मुंबई: महाराष्ट्र मुख्यमंत्री कोविड राहत कोष के नाम पर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ हुआ है. लोगों ने दिल खोलकर सीएम कोविड राहत कोष में दान दिया लेकिन कोविड पीड़ित लोगों की मदद के नाम पर महाराष्ट्र सरकार ने कंजूसी की है. आरटीआई के तहत मिली एक जानकारी से पता चला कि महाराष्ट्र मुख्यमंत्री कोविड राहत कोष में कोराना काल के दौरान लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और करीब 798 करोड़ रुपए सीएम रिलीफ फंड में जमा हुए लेकिन इसमें से लोगों की मदद के नाम पर खर्च हुई सिर्फ 25 फ़ीसदी रकम. अब भी करीब 606 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष में बाकी है जिससे तमाम कोरोना पीड़ितों की मदद की जा सकती है.


आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली बताते हैं कि उनके द्वारा मांगी गई इस जानकारी के बाद इस बात का पता चला कि मुख्यमंत्री राहत कोष में लोगों ने जो मदद का हाथ बढ़ाया उसका सरकार ने इस्तेमाल ही नहीं किया और लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ हुआ.


कोविड में मदद की अपील के बाद लोगों ने महाराष्ट्र मुख्यमंत्री सहायता कोष के कोविड खाते में भारी आर्थिक सहायता दी. मुख्यमंत्री सचिवालय ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचित किया है कि अब तक 798 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं जिसमें से सिर्फ 25 प्रतिशत जमा कोष से खर्च किया गया है. अभी भी इस राहत कोष में करीब 606 करोड़ की रकम जमा है जिसका इस्तेमाल नही हुआ.


आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के मुताबिक उन्होंने महाराष्ट्र मुख्यमंत्री सचिवालय से जमा की गई कुल राशि, खर्च की गई राशि और शेष राशि की जानकारी मांगी थी. मुख्यमंत्री सचिवालय के मुख्यमंत्री सहायता कोष प्रकोष्ठ ने अनिल गलगली को बताया कि कुल 798 करोड़ रुपये की राशि जमा हो चुकी है और फिलहाल 606 करोड़ रुपये शेष हैं. 192 करोड़ का आवंटन किया गया है. 


अनिल गलगली के मुताबिक, चूंकि फंड सिर्फ कोविड मकसद के लिए है, इसलिए इसका 100 फीसदी खर्च कोविड एवज में ही किया जा सकता है. सरकार ने अबतक सिर्फ 25 फीसदी फंड आवंटित किया है. आखिर 606 करोड़ रुपये बचा कर रखने का मकसद क्या है? क्या ये उन लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं है जिन्होंने कोरोना पीड़ित लोगों के लिए सीएम रिलीफ फंड के जरिए मदद के हाथ बढ़ाए थे.


आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक:-



  •  जमा की गई राशि में से खर्च की गई राशि 192 करोड़ 75 लाख 90 हजार 12 रुपये है. 

  • इसमें से 20 करोड़ रुपये चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा सेंट जॉर्ज अस्पताल में कोविड के लिए एक विशेष आईयूआई सेटअप के लिए खर्च किए गए हैं. 

  • कोविड की 25 हजार जांच के लिए एबीबीओटी एम2000आरटी पीसीआर मशीन की उपभोग्य सामग्रियों को खरीदने के लिए 3 करोड़ 82 लाख 50 हजार खर्च किए गए. 

  • औरंगाबाद जिले में रेल दुर्घटना में मारे गए श्रमिकों के वारिसों को 80 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई.

  • प्रवासी मजदूरों के रेल शुल्क के लिए 82 करोड़ 46 लाख 94 हजार 231 खर्च किए गए. 

  • रत्नागिरी और जालना जिलों में कोविड-19 की जांच पर 1 करोड़ 7 लाख 6 हजार 920 रुपये हिसाब से 2 करोड़ 14 लाख13 हजार 840 रुपए खर्च किए गए. 

  • 18 सरकारी मेडिकल कॉलेजों, 4 मनपा मेडिकल कॉलेजों और 1 टीएमसी मेडिकल कॉलेज को प्लाज्मा थेरेपी टेस्ट कराने के लिए 16.85 करोड़ रुपये दिए गए. 

  • ‘मेरा परिवार-मेरी जिम्मेदारी’ इस अभियान के तहत राज्य स्वास्थ्य संस्थान के आयुक्त को 15 करोड़ रुपए दिए गए हैं. 

  • कोविड के दौरान महिला सेक्स वर्कर्स को 49 करोड़ 76 लाख 15 हजार 941 रुपये दिए गए.

  • कोविड के तहत म्यूटेंट वेरिएंट के शोध के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग पर 1 करोड़ 91 लाख 16 हजार रुपये खर्च किए गए.


महाराष्ट्र मुख्यमंत्री कोविड सहायता कोष के बारे में आरटीआई से मिली इस जानकारी के बाद अब सवाल उठने लगे हैं की लोगों की तरफ से मदद के हाथ बढ़ाए जाने के बावजूद इन पैसों से पूर्ण पीड़ितों की मदद क्यों नहीं की गई. अब मांग की जा रही है कि महराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खुद इस बात की जांच कराए और इसकी भी जांच हो कि जो खर्च दिखाए गए हैं वह वास्तव में हुए हैं क्या. 


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