केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की गिरफ्तारी का बदला केंद्र की बीजेपी सरकार महाराष्ट्र के मंत्री अनिल परब को ईडी का नोटिस भिजवा कर ले रही है ऐसा शिव सेना का आरोप है. शिव सेना सांसद संजय राऊत कहते हैं कि राणे की गिरफ्तारी रत्नागिरी से हुई थी, इसीलिये उस क्रोनोलॉजी के तहत शिव सेना से रत्नागिरी के प्रभारी मंत्री अनिल परब पर बीजेपी सरकार शिकंजा कस रही है.


पिछले हफ्ते नारायण राणे को उस वक्त रत्नागिरी में गिरफ्तार कर लिया गया था जब उन्होंने महाड में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में सीएम उद्धव ठाकरे को थप्पड लगाने की बात कही थी. गिरफ्तारी के कुछ वक्त बाद उन्हें अदालत से जमानत तो मिल गई लेकिन उनके बेटे नितीश की ओर से ट्वीट करके धमकी दी गई- “करारा जवाब मिलेगा.”


ईडी से मंगलवार के दिन पेश होने का नोटिस पहुंचा


गिरफ्तारी को एक हफ्ता भी पूरा नहीं हुआ था कि अनिल परब को ईडी से मंगलवार के दिन पेश होने का नोटिस पहुंच गया. सियासी हलकों में इस नोटिस को उसी “करारे जवाब” की शुरूआत के तौर पर देखा जा रहा है. परब को नोटिस भेजने के साथ ही ईडी ने उनके करीबी आर.टी.ओ अधिकारी बजरंग खरमाटे के ठिकानों पर भी छापेमारी शुरू कर दी. खरमाटे पर आरोप लगा था कि वे अनिल परब के लिये वसूली का काम करते हैं और परिवहन विभाग में वे वैसा ही रैकेट चला रहे थे जैसा कि एंटीलिया कांड में गिरफ्तार अधिकारी सचिन वाजे मुंबई पुलिस में चलाते थे.


उद्धव के बेहद करीबी माने जाते हैं अनिल परब


अनिल परब महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री हैं, शिव सेना में उनका कद काफी बड़ा है और वे उद्धव के बेहद करीबी माने जाते हैं. शिव सेना की चुनावी रणनीति बनाने और पार्टी की तिजोरी भरने में उनकी अहम भूमिका देखी जाती है. ऐसे में ईडी की ओर से उन्हें निशाना बनाये जाने को इस तरह से देखा जा रहा है कि बीजेपी ने शिव सेना पर वहां प्रहार किया है जहां दर्द ज्यादा हो.


अनिल परब पर बीजेपी की टेढी नजर एक वाईरल वीडियो की वजह से भी पडी। ये वीडियो उस दिन का है जिस दिन राणे को गिरफ्तार किया गया. वीडियो में परब एक प्रेस कांफ्रेंस संबोधित करने से पहले फोन पर किसी अधिकारी को राणे को गिरफ्तार करने का निर्देश देते नजर आ रहे हैं. परब ने अभी स्पष्ट नहीं किया है कि वे मंगलवार के दिन ईडी के समक्ष हाजिर होंगे या नहीं. उन्होने कहा कि इस मामले में वे कानूनी राय ले रहे हैं और उन्हें जानकरी नहीं है कि ईडी ने उन्हें क्यों बुलाया है.


चंद महीनों बाद ही मुंबई महानगरपालिका के चुनाव होने वाले हैं. बीएमसी पर कब्जे के लिये बीजेपी और शिव सेना दोनो ही एडी चोटी का जोर लगा रहीं हैं. चुनावी रणनीति के तहत “जिसकी लाठी उसकी भैंस” वाली कहावत की तरह दोनो ही पार्टियां के बीच “जिसकी सरकार उसकी पुलिस” वाला दांव-पेंच भी खुलकर देखने मिल सकता है.


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