मुंबई: महाराष्ट्र में सियासी उठापठक के बीज शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले अजित पवार को भैंसा बताया है. शिवसेना ने लिखा है कि बीजेपी को बहुमत मिलना मतलब भैंसे से दूध दुहने जैसा होगा. शिवसेना ने कहा कि अजीत पवार के रूप में बीजेपी ने एक भैंसे को अपने बाड़े में लाकर बांध दिया है और भैंसे से दूध दुहने के लिए ‘ऑपरेशन कमल’ योजना बनाई है.
शिवसेना ने कहा है, ‘’बीजेपी ने सत्ता प्राप्त करने के लिए आचार और नीति को ताक पर रख दिया है. सत्ता के लिए उनकी किसी भी स्तर पर जाने की तैयारी है. लेकिन कुछ भी हो जाए, वे विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाएंगे. अब तुम्हारे पास बहुमत है ये देखकर ही राज्यपाल ने शपथ दिलाई है, ऐसा तुम कह रहे हो न? तो फिर ‘ऑपरेशन कमल’ जैसी ‘उठाईगीरी’ क्यों? हम उन्हें इस उठाईगीरी और भैंसागीरी के लिए शुभकामनाएं देते हैं.’’
शिवसेना ने आगे कहा, ‘’आज राज्य में हर तरफ बीजेपी की थू-थू हो रही है. भैंसे की गंदगी बीजेपी के स्वच्छ और पारदर्शक जैसे चेहरे पर उड़ने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेचैन हो गए होंगे. फडणवीस और उनके लोग इस भ्रम में थे कि अजीत पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस को तोड़कर 25-30 विधायकों को लेकर बीजेपी के बाड़े में आ जाएंगे. अजीत पवार की यह कथित बगावत बालू पर गधे के मूतने पर हुई गंदगी जैसी हो गई है.’’
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पार्टी ने आगे कहा, ‘’महाराष्ट्र में जो कुछ हो रहा है उसे ‘नाटक’ कहना रंगमंच का अपमान है. हाथ में सत्ता है, जांच एजेंसियां हैं, भरपूर काला पैसा है और इसके दम पर राजनीति में मनचाहा उन्माद लाने की कोई सोच रहा होगा तो ये शिवराय के महाराष्ट्र का अपमान है. वास्तव में महाराष्ट्र में फिलहाल जो राजनीतिक अस्थिरता है, वो बीजेपी के कारण, उनकी व्यावसायिक वृत्ति के कारण और फंसाने की कला के कारण है. पहले उन्होंने शिवसेना जैसा मित्र खो दिया और अब वे शातिर चोर की तरह रात के अंधेरे में अपराध कर रहे हैं.’’
सामना में आगे लिखा है, ‘’बीजेपी ने रातों-रात अजीत पवार से हाथ मिलाकर शपथ ग्रहण समारोह कर लिया. यह सब खिलवाड़ तो है ही, साथ ही महान महाराष्ट्र की परंपरा पर कालिख पोतने जैसा भी है. इंदिरा गांधी द्वारा घोषित किए गए आपातकाल को काला दिवस के रूप में मनाने का ढोंग बीजेपी अब न करे. सिर गधे का और धड़ भैंसे का ऐसा प्रारूप महाराष्ट्र के माथे पर मारकर ये लोग एक-दूसरे को लड्डू खिलाते हैं. लेकिन लड्डू खिलाते समय वो उनके गले के नीचे नहीं उतर रहा था और उनके चेहरे पर आनंद के भाव भी नहीं थे.’’
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