मुंबई: राम मंदिर भूमिपूजन को लेकर महाराष्ट्र की महाविकास गठबंधन की सरकार की तीनों पार्टियों में मतभेद अब खुलकर सामने आने लगे हैं. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने राम मंदिर को लेकर की टिप्पणी के बाद शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक ने राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नित्य गोपाल दास को पत्र लिखकर उद्धव ठाकरे को भूमिपूजन के लिए आमंत्रित करने की मांग की. शिवसेना नेता संजय राउत ने तो घोषणा कर दी की मुख्यमंत्री राम मंदिर भूमि पूजन के लिए जाएंगे. जिसपर एनसीपी के वरिष्ठ नेता माजिद मेमन ने मुख्यमंत्री से अयोध्या नहीं जाने की मांग की. तो कांग्रेस के नेताओं ने इसे मुख्यमंत्री की आस्था का विषय बताकर पूरे विवाद से खुद को दूर रखा.


संजय राउत ने तो एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए मुख्यमंत्री के अयोध्या जाने की घोषणा कर दी. संजय राउत ने कहा, "उद्धव ठाकरे अयोध्या राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए जाएंगे. ये एक ऐतिहासिक क्षण है, इस भूमि पूजन के लिए निमंत्रण उद्धव ठाकरे को आएगा और वो अयोध्या जरूर जाएंगे."


इस पूरे विवाद की शुरुआत हुई शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक के राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नित्य गोपाल दास को पत्र लिखने से. इस पत्र में सरनाईक ने भूमि पूजन कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को निमंत्रित करने की मांग की. साथ ही, राम मंदिर के निर्माण कार्य में शिवसेना के योगदान को देखते हुए, राम मंदिर ट्रस्ट पर एक पुराने राम भक्त शिवसैनिक को भी नियुक्त करने की मांग की गई. इस पर एनसीपी के नेता माजिद मेमन ने ट्वीट कर कहा, "मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राम मंदिर भूमि पूजन के लिए न्योता आया है. इस कोरोना महामारी की भयावह परिस्थिति के बावजूद वो वहां जा सकते हैं. लेकिन एक राज्य के प्रमुख होने के नाते उन्होंने एक धर्म के कार्यक्रम को बढ़ावा नहीं देना चाहिए."


इससे पहले खुद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने राम मंदिर भूमि पूजन पर बयान देते हुए कहा कि राम मंदिर बनने से कोरोना ख़त्म नहीं होगा. इस बयान लेकर खूब हंगामा हुआ. इसके बाद आए शिवसेना के बयान पर एनसीपी ने आपत्ति जताई, जिसपर संजय राउत ने यहां तक कह डाला कि उद्धव ठाकरे को अयोध्या जाने के लिए किसी के एनओसी की जरूरत नहीं. इसी पर शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने कहा कि उद्धव ठाकरे अगर राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए नहीं जाएंगे तो क्या मस्जिद, चर्च के भूमि पूजन के लिए जाएंगे.


शिवसेना ने बीजेपी पर राम मंदिर के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए प्रताप सरनाईक ने कहा, "मैं उन्हें याद दिलाना चाहूंगा कि ऐसे समय में जब देश के सभी शेर बिलों में छिपे हुए थे, शिवसेना के शेर स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे ने ही आगे आकर राम मंदिर का काम शुरू किया. इसलिए, राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सम्मानपूर्वक आमंत्रित किया जाना चाहिए. महत्वपूर्ण बात यह है कि जब किसी भी नेता ने राम मंदिर के निर्माण के लिए एक भी रुपये का भुगतान नहीं किया था. उस समय मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर ट्रस्ट को एक करोड़ रुपये का दान दिया था. राम मंदिर के लिए शिवसेना ने जो किया है वह किसी और ने नहीं किया है. इसलिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सम्मान के साथ बुलाया जाना चाहिए."


वहीं, कांग्रेस इस पूरे विवाद से खुद को दूर रखना चाहती है. पिछली बार उद्धव ठाकरे के साथ राम मंदिर दर्शन करने पहुंचे कांग्रेस के नेता राज्य के कैबिनेट मंत्री सुवासित केदार ने इस बार कहा , "ये मुख्यमंत्री के निजी आस्था का विषय है. हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे."


उद्धव ठाकरे को न्योता मिलता है या नहीं? वो अयोध्या जाते हैं या नहीं? इन सवालों के जवाब बहुत जल्द मिल जाएंगे, लेकिन इस मुद्दे पर महाराष्ट्र की सरकार में संकट जरूर ला खड़ा किया है.


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