शिवसेना ने कांग्रेस को बताया 'पुरानी खाट' और कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी को बताया 'कुरकुराहट'
संपादकीय में कटाक्ष करते लिखा गया है, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात का कुरकुराना संयमित होता है. घर में भाई-भाई में झगड़ा होता है. यहां तो तीन दलों की सरकार है. थोड़ी बहुत कुरकुर तो होगी ही.
मुंबई: महाराष्ट्र में तीन दलों को गठबंधन सरकार में अंदरूनी मतभेद साफ तौर पर सामने आने लगे हैं. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में कांग्रेस को पुरानी खाट और कांग्रेस के कुछ नेताओं को चूरचुराने वाला खाट के नेता की संज्ञा दी है.
सामना संपादकीय में लिखा है कि कांग्रेस पार्टी भी अच्छा काम कर रही है, लेकिन समय-समय पर पुरानी खटिया रह-रह कर कुरकुर की आवाज करती है. खटिया पुरानी है लेकिन इसकी एक ऐतिहासिक विरासत है. इस पुरानी खाट पर करवट बदलने वाले लोग भी बहुत हैं. इसलिए यह कुरकुर महसूस होने लगी है.
अशोक चव्हाण पर कटाक्ष संपादकीय में बालासाहेब थोराट पर नरम रुख तो अशोक चव्हाण पर कटाक्ष करते लिखा गया है, "कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात का कुरकुराना संयमित होता है. घर में भाई-भाई में झगड़ा होता है. यहां तो तीन दलों की सरकार है. थोड़ी बहुत कुरकुर तो होगी ही. ‘मुख्यमंत्री से मिलकर बात करेंगे,’ थोरात ने ऐसा कहा. उसी खाट पर बैठे अशोक चव्हाण ने भी ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को एक साक्षात्कार दिया और उसी संयम से कुरकुराए, ‘सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन सरकार में हमारी भी बात सुनी जाए. प्रशासन के अधिकारी नौकरशाही विवाद पैदा कर रहे हैं. हम मुख्यमंत्री से ही बात करेंगे!’ अब ऐसा तय हुआ है कि कुरकुर की आवाज वाली खाट के दोनों मंत्री महोदय मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहनेवाले हैं."
संपादकीय में कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधते लिखा है, "मुख्यमंत्री उनकी बातें सुनेंगे और निर्णय लेंगे. लेकिन कांग्रेस क्या कहना चाहती है? राजनीति की यह पुरानी खटिया क्यों कुरकुर की आवाज कर रही है? हमारी बात सुनो का मतलब क्या? यह भी सामने आ गया है. थोरात और चव्हाण दिग्गज कांग्रेसी नेता हैं, जिन्हें सरकार चलाने का बहुत बड़ा अनुभव है. हालांकि, उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इस तरह का दीर्घ अनुभव श्री शरद पवार और उनकी पार्टी के लोगों को भी है. हालांकि कुरकुर या कोई आहट होती नहीं दिख रही."
इस संपादकीय का जवाब देते हुए बालासाहेब थोराट ने कहा कि सामना संपादकीय यह अधूरी जानकारी पर आधारित है. खाट की चूरचुराहट को सुनना चाहिए. हम मजबूती के साथ गठबंधन सरकार में है. कोई व्यथा हुई तो बतानी चाहिए. शिवसेना का मुखपत्र से अपेक्षा है कि पूरी जानकारी लेकर लेख लिखें.
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