क्या महाराष्ट्र में फिर से करीब आ रही हैं पुरानी सहयोगी शिवसेना और बीजेपी?
पिछले महीने ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने बेटे आदित्य के साथ दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी.शिवसेना ने विपरीत विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई है और कई मसलों पर तीनों के बीच मतभेद नजर आ रहे हैं.
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र की सत्ताधारी शिवसेना और विपक्ष में बैठी बीजेपी के बीच फिर एक बार करीबी नजर आ रही है. हाल ही में कई ऐसे वाक्ये हुए जिसके मद्देनजर दोनों के बीच की कटुता कम होती दिख रही है. पिछले साल अक्टूबर में शिवसेना ने चुनाव के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुंगंटीवार ने उस वक्त सभी को चौंका दिया, जब उन्होंने विधानसभा में माना कि बीजेपी ने शिवसेना के साथ दगाबाजी की थी. उनका कहना था कि ये उनकी पार्टी की एक गलती थी और कभी न कभी इसको सुधार लिया जायेगा, लेकिन एनसीपी और कांग्रेस को इसका फायदा नहीं उठाना चाहिये. मुंगंटीवार का ये बयान बीजेपी और शिवसेना के बीच उस करीबी को दर्शाता है जो हाल के दिनों में नजर आ रही है.
हाल ही में उद्धव ने पीएम से की थी मुलाकात
पिछले महीने ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने बेटे आदित्य के साथ दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया. लोकसभा में इस कानून का विधेयक पारित होते वक्त शिवसेना ने उसका समर्थन किया था, लेकिन महाराष्ट्र में सत्ता की साझेदार एनसीपी और कांग्रेस के विरोध को देखते हुए राज्यसभा में विधेयक पर होने वाले मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
ठाकरे कर चुके हैं सीएए का समर्थन
अब पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे की ओर से खुलकर कानून का समर्थन किये जाने को दोनों पार्टियों के बीच आत्मीयता का बढ़ना माना जा रहा है. इसी महीने के पहले हफ्ते में देवेंद्र फडणवीस की बजट पर लिखी गई एक किताब का लोकार्पण उद्धव ठाकरे के हाथों से करवाया गया. विमोचन समारोह के भाषण में ठाकरे ने फडणवीस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें इस किताब का लोकार्पण फडणवीस की वजह से करना पड़ रहा है. उनके कहने का मतलब था कि अगर फडणवीस सीएम पद की कुर्सी को बांटे जाने को लेकर तैयार होते तो आज वे बतौर मुख्यमंत्री उनकी किताब का लोकार्पण न करते.
चुनाव बाद शिवसेना ने बीजेपी से तोड़ा था गठबंधन
दरअसल, साल 2019 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव बीजेपी और शिव सेना ने गठबंधन करके लडा था, लेकिन नतीजे आने के बाद शिवसेना ने मांग की थी कि सीएम की कुर्सी ढाई-ढाई साल के लिये बीजेपी और शिवसेना के बीच बांटी जानी चाहिये. शिवसेना का कहना था कि गठबंधन से पहले ही इस बारे में समझौता हो चुका था, लेकिन बीजेपी ने ऐसे किसी समझौते से इंकार किया. इससे नाराज होकर उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के साथ तीन दशक पुराना गठबंधन तोड दिया और एनसीपी-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली.
सियासी हलकों में चर्चा है कि बीजेपी ने अभी भी महाराष्ट्र में सत्ता वापसी की आस छोड़ी नहीं है. चूंकि शिवसेना ने विपरीत विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई है और कई मसलों पर तीनों के बीच मतभेद नजर आ रहे हैं. बीजेपी को लग रहा है कि देर सबेर ये सरकार गिर जायेगी. उस स्थिति में बीजेपी पुरानी सहयोगी शिवसेना को साथ लेकर फिर सत्ता हासिल कर लेगी.
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