Supreme Court Maharashtra Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (11 मई) को शिवेसना के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले में फैसला सुनाते हुए उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने इस मामले को सात जजों की बेंच के पास भेज दिया है. उद्धव ठाकरे ने इस निर्णय के बाद एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और देवेंद्र फडणवीस से इस्तीफा देने की मांग की. जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने ठाकरे की इस मांग को खारिज कर दिया.


1. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार को बहाल नहीं कर सकते क्योंकि ठाकरे ने पिछले साल जून में फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था. चूंकि ठाकरे ने विश्वास मत का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था, इसलिए राज्यपाल ने सदन में सबसे बड़े दल बीजेपी के कहने पर सरकार बनाने के लिए शिंदे को आमंत्रित करके सही किया.


2. अदालत ने महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की खिंचाई भी की और कहा कि सदन में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल का उद्धव ठाकरे को बुलाना उचित नहीं था. राज्यपाल के पास ऐसी कोई सामग्री नहीं थी जिसके आधार पर वह सरकार के भरोसे पर संदेह करते. जिस प्रस्ताव पर राज्यपाल ने भरोसा जताया, उसमें ऐसा कोई संकेत नहीं था कि विधायक एमवीए सरकार से बाहर निकलना चाहते हैं. उनका फैसला संविधान के अनुसार नहीं था.


3. महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से जुड़ी अनेक याचिकाओं पर सर्वसम्मति से अपने फैसले में पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना का व्हिप नियुक्त करने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला अवैध था. 


4. कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य करार देने के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार से जुड़े पांच जजों की संविधान पीठ के 2016 के नबाम रेबिया फैसले को सात जजों की बड़ी पीठ को भेज दिया और कहा कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर फैसला करना चाहिए. 


5. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए और और चुनाव का सामना करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में मेरा इस्तीफा कानूनी रूप से गलत हो सकता था, लेकिन मैंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया था. मैं पीठ में छुरा घोंपने वालों के साथ कैसे सरकार चला सकता था.


6. दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने संयुक्त रूप से फैसले का स्वागत किया. एकनाथ शिंदे ने कहा कि सरकार का गठन कानूनी और संवैधानिक दायरे में हुआ था. अब कोर्ट ने इस पर मुहर लगा दी है. इससे पहले लोगों को हमारी सरकार को असंवैधानिक गठबंधन कहने में झूठी खुशी मिलती थी. इस्तीफा आपने (उद्धव ठाकरे) दिया था. आपके पास अल्पमत था, कितने लोग बचे थे? उन्हें पता था उनकी हार हो जाएगी और तब राज्यपाल ने निर्णय लिया जो सही था. 


7. देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि नैतिकता की बात करना उद्धव ठाकरे को शोभा नहीं देता. ठाकरे ने कहा कि उन्होंने नैतिक आधार पर शक्ति परीक्षण का सामना नहीं किया. मैं जानना चाहता हूं कि उनकी नैतिकता कहां थी जब उन्होंने 2019 में हमारे साथ विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन सरकार बनाने के लिए विपक्षी दलों से हाथ मिला लिया. उन्होंने दावा किया कि उद्धव ठाकरे ने शर्म के मारे इस्तीफा दिया था.


8. फडणवीस ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने महा विकास अघाड़ी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है. महा विकास अघाड़ी की साजिश नाकाम हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार पूरी तरह संवैधानिक है. एकनाथ शिंदे ने मुंबई में स्थित अपने निवास स्थान के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ कोर्ट के निर्णय पर जश्न मनाया. शिवसेना कार्यकर्ताओं ने पुणे में भी कोर्ट के फैसले के बाद खूब जश्न मनाया.


9. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि बीजेपी और नैतिकता एक दूसरे के विरोधाभासी हैं. मैं और क्या कह सकता हूं. बीजेपी की रणनीति है कि अगर वह खुद नहीं जीत सकती तो वह छोटी पार्टियों को तोड़ती है और सरकार बनाती है. ये लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.


10. कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि आज के फैसले में शिंदे गुट के व्हिप को गैरकानूनी माना गया, विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे गुट को वैध माना वो भी गैरकानूनी है और राज्यपाल ने विधानसभा में बहुमत परीक्षण के बारे में जो निर्णय लिया वो पूरी तरह गैरकानूनी है, शिंदे-फडणवीस के पास सत्ता में रहने का क्या नैतिक अधिकार बचा है? महाराष्ट्र में डबल इंजन सरकार तीन गुना गैरकानूनी है. 


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