Maharashtra Political Crisis: शिवसेना के असंतुष्ट विधायक दीपक केसरकर ने शनिवार को कहा कि विधायक दल में बागी गुट के पास दो-तिहाई बहुमत है और वह सदन में अपनी संख्या साबित करेगा लेकिन किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय नहीं करेगा. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागी विधायक असम के गुवाहाटी शहर में डेरा डाले हुए हैं जिनकी बगावत से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. 


गुवाहाटी से एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में केसरकर ने कहा कि उन्होंने शिवसेना नहीं छोड़ी है, लेकिन अपने समूह का नाम शिवसेना (बालासाहेब) रखा है और शिंदे को अपना नेता चुना है. उन्होंने कहा कि सिर्फ 16 या 17 लोग 55 विधायकों के समूह के नेता को नहीं बदल सकते हैं और शिवसेना का बागी गुट शिंदे को शिवसेना समूह के नेता के रूप में बदलने के महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल के आदेश को अदालत में चुनौती देगा.


केसरकर ने कहा, ‘‘विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से कहा था कि हमें उस पार्टी के साथ रहना चाहिए जिसके साथ हमने चुनाव लड़ा था. जब इतने सारे लोग एक ही राय व्यक्त करते हैं, तो उसमें कुछ ठोस होना चाहिए.’’ वह शिंदे समूह की उस शुरुआती मांग का संदर्भ दे रहे थे कि शिवसेना को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ अपना गठबंधन फिर से शुरू करना चाहिए और कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से संबंध तोड़ लेना चाहिए.


पार्टी को नहीं किया हाईजैक 


यह पूछे जाने पर कि क्या शिंदे समूह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार से समर्थन वापस लेगा, केसरकर ने कहा, ‘‘हमें समर्थन क्यों वापस लेना चाहिए? हम शिवसेना हैं. हमने पार्टी को हाईजैक नहीं किया है, राकांपा और कांग्रेस ने इसे हाईजैक कर लिया है.’’ उन्होंने यह भी कहा कि शिंदे समूह विधानसभा में बहुमत साबित करेगा लेकिन ‘‘हम किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय नहीं करेंगे.’’


केसरकर ने कहा, 'हमने अपने समूह का नाम शिवसेना (बालासाहेब) रखने का फैसला किया है क्योंकि हम उनकी (बाल ठाकरे की) विचारधारा में विश्वास करते हैं.' पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के नाम का अन्य समूहों द्वारा इस्तेमाल किए जाने को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की आपत्ति के बारे में पूछे जाने पर केसरकर ने कहा, 'हम इस पर विचार करेंगे.' यह पूछे जाने पर कि बागी विधायक कब मुंबई लौटेंगे, उन्होंने कहा कि वे उचित समय पर वापस आएंगे.


केसरकर ने महाराष्ट्र में बागी विधायकों के कार्यालयों और आवासों पर हमले की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मौजूदा समय में दबाव है, हमें नहीं लगता कि वापस आना सुरक्षित है.’’ उन्होंने कहा कि बागी गुट के मन में उद्धव ठाकरे के खिलाफ कुछ भी नहीं है. केसरकर ने कहा, 'हम पार्टी को बचाना चाहते हैं. हम उनका (उद्धव ठाकरे का) इस्तीफा भी नहीं मांग रहे हैं.'


न्याय की गुहार लगाने के लिए अदालत जाएंगे


महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल द्वारा बागी खेमे द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र (विद्रोही समूह को मान्यता देने और शिंदे को शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में नामित करने की मांग से संबंधित) को खारिज किए जाने पर टिप्पणी करते हुए केसरकर ने कहा, ‘‘वह हमारे पत्र को कैसे अस्वीकार कर सकते हैं लेकिन हमारी अयोग्यता की मांग करने वाले काफी देर बाद मिले पत्र पर विचार करते हैं. अगर जरूरत पड़ी तो हम राज्यपाल से भी संपर्क करेंगे या न्याय की गुहार लगाने के लिए अदालत जाएंगे.’’


शिवसेना ने बागी खेमे के नेता एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों के नाम उपाध्यक्ष को भेजकर उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए केसरकर ने कहा कि अगर पिछले इतने महीनों में सरकार वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए काम कर सकती है, तो जिरवाल हमारे साथ ऑनलाइन बैठक क्यों नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें इस (वीडियो) कॉल में अपनी संख्या दिखा सकते हैं.’’


उन्होंने कहा, ‘‘यह सच है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और हमारे साथ उसका अपमानजनक व्यवहार हमारा एक बड़ा मुद्दा है. कई विधायक जो यहां हमारे साथ हैं, पिछले कई महीनों से पार्टी नेतृत्व के सामने इस मुद्दे को उठा रहे थे लेकिन इस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया.’’केसरकर ने कहा कि 2019 के चुनाव से पहले राकांपा के प्रतिनिधित्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों को अधिक महत्व दिया गया.


एक अच्छी योजना को कर दिया था रद्द 


उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री पद के अलावा, शिवसेना को कोई अच्छा विभाग नहीं मिला जिससे हमें बिलकुल भी मदद नहीं मिली.’’केसरकर ने पूछा कि ऐसी राजनीतिक व्यवस्था का (इसका हिस्सा बनने का) क्या मतलब है जहां पार्टी (शिवसेना) को अन्य दो सहयोगियों द्वारा समाप्त कर दिया जाएगा. उन्होंने दावा किया, ‘‘राकांपा के मंत्रियों ने हमारे साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया. हम हमेशा उनके द्वारा दरकिनार किए जाते रहे. एक उदाहरण के तौर पर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एक अच्छी योजना को रद्द कर दिया था. जब मैंने इसके खिलाफ शिकायत की, तो उन्होंने मुझसे कहा कि उनके फैसले को केवल मुख्यमंत्री ही नकार सकते हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री ने इसे कभी रद्द नहीं किया.”


केसरकर ने दोहराया कि बागी समूह शिवसेना से अलग नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा, 'हम उनसे (उद्धव) भाजपा से हाथ मिलाने के लिए कह रहे हैं. मैंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से कई बार कहा है कि हमें भाजपा के साथ काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शिवसेना से विशेष लगाव है.' यह पूछे जाने पर कि क्या प्रवर्तन निदेशालय द्वारा संभावित छापेमारी से बचने के लिए शिवसेना के विधायकों ने बगावत की, केसरकर ने कहा, “केवल कुछ मुट्ठी भर लोग हैं जिन पर ईडी द्वारा छापा मारा जा सकता है. अन्य साधारण व्यक्ति हैं और वे एक सरल पृष्ठभूमि से आते हैं तथा पिछले कुछ वर्षों में उन्हें अपने नेतृत्व से कोई प्यार नहीं मिला है.”


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