Maharashtra Politics: फडणवीस ने 2017 में क्यों छोड़ दिया था बीएमसी महापौर का पद? शिंदे ने दिया जवाब
Maharashtra Political Crisis: शिंदे ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस चाहते तो बीएमसी जीत सकते थे और बीजेपी का महापौर बना सकते थे, लेकिन उन्होंने यह पद शिवसेना को दे दिया था. ऐसे में एहसान फरामोश कौन है.
Maharashtra News: महाराष्ट्र में मचे सियासी बवाल के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि 2017 में देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) का महापौर का पद छोड़ दिया था. उन्होंने बताया कि फडणवीस ने उनके अनुरोध पर ऐसा किया था. उन्होंने शनिवार (15 जुलाई) को शिवसेना (शिंदे गुट) के एक सम्मेलन के दौरान यह बात कही. शिंदे ने तंज कसते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे ने दो साल बाद बीजेपी से गठबंधन तोड़कर इसका कर्ज चुकाया है.
मुख्यमंत्री ने कहा, "बीजेपी 2017 के निकाय चुनाव में बीएमसी लगभग जीत चुकी थी. उस समय देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे. हमारे प्रमुख (उद्धव ठाकरे) ने कहा कि बीएमसी पर हमारा नियंत्रण रहा है और यह हमारे हाथ से नहीं जानी चाहिए." उन्होंने आगे कहा कि अगर फडणवीस ठान लेते, तो महापौर भाजपा का ही होता, लेकिन मैंने उनसे कहा कि हम सरकार में हैं, एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं और हमारे बॉस (उद्धव) का दिल मुंबई में है, इसलिए आप शिवसेना के लिए मुंबई छोड़ दीजिए."
उद्धव ठाकरे को बताया एहसान फरामोश
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके अनुरोध पर देवेंद्र ने मुंबई छोड़ दी थी, लेकिन उद्धव ने इसका कर्ज कैसे चुकाया. उन्होंने कहा कि उद्धव ने 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होने पर 40 से 50 फोन कॉल नजरअंदाज किए और फिर एनसीपी एवं कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली. शिंदे ने यह भी कहा कि पिछले 7 सालों में देवेंद्र फडणवीस ने एक बार भी इसका जिक्र नहीं किया कि वह चाहते तो बीएमसी जीत सकते थे और बीजेपी का महापौर बना सकते थे, लेकिन उन्होंने यह पद शिवसेना को दे दिया था. ऐसे में एहसान फरामोश कौन है. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) पर 1997 से 2022 तक शिवसेना का कब्जा रहा. देश के सबसे अमीर नगर निकाय के चुनाव पिछले एक साल से लंबित हैं.
अजित पवार गुट के शामिल होने पर मंत्रियों को दिया यह आश्वासन
इससे कुछ दिन पहले ही शिंदे ने अपने मंत्रियों को आश्वासन दिया था कि एनसीपी के अजित पवार गुट के उनकी सरकार में शामिल होने के बाद उन्हें किसी बात की फिक्र करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि राजनीति में कुछ समीकरण बनाने पड़ते हैं. घटनाक्रम को देखिए, अजित पवार ने भी हमारी सरकार का समर्थन किया है.
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