कोरोना वायरस: लोगों की जान बचाने के लिए ठाकरे सरकार को अब प्लाज्मा थेरेपी से उम्मीद
अन्य राज्यों के मुकाबले महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के सबसे अधिक मामले हैं. उद्धव ठाकरे सरकार के सामने लोगों की जान बचाने की प्राथमिकता है. ऐसे में सरकार को प्लाज्मा थेरेपी से उम्मीद जगी है.
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मुंबई: कोविड की महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में सरकार की अब बड़ी प्राथमिकता है लोगों की जान बचाना. इसके लिये सरकार ने एक प्रोजेक्ट प्लाटिना की शुरुआत की है जिसके तहत कोरोना ग्रस्त मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी के जरिये उपचार किया जायेगा. सरकार को भरोसा है कि इससे मृत्यु दर कम करने में मदद मिलेगी.
उलझन और अनियंत्रण ये वे दो शब्द हैं जो महाराष्ट्र की वर्तमान स्थिति को बयां करते हैं. राज्य में इस वक्त जो स्थिति है उसे न तो लॉकडाउन कहा जा सकता है और न ही अनलॉक. कोरोना के मरीजों के आंकड़े लगातार बढ़ ही रहे हैं. अब सरकार की प्राथमिकता लोगों की जान बचाने पर है. इसके लिये सरकार जिन उपायों पर उम्मीद लगाये बैठी है उनमें से एक है प्लाज्मा थेरेपी.
महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की तादाद 2 लाख को छूने वाली है. अब तक 8 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना की वजह से लगातार दबाव में रह रहे महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के लिये अब एक उम्मीद की किरण नजर आ रही है प्लाज्मा थेरेपी में.
हाल ही में उन्होने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये प्रोजेक्ट प्लाटिना का उद्घाटन किया. इस प्रोजेक्ट के जरिये उन मरीजों की जान बचाने की कोशिश की जायेगी जिनकी कोरोना की वजह से हालत गंभीर बनी हुई है. हाल ही में कुछ ऐसे मामले सामने आये जहां प्लाज्मा थेरेपी से गंभीर हालत में मौजूद मरीज ठीक हो गये.
प्लाज्मा थेरेपी के ट्रायल कुल 21 मेडिकल कॉलेज में किये जायेंगे जिनमें से 17 मेडिकल कॉलेज राज्य सरकार के हैं और 4 बीएमसी के. इस प्रोजेक्ट के तहत 500 लोगों की जान बचाने का टारगेट है जिनकी हालत गंभीर है.
प्लाज्मा थेरेपी में होता ये है कोरोना से ठीक हो जाने वाले व्यक्ति के खून से प्लाज्मा लेकर कोरोना से जूझ रहे मरीज में जेक्ट किया जाता है. जो व्यकित ठीक हो चुका होता है उसके खून में कोरोना से लड़ने की एंटी बॉडी तैयार हो जाती है. वे एंटी बॉडी जब कोरोनाग्रस्त मरीज के शरीर में जातीं हैं तो वे वायरस को नष्ट कर देतीं हैं. इस तरह से कोरोनाग्रस्त मरीज ठीक हो जाता है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. आशीष तिवारी के मुताबिक जब तक कोरोना की दवा नहीं खोज ली जाती तब तक प्लाज्मा थेरेपी से लोगों की जान बचाने की कोशिश की जा सकती है.
प्लाज्मा थेरेपी से नई उम्मीद तो जगी है लेकिन इसके साथ ही ये भी देखना होगा कि कोरोना से ठीक होने वाले कितने लोग अपना प्लाज्मा डोनेट करने के लिये आगे आते हैं. हाल ही में एक मामला काफी चर्चित हुआ जहां आंखों से दिव्यांग ने अपना प्लाज्मा डोनेट करके 80 साल के एक बुजुर्ग की जान बचाई.
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