17 मई को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की मीटिंग में क्या हुआ था?
17 मई को हुए बैठक के बाद ही मुख्यमंत्री शिंदे प्री-मानसून कार्यों की समीक्षा करते हुए मुंबई और ठाणे पहुंचे थे.
साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अभी एक साल बचा है. लेकिन सभी पार्टियां अलग-अलग स्तर पर राजनीतिक गठजोड़ और समीकरण बनाने में लग गई है. इस लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव हुए थे. यहां बीजेपी को तगड़ा झटका लगा था. अब कर्नाटक से सटे महाराष्ट्र में भी महाविकास अघाड़ी ने शिंदे- बीजेपी गठबंधन को चारों खाने चित करने की तैयारी में लग गई है. इस बार महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) महाविकास अघाड़ी के तहत मिलकर चुनाव लड़ेगी.
यही कारण है कि बीजेपी महाराष्ट्र में किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है. दरअसल बीते 17 मई को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आवास पर उनसे मुलाकात की थी. इस मौके पर बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस, चंद्रशेखर बावनकुले, आशीष शेलार भी मौजूद थे.
उस बैठक को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने शिष्टाचार मुलाकात करार दिया था. लेकिन सूत्रों की मानें तो यह बैठक साल 2024 में होने वाले आम चुनावों को केंद्र में रखते हुए किया गया था.
इस बैठक के बाद ही मुख्यमंत्री शिंदे प्री-मानसून कार्यों की समीक्षा करते हुए मुंबई और ठाणे पहुंचे थे. इसके अलावा भी इन 15 दिनों में राज्य में कई कल्याणकारी योजनाओं और परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया.
बैठक में लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा हुई
दरअसल लोकसभा चुनाव के लिहाज से महाराष्ट्र बेहद ही महत्वपूर्ण राज्य है. यहां 48 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं, जो उत्तर प्रदेश के बाद दूसरी सबसे बड़ी सीटों वाला राज्य है. सूत्रों की मानें तो इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शिंदे के साथ साल 2024 के चुनावों के लिए अपने गठबंधन की तैयारियों पर चर्चा की. इस चुनाव में पार्टी ने 40 से ज्यादा सीटें पाने का लक्ष्य तय किया है.
दरअसल हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है, कर्नाटक में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी को दक्षिण भारत में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना होगा. इसके साथ ही कर्नाटक राज्य महाराष्ट्र से सटा है. इसका मनोवैज्ञानिक असर यहां भी देखा जा सकता है.
साल 2023 में भारतीय जनता पार्टी तीन राज्यों की सत्ता से बाहर हो चुकी है. सबसे पहले बिहार में नीतीश कुमार ने झटका दिया. उसके बाद हिमाचल प्रदेश बीजेपी के हाथ से निकल गया और कर्नाटक का किला भी छिन चुका है. ये तीनों ही राज्य अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं.
इन तीन राज्यों में ही लोकसभा की कुल 72 सीटें आती हैं. बिहार में बीजेपी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में नीतीश के साथ मिलकर 40 में से 39 सीटें अपने नाम की थी. वहीं हिमाचल की सभी चार लोकसभा सीटों पर कमल खिला था और कर्नाटक की 28 में से 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
अब महाराष्ट्र में बीजेपी ने भले ही एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर सरकार बना ली हो लेकिन उपचुनाव के नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं रहे हैं. राज्य की कस्बा पेठ सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने 27 साल बाद बीजेपी को हरा दिया. ऐसा माना जा रहा है कि सरकार गंवाने के बाद उद्धव ठाकरे ने नारेटिव की लड़ाई में खुद को फिर से आगे कर लिया है.
वहीं बीजेपी भी इसको समझ रही है. हालांकि, उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से बना संयुक्त विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) बीजेपी के 40 सीटों को पाने के लक्ष्य में बड़ी चुनौती बन सकता है. एमवीए में शामिल पार्टियों ने 2024 के चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे पर बातचीत भी शुरू कर दी है.
सांसदों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं शिंदे
सूत्रों ने कहा कि शिंदे के साथ नड्डा की मुलाकात के बाद महाराष्ट्र में साल 2024 में होने वाले लोकसभा की तैयारियां तेज हो गई है और सीएम शिंदे भी अपने सांसदों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं. शिंदे ने अपने सांसदों से अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में अब तक के नौ साल के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम शुरू करने को कहा है.
इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में, शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार अपनी योजना "शासन ऐप्ल्या दारी (आपके द्वार पर सरकार)" को प्रचारित करने के लिए बाहर जाने की तैयारी कर ली है. इस कार्यक्रम के तहत, राज्य सरकार ने जरूरतमंदों को सीधा लाभ प्रदान करने और नागरिकों तक सरकारी सेवाएं सही तरीके से पहुंच पा रही है या नहीं इसे सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा है.
शिंदे सरकार ने एक नया वेब पोर्टल, महालभारती भी लॉन्च किया है. इस पोर्टल में सरकार द्वारा अब तक की जारी की गई सभी योजनाओं की लिस्ट, संबंधित सरकारी कार्यालयों के पते के साथ उपलब्ध कराई जाएगी. नागरिकों को ऐसी कल्याणकारी सेवाओं का लाभ मिले इसकी जिम्मेदारी जिला कलेक्टर और नगरपालिका आयुक्त जैसे वरिष्ठ प्रशासन अधिकारियों को दी जाएगी.
पिछले कुछ दिनों में शिंदे-फडणवीस सरकार ने नागपुर-मुंबई समृद्धि एक्सप्रेस वे के दूसरे चरण के साथ-साथ मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (MTHL) सहित परियोजनाएं की शुरुआत भी की हैंय तीन दिन पहले ही राज्य सरकार ने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को 2.5 लाख रुपये प्रति घर की दर से घर आवंटित करने के फैसले की घोषणा भी की है.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए महाराष्ट्र
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अकेले 303 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया था. लेकिन अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में यही पार्टी कई राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों को अपने साथ लाना चाहती है.
साल 2024 में होने वाले आम चुनाव में अभी एक साल बचे हैं लेकिन सभी पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है. एक तरफ सभी विपक्षी पार्टियां एक दूसरे के साथ गठबंधन कर बीजेपी को चुनौती देने की तैयारी में है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी अपना दल से लेकर लोक जनशक्ति पार्टी तक, नेशनल पीपल’स पार्टी से लेकर टिपरा मोथा तक, सभी क्षेत्रीय पार्टी को अपने साथ मिलाना चाहती है.
रही बात महाराष्ट्र की तो लोकसभा की 48 सीटें काफी ज्यादा होती है. बीजेपी को उसका महत्व पता है इसलिए पार्टी बिलकुल नहीं चाहती है कि ये साथ छूटे. इस राज्य में साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 23 सीटें अपने नाम की थी और शिवसेना 18 सीटें जीती थी. इस बार बीजेपी 25 सीट पर विशेष फोकस है. क्योंकि आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी के साथ उद्धव ठाकरे भी हैं.
सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी- शिंदे गुट की शिवसेना में खटपट?
हाल ही में शिंदे गुट की शिवसेना ने एक बैठक आयोजित की थी. जिसमें उन्होंने लोकसभा की 22 सीटों पर दावा किया था. इस मीटिंग में उद्धव सेना से अलग होकर शिंदे खेमे में शामिल होने वाले 13 सांसदों को उनकी संबंधित सीटों पर बरकरार रखे जाने को लेकर भी चर्चा हुई.
शिंदे की शिवसेना के सांसद गजानन कीर्तिकर ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि पार्टी शिंदे गुट के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.
बैठक और शिंदे गुट के सांसद के बयान के बाद सियासी गलियारे में चर्चा तेज हो गई की बीजेपी और शिवसेना के बीच भी सीटों को लेकर अनबन हो सकती है. लेकिन बीजेपी नेता व राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन सभी चर्चाओं पर विराम लगाते हुए कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर शिंदे सेना अब तक कोई चर्चा नहीं हुई है. जब ऐसी बात होगी, तो उसकी जानकारी दी जाएगी. फडणवीस ने सफाई देते हुए कहा कि सीट बंटवारे को लेकर भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं है.
महाविकास अघाड़ी के बीच सीटों का समझौता आसानी से हो पाएगा?
महाराष्ट्र में इस बार कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) महाविकास अघाड़ी के तहत मिलकर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन तीनों दल भी सीटों को लेकर एकमत नहीं हो पाए हैं. हाल ही में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने यह साफ कर दिया है कि सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर महाविकास आघाड़ी फिलहाल किसी ठोस परिणाम पर नहीं पहुंच सकी है.
बंटवारे को लेकर पार्टी में शामिल तीनों दल (कांग्रेस-एनसीपी-उद्धव गुट) अपने-अपने फॉर्मूले रख रहे हैं. जबकि कोई भी पार्टी अपनी जीती हुई सीटों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.
महाविकास अघाड़ी में सीट बंटवारे को लेकर अगले सप्ताह बैठक होने वाली है. इस बैठक में उद्धव गुट की शिवसेना उन 18 सीटों पर दावेदारी ठोक सकती है. ये वहीं सीटें हैं जिन्हें उन्होंने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जीता था.
हाल ही में राज्यसभा सांसद और शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी एक बार फिर महाराष्ट्र की 18 सीटें और दादरा-नगर हवेली यानी कुल मिलाकर 19 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करेगी.
शिवसेना में अब तक क्या-क्या हुआ?
साल 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव हुआ था. 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में 105 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली शिवसेना को 56, शरद पवार की एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 42 सीटें मिलीं थीं. अन्य सीटें छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों को मिली.
चुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी में सीएम पद को लेकर ठन गई. दोनों पार्टियों के बीच बात इतनी बढ़ गई की शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ लिया और कांग्रेस, एनसीपी के साथ मिलकर सरकार का गठन किया. जिसके बाज राज्य में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने.
सरकार बनने के पूरे ढाई साल बाद 20 जून 2022 को शिवसेना पार्टी के अंदर बगावत हो गई. शिवसेना के कई विधायकों ने एमएलसी चुनाव के दौरान बीजेपी के उम्मीदवार को वोट किया. 21 जून को ही उद्धव ठाकरे से नाखुश चल रहे विधायक सूरत चले गए. सूरत पहुंचे इन विधायकों का नेतृत्व कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे कर रहे थे. सूरत से ये सभी विधायक गुवाहाटी पहुंच गए. 22 जून को शिवसेना प्रमुख के कहने पर इन विधायकों को मनाने के लिए तीन नेताओं का प्रतिनिधिमंडल बागी विधायकों से मिलने पहुंचा. हालांकि उस वक्त कुछ बात नहीं बन पाई.
इसके बाद लगभग 6 दिनों बाद उद्धव ठाकरे शिंदे गुट को मनाने में लगे रहे. इस बीच उद्धव ठाकरे गुट की शिकायत पर डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दे दिया. शिंदे गुट इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची. कोर्ट ने 12 जुलाई तक डिप्टी स्पीकर की कार्रवाई पर रोक लगा दी.
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से मिलकर फ्लोर टेस्ट की मांग कर दी. हालांकि फ्लोर टेस्ट से पहले ही उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से 30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए. बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम का पद संभाला.