मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में अजब गजब हो रहा है. एक पार्टी दूसरी पार्टी के पार्षदों को हथिया लेती है और फिर चंद दिनों में ही वापस भी कर देती है. कहानी शिवसेना के पांच पार्षदों की है जो पिछले हफ्ते अपनी पार्टी छोड़कर एनसीपी में चले गये थे लेकिन एनसीपी ने उन्हें वापस शिवसेना में भेज दिया.


महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की पारनेर नगर परिषद के पार्षद बुधवार की रात शिवसेना के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलने पहुंचे. दरअसल, इन पार्षदों की घर वापसी हुई है. बीते हफ्ते इन पार्षदों को एनसीपी ने शामिल कर लिया था. एनसीपी में इनके प्रवेश करते वक्त आयोजित किए गए समारोह में एनसीपी के वरिष्ठ नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी मौजूद थे. ये पार्षद शिवसेना के स्थानीय नेतृत्व से खफा थे और बीजेपी में शामिल होने जा रहे थे, लेकिन एनसीपी ने इन्हें अपने पास बुला लिया. उद्धव ठाकरे की ओर से पार्टी के सेक्रेटरी मिलिंद नार्वेकर ने अजित पवार से बात की और उन्होंने इन पार्षदों को वापस शिवसेना में भेज दिया.


ऐसा राजनीति में कम ही होता है कि किसी एक पार्टी ने दूसरी पार्टी के पार्षदों या विधायकों को तोड़ लिया हो और फिर वो उन्हें वापस भी कर दे लेकिन यहां मामला अलग था. पहले से ही ठाकरे सरकार के घटक दलों के बीच तकरार चल रही थी. ऐसे में इस घटना ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया. इससे पहले कि बात ज्यादा बिगड़ती एनसीपी ने पार्षदों को वापस भेजने में ही अपनी भलाई समझी.


शिवसेना पार्षदों के एनसीपी में जाने से उद्धव ठाकरे काफी खफा हो गये थे. इससे गठबंधन सरकार की स्थिरता पर भी सवाल उठने लगे क्योंकि एनसीपी राज्य की ठाकरे सरकार की एक घटक दल है. इससे पहले भी लॉकडाउन और मुंबई पुलिस के अफसरों के तबादलों को लेकर शिवसेना और एनसीपी में ठन चुकी थी.


एनसीपी प्रमुख शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने मुलाकातों के कई दौर के बाद उन मसलों को हल किया था. ऐसे में अजित पवार ने पार्षदों को लेकर ये नया बखेड़ा खड़ा कर दिया. बार-बार सरकार के घटक दलों के बीच हो रहे इन विवादों की वजह से सिय़ासी हलकों में सरकार के भविष्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई है.


तीन दलों का गठबंधन कितना मजबूत है इसकी परीक्षा के मौके आगे आने वाले हैं. पहले नवी मुंबई महानगरपालिका के चुनाव होंगे और उसके बाद मुंबई महानगरपालिका के चुनाव होंगे. ये देखना दिलचस्प होगा कि ये तीनों ही पार्टियां बीजेपी के खिलाफ एक साथ गठबंधन करके ये चुनाव लड़ेंगीं या फिर अलग अलग मैदान में उतरेंगी?


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