Shiv Sena Symbol Row: शिवसेना के असली दावेदार को लेकर आज खत्म होगा सस्पेंस! चुनाव आयोग ले सकता है फैसला
चुनाव आयोग ने शिवसेना के धनुष और तीर के चिह्न को फ्रीज कर दिया था और शिंदे गुट को 'दो तलवारें और ढाल' का सिंबल आवंटित किया था. वहीं उद्धव गुट को 'ज्वलंत मशाल' चुनाव चिह्न आवंटित किया गया था.
Shiv Sena Symbol Row: महाराष्ट्र में किसकी सरकार है, ये तो स्पष्ट है, लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि शिवसेना का असली दावेदार कौन है? वहीं आज यानी मंगलवार को शिवसेना के असली दावेदार को लेकर सस्पेंस खत्म हो सकता है. चुनाव आयोग इलेक्शन सिंबल पर अपना फैसला सुना सकता है.
इससे पहले, 10 जनवरी को जब चुनाव आयोग में सुनवाई हुई तब एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के वकील महेश जेठमलानी ने दलील दी थी कि 2018 में जिस तरह से शिवसेना का संविधान बदला गया, वह गैरकानूनी था. शिंदे गुट की ओर से कहा गया कि एकनाथ शिंदे के पास बहुमत है. चाहे विधायक हों, सांसद हों या संगठन के लोग, एकनाथ शिंदे ही असली शिवसेना है.
'सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करें'
शिंदे गुट ने यह भी तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अयोग्यता के मामले की सुनवाई कर रहा है, जो सिंबल वॉर से अलग है. हालांकि, दोनों धड़ों ने तर्क दिया कि वे पार्टी के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ाएंगे. वहीं उद्धव ठाकरे के वकील कपिल सिब्बल ने आयोग से मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने का अनुरोध किया है.
चुनाव आयोग के पाले में है गेंद!
जानकारी के मुताबिक, शिवसेना के मामले में नए गुट (शिंदे खेमे) को तत्काल अलग पार्टी के रूप में मान्यता नहीं दी सकती. दल-बदल विरोधी कानून बागी विधायकों को तब तक संरक्षण देता है जब तक कि वे किसी अन्य पार्टी में विलय कर लेते हैं या एक नई पार्टी बना लेते हैं. एक बार जब पार्टियां आयोग से संपर्क करती हैं तो चुनाव आयोग चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के आधार पर निर्णय लेता है.
चुनाव आयोग ने दिए थे ये सिंबल
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने शिवसेना के धनुष और तीर के चिह्न को फ्रीज कर दिया था और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट को 'दो तलवारें और ढाल' का प्रतीक आवंटित किया था और उद्धव ठाकरे गुट को 'ज्वलंत मशाल' चुनाव चिह्न आवंटित किया गया था. बता दें कि एकनाथ शिंदे ने बागी विधायकों की मदद से ठाकरे गुट से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ सरकार बनाई थी.