मुंबई: महाराष्ट्र में मुलाकातों का दौर जारी है. इसी क्रम में एक और मुलाकात होने वाली है. कल यानी गुरुवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात करेंगे. महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी की सरकार बनाने की कवायद के बीच गडकरी और संघ प्रमुख भागवत की मुलाकात पर सबकी नजरें टिकी हैं. इससे पहले कल मंगलवार को खुद देवेंद्र फडणवीस ने भागवत से मुलाकात की थी. राज्य की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है. इससे पहले अगर सरकार नहीं बनती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है.
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इस मुलाकात के अपने मायने हैं. बता दें कुछ दिनों पहले शिवसेना के नेता किशोर तिवारी ने मोहन भागवत को एक खत लिखा था. अपनी चिट्ठी में उन्होंने मोहन भागवत से अपील की थी कि इस पूरे विवाद में वो दखल दें. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि वो नितिन गडकरी को मामले को सुलझाने के लिए भेजें. इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक कहा था कि नितिन गडकरी पूरे मामले को दो घंटों में सुलझा लेंगे.
जाहिर है कि शिवसेना अपनी पुरानी मांग पर अड़ी हुई है. उसने कहा कि जो तय हुआ था उसी पर उसी पर आगे बढ़ेंगे. 50-50 फॉर्मूले के तहत दोनों पार्टियों को ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री का पद मिलना चाहिए. इसी बात को लेकर पेंच फंसा हुआ है. बीजेपी भी मुख्यमंत्री पद से समझौता करने के मूड में नहीं है. वहीं शिवसेना बार-बार ये कह रही है कि राज्य का अलगा सीएम शिवसैनिक ही होगा.
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उधर कल बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करेगा. इस पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि बीजेपी को तो राज्य में सरकार बनानी चाहिए क्योंकि वह सिंगल लार्जेस्ट पार्टी है. इसके अलाव कल ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने आवास मातोश्री पर पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई है. ये बैठक सुबह साढ़े ग्यारह बजे शुरू हो सकती है. गडकरी की भागवत से मुलाकात तो बीजेपी प्रतिनिधिमंडल का राज्यपाल से मिलना, यानी कल का दिन महाराष्ट्र की सियासत के लिए अहम होगा.
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