मुम्बई: महाराष्ट्र में सावरकर के मुद्दे को लेकर शिवसेना असमंजस में फंस गई है. सावरकर के बहाने राज्य में विपक्षी पार्टी बीजेपी को शिवसेना को घेरने की खातिर एक मुद्दा मिल गया है. शिवसेना स्वतंत्रता सेनानी विनायक सावरकर कि हिंदुत्व की थ्योरी का समर्थन करते आई है लेकिन जब कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाना तय हुआ, तो शिवसेना ने अपनी हिंदुत्व की विचारधारा के साथ समझौता कर लिया. तीनों ही पार्टियों ने मिलकर सरकार चलाने की खातिर जो कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया था उसकी प्रस्तावना में सेकुलर शब्द का इस्तेमाल किया गया. अब तक शिवसेना की इमेज एक कट्टर हिंदुत्ववादी संगठन की रही है जबकि कांग्रेस और एनसीपी खुद को सेकुलर बताते आई हैं. लेकिन सत्ता में साथ आने की खातिर शिवसेना ने हिंदुत्व के एजेंडे को दरकिनार कर दिया.
उद्धव ठाकरे ने बतौर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बीते 28 नवंबर को ही शपथ ली थी और उनकी सरकार को महज 3 हफ्ते ही हुए हैं कि कांग्रेस के साथ उनके मतभेद सामने आने लगे. दोनों के बीच टकराव का पहला मसला बना नागरिकता संशोधन विधेयक. शिवसेना ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया लेकिन जब बिल पर राज्यसभा में चर्चा हुई तो शिवसेना सांसद संजय राउत ने इसका विरोध किया. दरअसल, लोकसभा में बिल को समर्थन दिए जाने पर कांग्रेस ने अपनी नाराजगी जताई थी जिस वजह से राज्यसभा में शिवसेना अपने रुख से पलट गई. उस वक्त राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने भी शिवसेना पर चुटकी लेते हुए कहा था कि शिवसेना ने सत्ता के लालच में इस बिल का विरोध किया है और इसी वजह से रातों रात उसने अपना स्टैंड बदल लिया.
पूरा विवाद बीते 12 दिसंबर से शुरू हुआ
अभी नागरिकता बिल विवाद से शिवसेना उबरी भी ना थी कि सावरकर के नाम पर एक नया मसला उसके सामने खड़ा हो गया. पूरा विवाद बीते 12 दिसंबर से शुरू हुआ जब झारखंड में एक चुनावी रैली के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के मेक इन इंडिया अभियान पर चुटकी लेते हुए कहा कि यहां तो रेप इन इंडिया हो रहा है. राहुल गांधी के इस बयान पर बीजेपी ने काफी आक्रमकता दिखाई और राहुल गांधी से माफी मांगने को कहा. राहुल गांधी ने दो दिनों बाद दिल्ली में कांग्रेस की ओर से आयोजित की गई भारत बचाओ रैली में इसका जवाब दिया. उन्होंने कहा कि वे राहुल सावरकर नहीं है बल्कि राहुल गांधी हैं इसलिए माफी नहीं मांगेंगे. अपने बयान में जिस तरह से उन्होंने सावरकर का नाम लिया उसे बीजेपी और दूसरे हिंदुत्ववादी संगठनों ने सावरकर का अपमान माना.
सावरकर के जरिए बीजेपी को महाराष्ट्र में शिवसेना को घेरने के लिए एक मुद्दा भी मिल गया. बीजेपी ने आरोप लगाया की सत्ता की खातिर शिवसेना महाराष्ट्र में ऐसे लोगों के साथ है जो कि सावरकर का अपमान करते हैं. हालांकि संजय राउत ने राहुल गांधी को नसीहत देते हुए एक ट्वीट किया और कहा कि शिवसेना जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी का सम्मान करती है लेकिन सावरकर का अपमान नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा सावरकर के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा. राउत के इस ट्वीट पर बीजेपी के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने पलटवार करते हुए कहा सिर्फ ट्वीट करके काम नहीं चलेगा. शिवसेना को सावरकर विरोधियों का साथ छोड़ देना चाहिए. सियासी हलकों में भी यही माना जा रहा है कि अगर शिवसेना आज कांग्रेस के साथ राज्य की सत्ता में नहीं होती तो उसकी प्रतिक्रिया कुछ अलग होती और बेहद आक्रमक होती.
सावरकर के मुद्दे को लेकर विधानसभा सत्र की शुरुआत
महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो चुका है और सावरकर के मुद्दे को लेकर सत्र की शुरुआत के एक दिन पहले सरकार ने विपक्ष के लिए जिस चाय पार्टी का आयोजन किया था बीजेपी ने उसका बहिष्कार कर दिया. विधानसभा में भी सोमवार को जब कामकाज की शुरुआत हुई तो देवेंद्र फडणवीस समेत तमाम बीजेपी नेताओं ने बड़ी ही आक्रमकता से सावरकर का मुद्दा उठाया. बीजेपी के विधायक अपना विरोध जताने के लिए एक बैनर विधान भवन में ले आये. राहुल गांधी हाय हाय के नारे लगाते हुए जब विधायक वेल तक पहुंच गए तब स्पीकर ने 10 मिनट तक के लिए विधानसभा स्थगित कर दी. इस दौरान बीजेपी विधायकों ने शिवसेना के विधायकों को उलाहना देते हुए विरोध में शामिल होने को कहा. बहरहाल सियासी हलकों में माना जा रहा है कि सावरकर के मसले को लेकर ठाकरे सरकार पर आंच नही आएगी, लेकिन अगर आगे जाकर ये सरकार गिर जाती है तो सरकार गिरने के पीछे कारणों की गिनती में सावरकर का मुद्दा भी होगा.