महाराष्ट्र: संजय निरूपम की कांग्रेस को चेतावनी, कहा- अगर नहीं सुधरे तो पार्टी तबाह हो जाएगी
संजय निरूपम ने गुरुवार को ट्विटर पर भी ये एलान किया था कि वो पार्टी के चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लेंगे. उनकी नाराजगी टिकट बंटवारे को लेकर है. उन्होंने कुछ नेताओं के लिए पार्टी से टिकट मांगा था लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया गया. इसके बाद से ही संजय निरूपम बेहद नाराज हैं.
मुंबई: महाराष्ट्र में पार्टी से नाराज चल रहे कांग्रेस के सीनियर नेता संजय निरूपम ने एक बार फिर दोहराया कि पार्टी उनके साथ ठीक व्यवहार नहीं कर रही है. मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वो पार्टी के चुनाव प्रचार में भाग नहीं लेंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी को सीखना पड़ेगा और बदले हुए माहौल के हिसाब के साथ काम करना होगा. अगर नहीं सुधरे तो कांग्रेस तबाह हो जाएगी.
पार्टी के रवैये से नाराज संजय निरूपम ने यहां तक दावा कर दिया कि चार सीटों को छोड़कर मुंबई में सभी सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त हो जाएगी. उन्होंने कहा, ''मैंने चार लोगों को मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलाया था. चारों लोगों को टिकट नहीं दिया गया. मुंबई में संजय निरूपम का कोई अस्त्तित्व न हो, इसलिए दिल्ली में साजिश रची जा रही है. मेरे खिलाफ एक रिबेल एक्टिविटी चलती रहे, ऐसी साजिश बनाई गई. मुझे लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाया गया, अपमानित किया गया. इसका असर भी लोकसभा चुनाव में हुआ. पार्टी नेतृत्व को चापलूसी से दूर और बंद कमरे में राजनीति करने वालों से बचना होगा.'' उन्होंने दावा किया कि अच्छे उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया गया, इसलिए अशोक चौहान भी परेशान हैं. चुनाव लड़ने की पार्टी की कोई तैयारी नहीं हैं. कोई स्ट्रेटेजी नहीं है.
उधर मिलिंद देवड़ा के नजदीकी सूत्रों ने बताया, ''संजय निरूपम ने लशकरीया नाम के बिल्डर के लिए एक टिकट मांगा था, पार्टी ने उन्हें वो भी नहीं दिया. इससे समझ सकते हैं कि संजय निरूपम की पार्टी के भीतर क्या स्थिति है.''
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संजय निरूपम ने कहा, ''मैं जितना पार्टी को समझता हूं उतना कोई नहीं समझता. उम्मीदवारों के चयन को लेकर हुई बैठक में मुझे नहीं बुलाया गया. योग्य लोगों के साथ न्याय नहीं किया गया. मैं जमीन से जुड़ा व्यक्ति हूं, मुझे अच्छा लगता है. लोगों को न्याय दिलान का प्रयास करता हूं. मुझे लगता है अभी पार्टी नहीं छोड़नी चाहिए. लेकिन ऐसा चलता रहा तो पार्टी छोड़ने की नौबत आ जाएगी. मैंने एक सीट की मांग की थी. एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट देने की मांग की थी. मुस्लिम समाज के के मन मे सवाल उठ रहा है कि टिकट क्यों नहीं दिया गया. 77 साल के बुजुर्ग बलदेव खोसा को टिकट दिया गया, उनका चलना फिरना मुश्किल है.''
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''लोकसभा चुनाव के ऐन वक्त पर मुझे हटाया गया. मुझे दुख हो रहा है कि उस घटना का असर बढ़ता चला गया. लगता है कि पार्टी को अब संघर्ष करने वाले लोगों की आवश्यकता नहीं है. काम करने वाले लोगों को महत्व देना होगा नहीं तो पार्टी की स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाएगी.''
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