पवार (Ajit Pawar) बीजेपी (BJP) में शामिल हो सकते हैं. हालांकि एनसीपी (NCP) चीफ शरद पवार (Sharad Pawar) और उनके भतीजे अजित पवार ने खुद इन खबरों का खंडन किया है, लेकिन शिंदे गुट और सुप्रिया सुले के बयान से तो लग रहा है कि वाकई कुछ बड़ा होने वाला है. जानिए इस मामले से जुड़ी बड़ी बातें. 


1. एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार के बीजेपी में जाने की अटकलें तेज हो गईं. इसी बीच मंगलवार (18 अप्रैल) को अजित पवार ने पार्टी सिंबल वाली फोटो को अपने ट्विटर और फेसबुक अकाउंट से से हटा दिया था. जिसके बाद उनके पार्टी छोड़ने की अटकलों का बाजार और गर्म हो गया.


2. अजित पवार ने मंगलवार को कहा कि वह जब तक जीवित हैं, अपनी पार्टी के लिए काम करते रहेंगे. इसके साथ ही पवार ने उन अटकलों को खारिज कर दिया कि वह और उनके करीबी विधायक बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकते हैं. पवार ने उन खबरों को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने एनसीपी के 53 में से 40 विधायकों के हस्ताक्षर लिए हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की खबरें पार्टी कार्यकर्ताओं को आहत करती हैं और उनमें भ्रम होता है. हम सभी (पार्टी विधायक) एनसीपी के साथ हैं. 


3. एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार को लेकर फैली अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी विधायकों की किसी ने कोई बैठक नहीं बुलाई है. उन्होंने कहा कि अजित पवार पार्टी के कामकाज में व्यस्त हैं और मीडिया को इस मुद्दे को बढ़ाने की जरूरत नहीं है. शरद पवार ने कहा कि इन सब पर बात करने का कोई फायदा नहीं है. इन खबरों का कोई मतलब नहीं है. मैं एनसीपी और अपने सभी साथियों के बारे में यह कह सकता हूं कि हमारी बस एक सोच है कि पार्टी को कैसे मजबूत बनाया जाए और किसी के मन में कोई और विचार नहीं है.


4. मुंबई के इस्लाम जिमखाना में मंगलवार शाम को एनसीपी की इफ्तार पार्टी भी हुई. अजित पवार अपने चाचा और पार्टी प्रमुख शरद पवार के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए. सुप्रिया सुले, दिलीप वाल्से-पाटिल और जितेंद्र आव्हाड समेत कई नेताओं ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की.


5. अजित पवार को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर एनसीपी सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के एक बयान से सस्पेंस और बढ़ गया. सुप्रिया ने कहा कि अगले 15 दिनों में दो बड़े पॉलिटिकल विस्फोट होंगे. एक दिल्ली में तो दूसरा महाराष्ट्र में. तो क्या अजित पवार की पार्टी छोड़ने वाली अफवाह पहला राजनीतिक धमाका है. अगर हां, तो दिल्ली में क्या होने वाला है? सुप्रिया सुले के दावे में कितना दम है, ये तो 15 दिन में पता चल जाएगा, लेकिन उससे पहले सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने अजित पवार को रिझाना शुरू कर दिया है. 


6. एकनाथ शिंदे गुट के प्रवक्ता नरेश म्हसके ने कहा कि अगर अजित दादा एनसीपी के कुछ लोगों को लेकर आते हैं तो उनका स्वागत है. महाराष्ट्र सरकार के मंत्री उदय सावंत ने भी कहा कि अजित पवार का स्वागत है. उन्होंने कहा कि अजित पवार के पास अच्छा अनुभव है, वो एक बड़े नेता हैं और हमने उनके साथ काम किया है.


7. इसी बीच उद्धव ठाकरे गुट के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि अजित पवार ने जो स्पष्टीकरण दिया है वो बहुत महत्वपुर्ण है. जिस तरह से यहां के कुछ लोग, पार्टियां, खासतौर पर बीजेपी जो माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रही थी, या फिर केंद्रीय जांच एजेंसी का इस्तेमाल करके शिवसेना, एनसीपी या कांग्रेस में फूट डालने की कोशिश दबाव तंत्र से कर रही थी, उनको आज अजित पवार ने जवाब दिया है. आखिरी दम तक अजित पवार महाविकास अघाड़ी के घटक रहेंगे. 


8. संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र की बात करें तो महाविकास अघाड़ी को विधानसभा चुनाव में 180-185 सीटें और लोकसभा चुनाव में कम से कम 40 सीटें मिलेंगी. देश में बीजेपी की 110 सीटें कम हो रही हैं. इसका मतलब है कि 2024 में शत प्रतिशत सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है. 


9. अजित पवार के अगले राजनीतिक कदम को लेकर अफवाहें पिछले हफ्ते तब शुरू हुई थीं जब उन्होंने अचानक अपनी पूर्व-निर्धारित बैठकें रद्द कर दीं और ऐसी टिप्पणियां कीं जिन्हें बीजेपी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खेमे के प्रति उनके रुख में नरमी माना गया. संजय राउत ने रविवार को अफवाहों को ये कहकर और हवा दे दी थी कि शरद पवार ने हाल ही में उद्धव ठाकरे से कहा था कि उनकी पार्टी कभी भी बीजेपी से हाथ नहीं मिलाएगी, भले ही कोई व्यक्तिगत स्तर पर ऐसा निर्णय क्यों न ले.


10. अजित पवार तीन साल पहले बीजेपी के साथ डबल गेम खेल चुके हैं. अब बीजेपी छाछ फूंक-फूंक कर पी रही है. मुमकिन है कि एनसीपी का अगला चीफ कौन होगा इसे लेकर अजित पवार और सुप्रिया सुले में होड़ हो. सियासत में कुछ भी हो सकता है इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि जिस तरह शिवसेना तोड़कर शिंदे ने शिवसेना पर ही कब्जा कर लिया, उसी तरह कहीं एनसीपी में भी तो बड़ा गेम नहीं होने वाला.


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