नई दिल्ली: आयुष मंत्रालय की आपत्ति के बाद अब महाराष्ट्र सरकार ने भी पतंजलि की 'कोरोनिल' पर पाबंदी लगा दी है. इससे पहले राजस्थान और उत्तराखंड सरकार भी कोरोना के इलाज के लिए बाबा रामदेव के दावों पर सवाल उठा चुकी है. अब महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को कहा है कि कोरोनिल दवा के क्लीनिकल ट्रायल के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है, इसलिए राज्य में इस दवा की बिक्री पर रोक रहेगी.

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने एक ट्वीट में लिखा, "नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ये पता लगाएगा कि क्या 'कोरोनिल' का क्लीनिकल ट्रायल किया गया था. हम बाबा रामदेव से कह देते हैं कि हमारी सरकार राज्य में नकली दवाइयों की बिक्री की परमिशन नहीं देगी."



इससे पहले राजस्थान सरकार ने कहा था कि आयुष मंत्रालय की अनुमति के बिना कोरोना की दवा के रूप में किसी भी आयुर्वेदिक दवा को नहीं बेचा जा सकता है. अगर को इसे बेचते पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी.

बिहार में बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ मुकदमा
योग गुरु बाबा रामदेव के कोरोना वायरस की दवा बनाने के दावे का मामला अदालत तक पहुंच गया है. बिहार के मुजफ्फरपुर की एक अदालत में बुधवार को बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ देश को दवा के नाम पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए एक मामला दायर किया है. मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में समाजसेवी और भिखनपुरा निवासी तमन्ना हाशमी ने एक परिवाद पत्र दायर कर पतंजलि संस्था के चेयरमैन आचार्य बालकृष्ण पर आरोप लगाया है कि इन दोनों ने कोरोना वायरस दवा बनाने का दावा कर देश को धोखा दिया है.

कहा गया है कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दवा 'कोरोनिल टैबलेट' का ईजाद करने का दावा किया है, आयुष मंत्रालय ने इस पर प्रश्न उठाते हुए इस दवा के प्रचार प्रसार पर रोक लगा दी है. ऐसा करना ना केवल साजिश के तहत आयुष मंत्रालय को धोखा देना है, बल्कि देश को भी धोखा देना है. इससे लाखों लोगों का भविष्य खतरे में पड़ गया है.

बाबा रामेदव और बालकृष्ण को भादंवि की धारा 420, 120बी, 270, 504/34 के तहत आरोपी बनाया गया है. तमन्ना हाशमी ने बताया कि अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए 30 जून की तारीख मुकर्रर की है.

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