मुंबईः मुंबई से करीब 70 किलोमीटर दूर विरार की सतपुड़ा पहाड़ियों पर बसा है जीवदानी मंदिर. इस मंदिर की गिनती महाराष्ट्र के 18 शक्तिपीठो में से एक मानी जाती है. लोगों में मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में किया गया था. कुछ लोग मानते हैं कि इसका जिक्र पुराणों में है और इसे पांडवो ने बनवाया था. वैतरणी नदी के किनारे पहाड़ियों के ऊपर बसे जीवदानी मंदिर तक पहुंचने के लिये दर्शनार्थियों को करीब 1300 सीढ़ियां चढ़नी होती है.


सीढ़ी चढ़ने के कारण बहुत सारे लोग मंदिर तक पहुंच ही नही पाते थे. दर्शनार्थियों की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रशासन ने यहां फ्युनिक्युलर ट्राली लगाने का फैसला लिया था.


फ्युनिक्युलर ट्राली लगाने और उसके ट्रैक को बनाने का काम भी पूरा हो चुका है. लेकिन ट्राली के ट्रायल का काम शुरू था उसी दौरान ट्रैक पर मौजूद दो मजदूर नीचे गिर गये और उनकी मौत हो गई.


फ्युनिक्युलर ट्राली लगाने का चल रहा था काम


पहाड़ी के ऊपर बसे जीवदानी मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों की समस्या को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने पहले भी यहां रोपवे का इंतजाम किया था. जिसके सहारे करीब 7 लोग ऊपर जा सकते थे और आ सकते थे. लेकिन मंदिर में लगातार श्रृद्धालुओं की संख्या बढ़ने की वजह से प्रशासन ने यहां फ्युनिक्युलर ट्राली लगाने का निर्णय लिया. इस नयी ट्राली से एक बार में करीब 70 लोग ऊपर मंदिर तक जा सकते हैं और आ सकते हैं. लेकिन इस नयी ट्राली की व्यवस्था में दो मजदूरों की मौत हो गयी.


फिलहाल, विरार पुलिस ने मंदिर के काम के दौरान हुई दो मजदूरों का मामला आकस्मात मौत के तौर पर दर्ज किया है. लेकिन सवाल ये है कि जो मजदूर मरे हैं उनकी मौत उस वक्त हुई है जब वो मंदिर का काम कर रहे थे तो क्या ऐसे में उनके घर वालों को किसी भी तरह की मंदिर सहायता करेगा.


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