Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana: महाराष्ट्र (Maharashtra) के नंदुरबार (Nandurbar) जिले में पवारा अनुसूचित जनजाति (Pawara Scheduled Tribe) की कई महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) का लाभ नहीं मिल पा रहा है. बताया जा रहा है कि योजना का लाभ लेने में सबसे बड़ी अड़चन आधार कार्ड (Aadhaar Card) का न होना है. कुछ महिलाओं ने जब आधार कार्ड बनवाने की कोशिश की तो उसके लिए जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) मांगा गया. मुश्किल यह है कि इस जनजाति के कई लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र भी नहीं है.
पवारा अनुसूचित जनजाति के ज्यादातर लोग नंदुरबार की पहाड़ियों में फैले हुए हैं जो शहर से दूर अलग-अलग झोपड़ियों या बस्तियों में रहते हैं. नंदुरबार के छोटे से गांव भनोली में भी कई निवासियों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं. ये लोग जीविका के लिए पलायन करते थे लेकिन कोरोना महामारी में इस पर विराम लग गया था. इलाके के कई लोग अब दिहाड़ी मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं.
क्या है प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना?
स्क्रॉल की रिपोर्ट के मुताबिक, इन्हीं लोगों में से एक सुनीता पवारा का परिवार है. परिवार आर्थिक तौर पर बेहद कमजोर है. 2020 में जब सुनीता गर्भवती हुईं तो उन्हें सरकार की मातृत्व लाभ देने वाली योजना से कुछ आर्थिक मदद मिलने की आस जगी. दरअसल, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत पात्र महिलाओं को उनकी पहली गर्भावस्था के दौरान वित्तीय सहायता के रूप में तीन किस्तों में 5000 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है. इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में शुरू किया था. योजना का उद्देश्य महिलाओं के वेतन नुकसान के लिए मुआवजा प्रदान करना है ताकि उन्हें पहले बच्चे के जन्म से पूर्व और बाद में जरूरी आराम मिल सके. इसका उद्देश्य इस अवधि के दौरान महिलाओं को नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए प्रेरित करना भी है.
सुनीता को नहीं मिल सका योजना का लाभ
सुनीता पवारा ने जब योजना का लाभ लेना चाहा तो उनसे आधार नंबर मांगा गया. सुनीता खेतों में मजदूरी करती हैं. उन्होंने एक एजेंट को दो बार सौ-सौ रुपये का भुगतान कर आधार कार्ड बनवाना चाहा. इसके लिए वह अपना काम रोककर 13 किलोमीटर दूर नामांकन केंद्र तक गईं जहां उनसे जन्म प्रमाण पत्र मांगा गया. सुनीता का कहना है कि उनका जन्म घर में ही हुआ था इसलिए उनके पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है. जन्म प्रमाण पत्र न होने पर नामांकन केंद्र के कर्मियों ने उन्हें आवेदन के लिए स्थानीय तहसीलदार या राजस्व अधिकारी से पत्र लिखवाकर लाने को कहा. तहसीलदार ने भी जन्म प्रमाण पत्र देखकर पत्र लिखने की बात कही.
नामांकन केंद्र तक जाने के लिए सुनीता को अपनी दिहाड़ी मजदूरी रोकनी पड़ती थी और सौ-दो सौ रुपये खर्च करने पड़ते थे. आखिरकार उन्होंने आधार कार्ड बनवाने की कोशिश बंद कर दी और उन्हें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ नहीं मिल सका. अब वह दूसरे बच्चे की मां बनने वाली हैं और जरूरी सुख सुविधाओं से वंचित हैं.
22 वर्षीय एमना पदवी भी रह गईं योजना के लाभ से वंचित
पास के एक गांव थुवनी की 22 वर्षीय एमना पदवी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. पदवी ने चार बार नामांकन केंद्र के चक्कर लगाए लेकिन जन्म प्रमाण पत्र और शादी का प्रमाण पत्र न होने के कारण उनका भी आधार कार्ड नहीं बन सका. बच्चे को जन्म देने के बाद उन्हें तुरंत काम पर लौटना पड़ा. नंदुरबार में सुनीता पवारा और एमना पदवी जैसी न जाने कितने ही महिलाएं हैं जिन्हें इस प्रकार संघर्ष करना पड़ रहा है.
नंदुरबार में इतनी महिलाओं को नहीं मिल सका योजना का लाभ
जिले के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अनुमानित रूप से हर साल जिले में 10,000 महिलाएं अपने पहले बच्चे को जन्म देती हैं, इस प्रकार 2017 से करीब 55 हजार महिलाओं को योजना का लाभ मिल जाना चाहिए था लेकिन वास्तव में केवल 42,497 महिलाओं का ही नामांकन हो सका. हजारों महिलाएं योजना के लाभ से वंचित रह गईं. वहीं, नंदुरबार में जो महिलाएं नामांकन करा चुकी हैं, उनमें से 4,414 को अभी तक मातृत्व योजना का लाभ नहीं मिल सका है. लाभार्थियों के दस्तावेजीकरण में किसी न किसी समस्या का होना धन आने में देरी का कारण बताया जा रहा है.
देशभर के आंकड़ों में लाभार्थियों की स्थिति
देशभर में 2017 से लेकर जुलाई 2022 तक 2.8 करोड़ महिलाएं प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लिए नामांकन करा चुकी हैं लेकिन सरकारी डेटा के मुताबिक, उनमें से 32.33 लाख महिलाओं को मातृत्व लाभ नहीं मिल सका है. योजना के लाभ से सबसे ज्यादा वंचित महिलाएं उत्तर प्रदेश से हैं, जहां 5.7 लाख महिलाओं को लाभ नहीं मिला है. बिहार में यह संख्या 3.8 लाख महिलाओं की है. वहीं, तमिलनाडु में साढ़े तीन लाख महिलाएं और पश्चिम बंगाल में तीन लाख महिलाएं को योजना के लाभ से वंचित बताई जा रही हैं.
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