महाराष्ट्र में आज आए 53,605 नए कोरोना केस, 864 मरीज़ों ने तोड़ा दम | फंगल इन्फेक्शन से 8 की मौत
महाराष्ट्र में अब कोरोना के कुल मामले 50 लाख 53 हज़ार 336 तक पहुंच गए हैं और मौतों का कुल आंकड़ा अब 75,277 हो गया है. राज्य में अब तक 43 लाख 47 हज़ार 592 लोग कोरोना संक्रमण को मात देकर ठीक हो चुके हैं.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में कोरोना महामारी का असर कुछ हद तक कम होता नज़र आ रहा है. हालांकि अभी भी तमाम पाबंदियों के बावजूद 50 हज़ार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं. राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 53,605 नए मामले सामने आए, जबकि इतने ही वक्त में 82,266 कोरोना मरीज़ इस बीमारी से ठीक हो गए. इस दौरान राज्य में 864 कोरोना मरीजों की मौत हुई है.
इन नए मामलों के साथ महाराष्ट्र में अब कोरोना के कुल मामले 50 लाख 53 हज़ार 336 तक पहुंच गए हैं और मौतों का कुल आंकड़ा अब 75,277 हो गया है. राज्य में अब तक 43 लाख 47 हज़ार 592 लोग कोरोना संक्रमण को मात देकर ठीक हो चुके हैं.
आपको बता दें कि 6 मई को राज्य में कोरोना संक्रमण के 62194 नए मामले दर्ज हुए थे और 853 मरीजों की जान चली गई थी. इससे पहले बुधवार को सर्वाधिक 920 मरीजों की मौत हुई थी और 57640 नए मामलों की पुष्टि हुई थी. और 57,006 लोग रिकवर हुए हैं. इससे पहले मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 51,880 नए मामले सामने आए थे और 891 मरीजों की मौत हो गई थी.
म्यूकोरमाइकोसिस (फंगल इन्फेक्शन) से 8 की मौत
महाराष्ट्र में म्यूकोरमाइकोसिस (फंगल इन्फेक्शन) से कम से कम आठ लोगों की मौत हुई है. ये लोग कोविड-19 को मात दे चुके थे, लेकिन काले कवक की चपेट में आ गए. राज्य में ऐसे लगभग 200 मरीजों का उपचार चल रहा है. चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) के प्रमुख, डॉक्टर तात्याराव लहाने ने कहा कि म्यूकोरमाइकोसिस के मामले बढ़ रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के विभिन्न हिस्सों में अब तक उपचार करानेवाले ऐसे 200 मरीजों में से आठ की म्यूकोरमाइकोसिस, जिसे काला कवक (ब्लैक फंगल) भी कहा जाता है, की वजह से मौत हो गई है. ये लोग कोविड-19 से बच गए थे, लेकिन कवक संक्रमण ने उनकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला किया जो जानलेवा साबित हुआ.’’
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने शुक्रवार को कहा था कि म्यूकोरमाइकोसिस रोग म्यूकर नाम के फंगल की वजह से होता है जो नम सतहों पर पाया जाता है.
उन्होंने यह भी कहा था कि जब कोविड-19 मरीज को ऑक्सीजन प्रणाली पर रखा जाता है तो उसमें वायु को नम रखनेवाला जलयुक्त उपकरण लगा होता है, ऐसी स्थिति में मरीज के कवक संक्रमण की चपेट में आने का जोखिम बढ़ जाता है.
डॉक्टर लहाने ने कहा कि फंगल इन्फेक्शन (कवक संक्रमण) की बीमारी के बारे में पहले से ही पता है, लेकिन इसके मामले कोविड-19 संबंधी जटिलताओं की वजह से बढ़ रहे हैं, जिसमें स्टेरॉइड दवाओं का इस्तेमाल कई बार रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ा देता है और कुछ दवाओं का परिणाम रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के रूप में निकलता है.