Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के एक आदेश पर विवाद हो गया है. साकीनाका बलात्कार केस के बाद सोमवार को गृह विभाग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में सीएम उद्धव ठाकरे ने परप्रांतीय लोगों के आने जाने का ब्योरा रखने के आदेश दिए. इसे पहले शिवसेना के मुख पत्र सामना के सम्पादकीय में साक़ीनाका रेप केस मामले में उत्तर प्रदेश के “जौनपुर पैटर्न” का ज़िक्र छेड़कर नए विवाद को जन्म दे दिया. पहले सामना और अब सीएम का परप्रांतीय के ब्योरा के आदेश के बाद शिवसेना बनाम उत्तर भारतीय की लड़ाई देखने मिल रही है. बीजेपी नेता कृपा शंकर सिंह ने सामना के बयान को शिवसेना की ओछि राजनीति बताया है तो विधायक अतुल भातकालकर ने सीएम उद्धव के परप्रांतीय वाले बयान के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. 


क्या है पूरा मामला ? 


मुंबई के साकीनाका में बीते शुक्रवार को एक 34 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार हुआ था और दिल्ली की निर्भया की तरह महिला के साथ हैवानियत हुई थी. जिसके बाद अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गई. उसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सोमवार को महाराष्ट्र के डीजीपी, पुलिस कमिश्नर और गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे. तभी उद्धव ने मीटिंग में अधिकारियों से कहा कि महाराष्ट्र में आने वाले हर परप्रांतीय की जानकारी होनी चाहिए, ताकि पता लग सके कि कितने लोग मुंबई सहित महाराष्ट्र में आए. 


मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का यह आदेश मीटिंग तक ही सीमित नहीं रहा. इसके बाद उनके इस आदेश को तमाम पुलिस स्टेशनों को भी भेज दिया गया. इस आदेश में कहा गया कि मुंबई पुलिस के थानों को दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों की जानकारी रखनी चाहिए. यह लोग कहां से आ रहे हैं और कहां जा रहे हैं इस बारे में भी पुलिस को सूचना रखनी चाहिए. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का यह आदेश जैसे ही विपक्षी दलों तक पहुंचा उन्होंने फौरन ही ठाकरे के इस आदेश को समाज को तोड़ने वाला बताया.


“जौनपुर पैटर्न” पर घिरे राउत 


शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने यह बयान मुंबई के साकीनाका में हुए महिला के बलात्कार के संदर्भ में दिया था. क्योंकि उस मामले में आरोपी उत्तर प्रदेश के जौनपुर का रहने वाला था. शिवसेना का उत्तर भारतीयों पर किया गया है यह हमला यहीं नहीं रुका. शिवसेना ने सामना के जरिए संपादकीय में लिखा कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर पैटर्न ने महाराष्ट्र में कितनी गंदगी फैला रखी है ये साकीनाका निर्भया केस से साफ हो जाता है. शिवसेना के इस बयान के बाद अब एक बार फिर से शिवसेना बनाम उत्तर भारतीय की लड़ाई की शुरुआत हो गयी है.


उत्तर भारतीयों पर निशाना शिवसेना को महंगा पड़ सकता है -


अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव हैं. उसी दौरान देश की सबसे बड़ी महानगर पालिका यानी बीएमसी के भी चुनाव हैं. उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए शिवसेना ने तैयारी शुरू कर दी है. लेकिन सामना में जौनपुर पैटर्न के ज़रिए उत्तर प्रदेश पर संजय राउत ने का हमला शिवसेना को ना केवल उत्तर प्रदेश बल्कि मुंबई में भी बीएमसी चुनाव में भारी पड़ सकता है. मुंबई में उत्तर भारतीय वोट कई वार्ड में हार जीत को तय करने की हिम्मत रखते हैं. ख़ास तौर पर मुंबई के पश्चिम विभाग में. 2017 के BMC चुनाव में वेस्टर्न सबब की 102 वार्ड में से करीबन 50 सीटों पर बीजेपी का कब्ज़ा था. इसके पीछे की बड़ी वजह उत्तर भारतीय मतदाताओं का बीजेपी के साथ होना है. जबकि शिवसेना में 20 सीटों का आंकड़ा भी मुश्किल से पार किया था. साफ है कि उत्तर भारतीय मतदाताओं को नाराज़ करना शिवसेना को दोहरा नुकसान पहुंचा सकता है. इस तरह के विवाद से बचने की ज़रूरत है नहीं तो चुनाव में इसका बड़ा खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है.



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'आप काले कोट में हैं, इसका मतलब यह नहीं कि आपकी जान ज्यादा कीमती है' -सुप्रीम कोर्ट