ट्रांसफर-पोस्टिंग विवाद: शिवसेना बोली- केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करके सरकार पर नज़र रख रही BJP
शिवसेना ने कहा- विपक्ष पर सरकार की नजर न होकर विपक्ष केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करके राज्य सरकार पर नजर रख रहा है और ये गैरकानूनी है. शिवसेना ने कहा- राष्ट्रपति शासन लगाकर महाराष्ट्र में अस्थिरता निर्माण कराई जाए, यही उसके पीछे का मुख्य उद्देश्य है.
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मुंबई: महाराष्ट्र में ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर विपक्ष उद्धव सरकार पर हमलावर है. इस विवाद के बाद शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. शिवसेना ने कहा है कि विपक्ष केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करके सरकार पर नज़र रख रहा है, ये गैरकानूनी है. पार्टी ने कहा है कि विपक्ष ने महाराष्ट्र सरकार को खोखला बनाने के लिए अधिकारियों से सांठ-गांठ की है.
शिवसेना ने कहा, ‘’राज्य के गृहमंत्री पर वसूली का आरोप लगाने वाले मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह अभी तक प्रशासनिक सेवा में हैं इस पर हैरानी होनी चाहिए. परमबीर सिंह ने सिर्फ गृहमंत्री पर आरोप ही नहीं लगाया, बल्कि अपने द्वारा लगाए गए आरोपों की सीबीआई के मार्फत जांच कराई जाए इसके लिए सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गए हैं. इतना होने के बाद भी उनके खिलाफ सेवा शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाकर कार्यवाही नहीं की गई है. दूसरे एक अधिकारी संजय पांडे ने भी मुख्यमंत्री को ही पत्र लिखकर ‘पदोन्नति’ प्रकरण में उनके साथ किस तरह से अन्याय हुआ यह स्पष्ट किया.’’
राज्य की बदनामी करने की साजिश- शिवसेना
शिवसेना ने कहा, ‘’पांडे और परमबीर सिंह ने पत्र लिखकर अपनी भावना व्यक्त की, यहां तक तो सब ठीक है. लेकिन ये भावनाएं प्रसार माध्यमों तक पहुंच जाएं और सरकार की कार्यप्रणाली पर संदेह खड़े हों इसकी सटीक व्यवस्था भी उन्होंने की है. इन दो पत्रों के सहारे राज्य का विपक्ष जो नृत्याविष्कार कर रहा है, वह दिलचस्प है. इस जोड़ी में सुबोध जायसवाल, रश्मि शुक्ला आदि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सरकार को अंधेरे में रखकर की गई ‘फोन टैपिंग’ प्रकरण की रिपोर्ट लेकर भी विपक्ष के नेता दिल्ली पहुंच गए हैं. अर्थात राज्य के प्रशासनिक सेवा से जुड़े ये लोग एक राजनैतिक पार्टी की सेवा कर रहे थे.’’ शिवसेना ने आगे कहा, ‘’विपक्ष ने महाराष्ट्र सरकार को खोखला बनाने के लिए इन अधिकारियों से सांठ-गांठ की और आस्तीन के इन अंगारों को राज्य सरकार ने अपने दामन में रखा था. जिस सरकार का अथवा राज्य का नमक खाते हैं, उसी राज्य की बदनामी करने की ये साजिश है और इसके पीछे राज्य के लापरवाह विपक्ष का हाथ है. यह अब स्पष्ट हो चुका है.’’
शिवसेना ने कहा, ‘’परमबीर सिंह द्वारा उनके पत्र में लगाए गए आरोप गंभीर हैं और उसकी निश्चित तौर पर जांच होनी चाहिए. लेकिन बीजेपी वालों के गुजरात में संजीव भट्ट और शर्मा नामक वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा वहां के शासकों के खिलाफ लगाए गए आरोप भी झकझोरनेवाले हैं. उस पर क्या कार्रवाई हुई? गुजरात के तत्कालीन शासक वैसे भ्रष्ट और अनैतिक कार्यों में संलिप्त थे और उन कार्यों में पुलिस बल का किस तरह से दुरुपयोग किया गया. ये भट्ट ने कहा तो उसके बदले भट्ट को झूठे आरोपों में फंसाकर जेल में डाल दिया.’’
गुजरात, उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने फेर ली आंखें- शिवसेना
शिवसेना ने कहा, ‘’योगी के राज्य में भी वैभव कृष्ण नामक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर राज्य में तबादलों-पदोन्नति के मामले में ‘दर पत्र’ सामने लाया. योगी सरकार के गृह विभाग का पर्दाफाश करनेवाले इस पत्र पर केंद्रीय गृह विभाग ने क्या कार्रवाई की, ये महाराष्ट्र में फुदकनेवाले भाजपाई बता सकते हैं क्या? मतलब महाराष्ट्र में खुले को नंगा कहना और गुजरात, उत्तर प्रदेश के नंगों की ओर आंखें फेर लेना.’’
शिवसेना ने कहा, ‘’विपक्ष पर सरकार की नजर न होकर विपक्ष केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करके राज्य सरकार पर नजर रख रहा है और ये गैरकानूनी है. महाराष्ट्र में बीजेपी के सांसदों को कानून की थोड़ी भी परवाह होगी तो उन्हें केंद्र सरकार के अवैध कृत्यों पर आवाज उठानी चाहिए. दादरा-नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर की आत्महत्या के मामले में एफआईआर दर्ज करो, ऐसा दबाव राज्य के गृहमंत्री ने हम पर डाला, ऐसा बतंगड़ परमबीर सिंह बना रहे हैं. यह दबाव न होकर सूचना होगी और इसमें गृहमंत्री ने कुछ गलत किया होगा, ऐसा लगता नहीं.’’
शिवसेना ने कहा, ‘’राष्ट्रपति शासन लगाकर महाराष्ट्र में अस्थिरता निर्माण कराई जाए, यही उसके पीछे का मुख्य उद्देश्य है. राज्य सरकार ने डेढ़ वर्षों में पुलिस और प्रशासन पर नकेल नहीं कसी इसलिए कुछ घोड़े भटक गए ये स्पष्ट है. उन भटके हुए घोड़ों को और खरहरने तथा उन्हें चना खिलाने का काम विपक्ष ने हाथ में लिया होगा तो ये ‘सब घोड़े बारह टके’ के ही हैं. ऐसे घोड़ों से रेस नहीं जीती जा सकती है.’’
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