मुंबई: महाराष्ट्र में फडणवीस मुख्यमंत्री बने रहेंगे या उन्हें इस्तीफा देना होगा? इस बात का फैसला कल हो जाएगा. राज्य में फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कल शाम पांच बजे तक विधायकों के शपथग्रहण के तुरंत बाद फ्लोर टेस्ट हो. सबसे बड़ी बात यह है कि कोर्ट ने प्रोटेम स्पीकर को ही फ्लोर टेस्ट करान को कहा है. माना जाता है कि विधानसभा में जिस पार्टी का स्पीकर होता है, सरकार भी उसी की बनती है. लेकिन कल ये स्थिति नहीं बनेगी.


सबसे पहले जानिए- प्रोटेम स्पीकर का काम


सबसे पहले राज्यपाल प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करेंगे. आमतौर पर विधानसभा में सबसे अनुभवी सदस्य को प्रोटेम स्पीकर यानी अस्थाई स्पीकर बनाया जाता है. इस स्पीकर का काम सभी विधायकों को शपथ दिलाना होता है, लेकिन कल प्रोटेम स्पीकर फ्लोर टेस्ट भी कराएंगे. नए स्पीकर की चुनाव प्रकिया का अध्यक्ष भी प्रोटेम स्पीकर होता है.


अब कैसी चुनी जाएगी महाराष्ट्र की नई विधानसभा




  • सबसे पहले कल प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति होगी

  • प्रोटेम स्पीकर विधायकों को शपथ दिलाएंगे.

  • शपथग्रहण के बाद प्रोटेम स्पीकर की फ्लोर टेस्ट भी कराएंगे.

  • फ्लोर टेस्ट के बाद स्पीकर के लिए चुनाव होगा. आमतौर पर स्पीकर का चुनाव फ्लोर टेस्ट से पहले होता है.

  • अब कल जो दल या गठबंधन फ्लोर टेस्ट जितेगा, जाहिर है स्पीकर भी उसी का होगा.

  • इसके बाद विधायकी अपना कार्य शुरू करेगी.


आमतौर पर क्या है स्पीकर चुनने का नियम?


दरअसल स्पीकर के लिए भी वोटिंग होती है और सभी विधायक मिलकर स्पीकर का चुनाव करते है. इस वोटिंग में ही पक्ष-विपक्ष की ताकत का सही पता लग जाता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में प्रोटेम स्पीकर को ही फ्लोर टेस्ट कराने का अधिकार दे दिया. ऐसे में अब ‘जिसका स्पीकर, उसकी सरकार’ वाली स्थिति खत्म हो गई है. यानी अब ‘स्पीकर के चुनाव’ वाली पहली लड़ाई का कोई मतलब नहीं रह गया.


क्यों अपने भरोसे के शख्स को स्पीकर पद पर बैठाना चाहती हैं पार्टिया


बता दें कि स्पीकर के पास ऐसे कई अधिकार हैं जिसकी वजह से सभी दल अपने भरोसे के शख्स को स्पीकर पद पर बैठाना चाहते हैं, क्योंकि स्पीकर के पास सदन में बड़ी शक्तियां होती हैं.  दल बदल पर फैसला स्पीकर के हाथ में होता है. दल-बदल के दौरान फैसला सुनाने की समय सीमा तय नहीं होती. सदन से जुड़े मामलों में स्पीकर का फैसला अंतिम माना जाता है. किसी विधायक को अयोग्य ठहराने का अधिकार भी स्पीकर के पास होता है. वहीं, वोट बराबर होने पर स्पीकर के पास निर्णायक वोट का अधिकार होता है.


कल खुलेगी सबके दावों की पोल


दिलचस्प ये है बीजेपी और बीजेपी विरोधी दल दोनों दावा कर रहे हैं कि उनके पास बहुमत है और वो इसे सदन में साबित करके दिखाएंगे. बीजेपी का दावा है कि उसके पास 170 विधायकों का समर्थन है. जबकि एनसीपी-शिवसेना और कांग्रेस गठबंधन कह रहे हैं कि उनके पास 162 विधायक हैं. अब कल फ्लोर टेस्ट के दौरान सभी दलों के दावों की पोल खुल जाएगी.


किसने जीती कितनी सीटें?


महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरण पर नजर डालें तो चुनावों में जो नतीजे आए हैं उसके मुताबिक, बीजेपी 105 सीट जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. शिवसेना ने 56 सीटें,एनसीपी ने 54 सीटें, जबकि कांग्रेस को 44 सीट मिली थीं. वहीं 29 सीटें अन्यों के पास हैं. 288 के सदन में बहुमत साबित करने के लिए 145 सीट चाहिए.


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