Sharad Pawar Resignation: शरद पवार ने मंगलवार (2 मई) को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा की. उनके इस एलान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) में हलचल मच गई. बीते कई दिनों से उनके भतीजे और पार्टी नेता अजित पवार (Ajit Pawar) के पार्टी छोड़ने को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं. इस बीच शरद पवार की इस घोषणा ने सबको चौंका दिया. जानिए इस सियासी सरगर्मी से जुड़ी बड़ी बातें.
1. शरद पवार ने मुंबई में अपनी आत्मकथा 'लोक माझे सांगाती' के संशोधित संस्करण के विमोचन के अवसर पर पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ने का एलान किया. पवार ने कहा कि उनकी राजनीतिक यात्रा एक मई, 1960 को शुरू हुई थी और पिछले 63 वर्ष से अनवरत जारी है. उन्होंने कहा कि इतने वर्षों में उन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए महाराष्ट्र और देश की सेवा की है.
2. उन्होंने कहा कि मेरी राज्यसभा की सदस्यता का तीन वर्ष का कार्यकाल बाकी है. इस दौरान मैं बिना किसी पद के महाराष्ट्र और देश के मुद्दों पर ध्यान दूंगा. एक मई, 1960 से एक मई, 2023 की लंबी अवधि में एक कदम पीछे लेना जरूरी है. इसलिए, मैंने एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला किया है. जयंत पाटिल और पार्टी नेता जितेंद्र चव्हाण अपने वरिष्ठ नेता की घोषणा के बाद रो पड़े, वहीं पार्टी सांसद प्रफुल्ल पटेल ने हाथ जोड़कर पवार से उनका फैसला वापस लेने की विनती की.
3. शरद पवार के इस्तीफा देने का एलान करने का बाद एनसीपी कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू कर दिया. सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शरद पवार ने अपने इस्तीफे की घोषणा करने से पहले किसी को विश्वास में नहीं लिया. शरद पवार ने उनके इस्तीफे का विरोध कर रहे भावुक कार्यकर्ताओं से कहा कि मैं आपके साथ हूं, लेकिन एनसीपी अध्यक्ष के रूप में नहीं. शरद पवार के इस्तीफे के बाद उद्धव ठाकरे गुट में भी खलबली मच गई और मातोश्री पर संजय राउत समेत कई नेता पहुंचे.
4. शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद खाली होने पर इसके लिए चुनाव का फैसला करने के लिए एनसीपी नेताओं की एक समिति बनाने की सिफारिश की. उन्होंने कहा कि समिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल होने चाहिए जिनमें प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, केके शर्मा, पीसी चाको, अजित पवार, जयंत पाटिल, सुप्रिया सुले, छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल, अनिल देशमुख, राजेश टोपे, जितेंद्र अव्हाड, हसन मुशरिफ, धनंजय मुंडे और जयदेव गायकवाड़ हैं. पवार ने कहा कि इसमें पदेन सदस्य फौजिया खान (अध्यक्ष, राष्ट्रवादी महिला कांग्रेस), धीरज शर्मा (अध्यक्ष, राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस) और सोनिया दुहन (अध्यक्ष, राष्ट्रवादी छात्र कांग्रेस) भी होने चाहिए.
5. अपने फैसले की घोषणा करने के बाद शरद पवार कार्यक्रम स्थल पर दो घंटे तक रहने के दौरान बमुश्किल बोल पाए. पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने कहा कि जब तक शरद पवार इस्तीफा देने के अपने फैसले को वापस नहीं लेते, तब तक वे कार्यक्रम स्थल से नहीं हटेंगे. पार्टी के कई पदाधिकारियों ने इस्तीफा देने की भी बात कही. आखिर में शरद पवार दोपहर करीब 2.30 बजे अपने आवास 'सिल्वर ओक' के लिए रवाना हुए. अजित पवार ने कहा कि उम्र को देखते हुए फैसला लिया गया है और अब फैसला पलटने वाला नहीं है. हालांकि इसके बाद भी कई कार्यकर्ताओं ने अजित पवार की बात का विरोध किया और शरद पवार से इस्तीफा वापस लेने की मांग की.
6. प्रदर्शन कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को मनाने की कोशिश के तहत शरद पवार ने कहा कि अपने फैसले पर सोचने के लिए उन्हें दो-तीन दिन का वक्त चाहिए. पार्टी कार्यकर्ताओं को शरद पवार के संदेश से अवगत कराते हुए अजित पवार ने पार्टी पदाधिकारियों से भी आग्रह किया कि वे उनके (शरद पवार के) इस अप्रत्याशित फैसले के विरोध में अपने पदों से इस्तीफा नहीं दें. अजित पवार ने कहा कि उन्होंने (शरद पवार ने) कहा है कि उन्होंने फैसला कर लिया है, लेकिन आपके आग्रह पर इस पर सोचने के लिए उन्हें दो-तीन दिन का वक्त चाहिए. हालांकि, वह इस बारे में तभी सोचेंगे, जब सभी कार्यकर्ता अपने-अपने घर लौट जाएंगे.
7. शरद पवार की घोषणा उनकी बेटी सुप्रिया सुले के राजनीतिक विस्फोट वाले बयान के कुछ दिनों बाद आई है. हाल ही में सुप्रिया सुले ने कहा था कि आने वाले 15 दिनों में दो राजनीतिक विस्फोट होंगे, एक दिल्ली में और दूसरा महाराष्ट्र में. शरद पवार के इस्तीफे को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि शायद सुप्रिया को शरद पवार के इस फैसले की जानकारी थी. अब उनके दिल्ली वाले राजनीतिक विस्फोट को लेकर भी कई कयास लगाए जा रहे हैं.
8. महाराष्ट्र की राजनीति पर पकड़ रखने वाले बताते हैं कि एनसीपी में अंदरखाने दो खेमे हैं. एक शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले का खेमा है तो दूसरा शरद पवार के भतीजे अजित पवार का. दोनों खुद को शरद पवार की सियासत के वारिस मानते हैं. ऐसे में अगर शरद पवार के बाद पार्टी की कमान किसी एक के हाथ में जाती है तो फिर दूसरे का बागी होना तय मानिए. वैसे भी पिछले कुछ दिनों से ये बात महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा में है कि अजित पवार बीजेपी से हाथ मिला सकते हैं.
9. पार्टी के अंदर का एक खेमा बीजेपी के साथ गठबंधन के पक्ष में है जबकि दूसरा खेमा अघाड़ी में बना रहना चाहता है. पिछले हफ्ते शरद पवार ने रोटी पलटने वाला बयान दिया था जिसके बाद ये माना जा रहा था कि कुछ न कुछ होने वाला है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर शरद पवार बीजेपी के साथ जाने का रास्ता तैयार कर रहे हैं. शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में बीजेपी को लेकर 2019 के चुनाव परिणाम से जुड़े एक किस्से का भी जिक्र किया है. उन्होंने लिखा कि बीजेपी के कुछ नेताओं ने मेरी पार्टी के कुछ नेताओं से अनौपचारिक बातचीत भी की. मैं इसका हिस्सा नहीं था, लेकिन बातचीत बहुत ही अनौपचारिक स्तर पर हुई.
10. शरद पवार ने आगे लिखा कि एनसीपी ने इस विचार में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई क्योंकि हमने बीजेपी के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया था, जिसे हमने उन्हें बताया. मैंने दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की और उन्हें इस बात से अवगत कराया, लेकिन मुझे एक बात कहनी चाहिए कि एनसीपी में कुछ ऐसे नेता थे जो इस राय के थे कि हमें बीजेपी के साथ गठबंधन करना चाहिए. 2014 में बीजेपी ने एनसीपी को अपने करीब लाने के कुछ प्रयास किए थे, लेकिन बाद में उन्होंने शिवसेना को सत्ता में हिस्सा दिया और इसलिए मेरी हमेशा से राय थी कि बीजेपी पर भरोसा नहीं करना चाहिए.
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