No To Halal Campaign: मस्जिदों (Mosque) पर लगे लाउडस्पीकर (Loudspeaker) के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) अब हलाल मीट (Halal) को लेकर आंदोलन करने की तैयारी कर रही है. एमएनएस नेता यशवंत किल्लेदार (Yashwant Killedar) ने एक पत्र जारी करके कहा है कि देश की सबसे बड़ी टेरर फंडिंग (Terror Funding) और विश्व स्तर पर 7 ट्रिलियन की इकोनामी "हलाल" के विरोध में अब लड़ने की जरूरत है. आगे अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि हलाल जो इस्लाम (Islam) में जानवरों को मारने का क्रूरता पूर्ण तरीका है.
तो वहीं, इसके विपरीत हिंदू सिख और क्रिश्चियन धर्म के लोगों में झटका तरीके से मांस खाया जाता है, हलाल तरीके से जानवरों को मारने के व्यवसाय में तेजी आई है. जिसके चलते झटका मांस और उसे बेचने वाले खटीक और वाल्मीकि समाज लुप्त हो रहे हैं. इस समाज का परंपरागत व्यवसाय इनसे छीना जा रहा है जिसका परिणाम दूसरे धर्म के लोगों को हलाल तरीके से कटा हुआ मांस खाना पड़ रहा है.
इस आंदोलन को करने की वजह
हलाल की यह मोनोपली तोड़कर वाल्मीकि और खटीक समाज के लोगों को उनका व्यवसाय वापस दिलवाना ही इस लड़ाई के पीछे का मुख्य मकसद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का है. बस व्यवसाय के साथ ही अन्य शाकाहारी उत्पादन जैसे चिप्स, बिस्किट, लिपस्टिक, चॉकलेट, आइसक्रीम इत्यादि चीजों में भी जमीयत उलेमा-ए-हिंद इस संगठन का हस्तक्षेप बढ़ रहा है और इनसे कमाए हुए मुनाफे का एक हिस्सा सीधे तौर पर आतंकवादी और देश विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा रहा है.
आतंकवाद फैलाने में इस्तेमाल होता है हलाल का पैसा
आम जनता को इसकी भनक तक नहीं है कि जिन मेहनत के पैसों से वह यह चीजें खरीदते हैं उसी पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद (Terrorism) फैलाने के लिए किया जा रहा है और हम सबको मिलकर इसे बंद करना चाहिए. इसीलिए "नो टू हलाल" (No To Halal) मुहिम शुरू करना अनिवार्य है. एक संघर्ष खड़ा करने की जरूरत है और हम सब को इस संघर्ष में शामिल होना है.