(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maharashtra Politics: 'बागियों का साथ देकर विधानसभा- लोकसभा अध्यक्ष ने तोड़े नियम', संजय राउत का गंभीर आरोप
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार पिछले महीने शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे के साथ 39 अन्य विधायकों के पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने के बाद गिर गई थी.
Maharashtra Politics: शिवसेना (Shiv Sena) सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने रविवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Legislative Assembly) अध्यक्ष और लोकसभा अध्यक्ष ने शिवसेना (Shiv Sena) के बागी विधायकों और सांसदों के समूह को मान्यता देकर संवैधानिक मानदंडों (Constitutional Norms) का उल्लंघन किया है.
राउत ने कहा कि यह कार्रवाई एक मंदिर के पुजारी द्वारा दान पेटी को लूटने और मंदिर के न्यासियों द्वारा इसके गुंबद को काटने के समान है. राउत ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित अपने साप्ताहिक स्तंभ में दावा किया कि देश में लोकतंत्र के मंदिरों में भी ऐसी ही चीजें हो रही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को बचाने की कोशिश कर रही है, ताकि शिवसेना को खत्म किया जा सके.
महाराष्ट्र में कैसे गिरी एमवीए की सरकार?
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार पिछले महीने शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे के साथ 39 अन्य विधायकों के पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने के बाद गिर गई थी. शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री पद की और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. लोकसभा में शिवसेना के 19 सांसदों में से 12 शिंदे खेमे को समर्थन दे रहे हैं. मुख्यमंत्री शिंदे ने मंगलवार को कहा था कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद के निचले सदन में राहुल शेवाले को शिवसेना नेता के रूप में मान्यता दी है.
राउत ने स्पीकर पर किया संवैधानिक मानदंडों के उल्लंघन का आरोप
राउत ने लेख में दावा किया कि महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया और लोकसभा में भी तस्वीर इससे अलग नहीं थी. ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक राउत ने कहा कि बागी विधायक और सांसद अब केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच से मुक्त हैं.
लोकसभा में कौन है शिवसेना के संसदीय दल का नेता?
शिवसेना (Shiv Sena) के मुख्य प्रवक्ता ने दावा किया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) ने पार्टी सांसद विनायक राउत (Vinayak Raut) के पत्र का संज्ञान लिए बिना शिवसेना सांसदों के समूह को मान्यता दे दी. विनायक राउत ने सोमवार रात लोकसभा अध्यक्ष को सौंपे अपने पत्र में कहा था कि वह शिवसेना संसदीय दल के ‘विधिवत नियुक्त’ नेता हैं और राजन विचारे मुख्य सचेतक हैं.