महाराष्ट्र: राज्यसभा चुनाव में सीटों को लेकर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच फंसा पेंच
शिवसेना का कहना है कि उसके पास सबसे ज्यादा संख्या बल है. वहीं एनसीपी का कहना है कि आंकड़ों के मामलों में वो शिवसेना से मामूली तौर पर कम है. वहीं कांग्रेस की दलील है कि उसे राज्य की सरकार में कुछ नहीं मिला, ऐसे में राज्यसभा की सीट देकर भरपाई होनी चाहिए.
मुंबई: महाराष्ट्र की सात राज्यसभा सीटों के लिये 26 मार्च को चुनाव होना है. इन सीटों पर मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल में खत्म हो रहा है. इस चुनाव में सातवीं सीट को लेकर शिवसेना और एनसीपी में खींचतान चल रही है. महाराष्ट्र विधानसभा में संख्या बल के मुताबिक तीन सीटों पर बीजेपी, एक पर शिवसेना, एक पर राष्ट्रवादी कांग्रेस और एक पर कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आता है. सातवीं सीट को लेकर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी में विवाद चल रहा है. इस वक्त विधानसभा में बीजेपी के पास 105 सीट हैं, शिवसेना के पास 56, एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं. एक सांसद को चुनने के लिये 37 विधायकों के वोट जरूरी होते हैं.
किसने क्या कहा?
शिवसेना का कहना है कि उसके पास संख्यबाल ज्यादा है. निर्दलीय और छोटी पार्टियों का समर्थन भी उसे मिला है. इसलिए सातवीं सीट पर उसका उम्मीदवार होना चाहिए. उधर एनसीपी का कहना है कि आंकडों के मामलो में वो मामूली तौर पर शिवसेना से पीछे है. केंद्र में पार्टी को मजबूत करने के लिये राज्यसभा में ज्यादा सांसद भेजने जरूरी हैं. कांग्रेस ये कहकर सातवीं सीट पर दावा ठोंक रही है कि महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में उसके हिस्से ज्यादा कुछ नहीं आया. उसे उपमुख्यमंत्री पद भी नहीं दिया गया. ऐसे में उसकी भरपाई एक राज्यसभा सांसद देकर होनी चाहिए.
26 मार्च को होंगे राज्यसभा चुनाव
पिछले साल नवंबर में जबसे महाराष्ट्र में महाविकास गठबंधन की सरकार बनी है तब से कई मसलों को लेकर तीनों ही पार्टियों में मतभेद देखने मिले हैं. चाहे सावरकर के अपमान का मुद्दा हो, मुसलिम आरक्षण का मुद्दा हो या फिर सीएए का मुद्दा हो, तीनो पार्टियों ने अपनी अलग अलग विचारधाराओं के मुताबिक इनका समर्थन या विरोध किया. 13 मार्च को नामांकन की आखिरी तारीख है. 18 तारीख तक उम्मीदवार अपना पर्चा वापस ले सकते हैं. 26 मार्च की सुबह 9 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक मतदान होगा. शाम 5 बजे मतों की गिनती होगी.
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