कभी कभी किसी के जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जो किसी को कहीं से कहीं पहुंचा देती है. महीने भर पहले तक उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम थे और अब उनकी जगह एकनाथ शिंदे सीएम हैं. अपने हाथ से अचानक इस तरह से राज्य की सत्ता के छिन जाने और शिवसेना पर उनके प्रभुत्व को लेकर खडे हुए सवालिया निशान ने उद्धव ठाकरे को बदल कर रख दिया है.
बगावत ने बदल दी ठाकरे की शख्सियत
उद्धव ठाकरे अब वो सबकुछ करते हैं जो वे पहले कभी नहीं करते थे. जिन लोगों ने सालों से उनको देखा है उनके मुताबिक ठाकरे के व्यक्तित्व में बड़ा बदलाव आया है. उद्धव ठाकरे पर हमेशा ये आरोप लगता रहा है कि वे अपने लोगों के लिये उपलब्ध नहीं रहते हैं. उन्होंने ने अपने करीबी लोगों की एक कोटरी बना रखी है बस वे उनके साथ ही उठते-बैठते हैं बाकी नेताओं और कार्यकर्ताओं से उनकी मुलाकात नहीं होती. लेकिन सत्ता छिनने के बाद उद्धव ने अपना नजरिया बदल दिया है.
पार्टी-पदाधिकारियों को देनी शुरू की तरजीह
उद्धव ठाकरे ने बगावत के बाद अपने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ मेल-मिलाप शुरू कर दिया है. जब से वह सीएम पद से हटे हैं तब से आये दिन वे पार्टी मुख्यालय शिवसेना भवन जा रहे हैं. पार्टी के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं. अपने घर पर भी वे पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से मिलते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस करनी बंद कर दी थी. उद्धव ने भी सीएम बनने के बाद उनसे प्रेरणा ली और प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी बंद कर दी. जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी अपने मन की बात कार्यक्रम के जरिए जनता तक अपने विचार पहुंचाते हैं ठीक उसी तरह से ठाकरे भी फेसबुक लाईव के जरिये जनता के साथ एकतरफा संवाद करते थे. पत्रकारों को उनसे सवाल पूछने का मौका नहीं मिल पाता था.
मुंबई से बाहर सफर नहीं करते थे उद्धव
उद्धव के इस व्यवहार में भी अब बदलाव आया है. जबसे उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री से पूर्व मुख्यमंत्री हुए हैं मीडिया के साथ भी उनका व्यवहार बदला है. अब तक वह दो बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुके हैं. उद्धव ठाकरे आमतौर पर मुंबई के बाहर ज्यादा सफर नहीं करते, कभी कोई आपदा हुई या फिर कोई बड़ी राजनीतिक सभा हुई तो वो मुंबई के बाहर चले जाते थे लेकिन अब इस सोच में बदलाव आया है. उनके बेटे आदित्य ठाकरे राज्यभर के कई शहरों में शिव संवाद यात्रा कर रहे हैं. उद्धव ने ऐलान किया है कि अगले महीने भी वे राज्य के दौरे पर निकलेंगे.
पिता और भाई जैसी नहीं है आक्रामकता
राजनीतिक जगत में उद्धव ठाकरे को एक विनम्र स्वभाव के नेता के तौर पर देखा गया है. उनके भाषणों में पिता बाल ठाकरे और चचेरे भाई राज ठाकरे जैसी आक्रमकता नहीं है. वे धमकाने वाली या फिर गालियों वाली भाषा का इस्तेमाल आम तौर पर नहीं करते हैं लेकिन अब इनके व्यकित्तव में काफी बदलाव आया है. अब वे बागियों के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अपशब्दों का इस्तेमाल करने से भी नहीं हिचक रहे हैं. रविवार शाम को मुंबई की सभा में दिया गया उनका भाषण इसकी मिसाल है.
क्या है उद्धव में बदलाव की बड़ी वजह?
उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) अपने आप में ये तमाम बदलाव इसलिए लेकर आए हैं ताकि सरकार के बाद पार्टी को अपने हाथों से जाने से बचा सकें. हालांकि सियासी हलकों में माना जा रहा है कि अब काफी देर हो चुकी है. उद्धव ने अगर ये सब पहले ही कर लिया होता तो इतनी बड़ी बगावत होती ही नहीं.
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