मुंबई: महाराष्ट्र में कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बीच धार्मिक स्थल खोले जाने को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच तनातनी चल रही है. इस बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में राज्यपाल कोश्यारी पर हमला किया है. शिवसेना ने लिखा है कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को बीजेपी की तरह ‘प्रसव पीड़ा’ हो रही है.


राज्यपाल अपने ऊपर कीचड़ क्यों उड़वा लेते हैं?- शिवसेना


शिवसेना ने सामना में लिखा है, ‘’राज्यपाल के पद पर आसीन व्यक्ति को कैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, यह भगत सिंह कोश्यारी ने दिखा दिया है. श्रीमान कोश्यारी कभी संघ के प्रचारक या बीजेपी के नेता रहे भी होंगे; लेकिन आज वे महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य के राज्यपाल हैं, लगता है वे इस बात को अपनी सुविधानुसार भूल गए हैं. महाराष्ट्र के बीजेपी के नेता रोज सुबह सरकार की बदनामी करने की मुहिम शुरू करते हैं. यह समझा जा सकता है; लेकिन उस मुहिम की कीचड़ राज्यपाल अपने ऊपर क्यों उड़वा लेते हैं? बीजेपी महाराष्ट्र में सत्ता गंवा चुकी है. यह बड़ी पीड़ा है; लेकिन इससे हो रहे पेटदर्द पर राज्यपाल द्वारा हमेशा लेप लगाने में कोई अर्थ नहीं. यह पीड़ा आगामी चार साल तो रहने ही वाली है. लेकिन बीजेपी का पेट दुख रहा है इसलिए संवैधानिक पद पर विराजमान व्यक्ति को भी प्रसव पीड़ा हो, ये गंभीर है. लेकिन उस प्रसव पीड़ा का मुख्यमंत्री ठाकरे ने उपचार किया है.’’


उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल की धोती ही पकड़ ली- शिवसेना


सामना में आगे लिखा है, ‘’राज्यपाल पद पर बैठा बुजुर्ग व्यक्ति अपनी मर्यादा लांघ कर व्यवहार करे तो क्या होता है, इसका सबक देश के सभी राज्यपालों ने ले ही लिया होगा. राज्य के मंदिरों को खोलने के लिए बीजेपी ने आंदोलन शुरू किया. उस राजनीतिक आंदोलन में राज्यपाल को सहभागी होने की आवश्यकता नहीं थी. जब यह आंदोलन शुरू था तब टाइमिंग साधते हुए माननीय राज्यपाल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा. वह पत्र मुख्यमंत्री तक पहुंचने की यात्रा के दौरान ही अखबारों तक पहुंच गया. राज्य में बार और रेस्टॉरेंट शुरू हो गए हैं. लेकिन प्रार्थना स्थल क्यों बंद हैं? आपको मंदिरों को बंद रखने के लिए कोई दैवीय संकेत मिल रहा है क्या? या आप अचानक सेक्युलर हो गए हैं? ऐसा सवाल राज्यपाल ने पूछा. इस पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल की धोती ही पकड़ ली और राजभवन को हिलाकर रख दिया.’’


यहां बैल नहीं, बल्कि ‘शेर’ है- शिवसेना


शिवसेना ने कहा, ‘’हमारे द्वारा ऐसी भाषा का प्रयोग करना असंसदीय हो सकता है; लेकिन मुख्यमंत्री ने विशेष ठाकरी शैली में ही राज्यपाल को कड़ा उत्तर दिया है, यह सच है. ठाकरे ने कड़े शब्दों में कहा, ‘राज्यपाल महोदय, संविधान के अनुसार आपने राज्यपाल पद की शपथ ली है. आपको देश का संविधान व सेक्युलरिज्म स्वीकार नहीं है क्या? और आपको हमारे हिंदुत्व पर कुछ बोलने की आवश्यकता नहीं है. मेरे हिंदुत्ववाद को आपके प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है.’ इस प्रकार से मुख्यमंत्री ठाकरे ने एक लोहार की देते हुए ये दिखा दिया कि महाराष्ट्र का स्वाभिमान, अभिमान और तेवर क्या होता है? इस मामले में राज्यपाल ने आ बैल मुझे मार जैसा बर्ताव किया. लेकिन यहां बैल नहीं, बल्कि ‘शेर’ है, इस बात को वे कैसे भूल गए?’’


बीजेपी का भी वस्त्रहरण हो गया- शिवेसना


शिवसेना ने आगे कहा, ‘’मुख्य बात यह है कि इस पूरे ‘धुलाई’ मामले में बीजेपी का भी वस्त्रहरण हो गया. राज्यपाल के सहारे महाराष्ट्र सरकार पर हमला करना उन्हें महंगा पड़ गया. यह सारा मामला हम पर ही इस प्रकार से उलट आएगा और मुंह दबाकर मुक्के की मार सहनी पड़ेगी, उन्होंने इसकी कल्पना भी नहीं की होगी. इस मामले में बीजेपी और उनके द्वारा नियुक्त राज्यपाल इतने खुल चुके हैं कि अगर श्रीकृष्ण उन्हें वस्त्र दें, तब भी उनकी इज्जत नहीं बचेगी.’’


पार्टी ने सामना में लिखा है, ‘’महाराष्ट्र में कोरोना का खतरा बना हुआ है. चार घंटे पहले प्रधानमंत्री मोदी ऐसा कहते हैं और उनके मार्गदर्शन की परवाह न करते हुए बीजेपी वाले और उनके राज्यपाल मंदिर खोलो, भीड़ हुई तब भी कोई बात नहीं, ऐसी नारेबाजी करते हैं. यह गैर-जिम्मेदाराना लक्षण हैं. रेस्टॉरेंट्स खोले गए हैं लेकिन नियमों का पूरी तरह से पालन करके ही. देवताओं को बंद करके रखने में किसी को आनंद नहीं मिलता; लेकिन एक बार मंदिर में बड़ी भीड़ आनी शुरू हुई, तब कोरोना संक्रमितों की भीड़ भी बढ़ेगी, इस पर देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी चिंता व्यक्त की है. बीजेपी को प्रार्थना स्थल खुलवाने ही होंगे तो उन्हें दिल्ली जाकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात करनी चाहिए और इस बारे में पूरे देश में एक राष्ट्रीय नीति निर्धारित करनी चाहिए. यही सही होगा.’’


गोवा में भी रेस्टॉरेंट्स चालू हैं और मंदिरों पर ताला लगा हुआ है- शिवसेना


शिवसेना ने कहा, ‘’मंदिर या अन्य धर्मों के प्रार्थना स्थलों को क्यों नहीं खोला? तुमने हिंदुत्व का त्याग कर दिया है क्या? ऐसा सवाल पूछनेवाला पत्र राष्ट्रपति कोविंद ने प्रधानमंत्री मोदी को भेजा है, ऐसा नहीं दिखता. देश के कई प्रमुख मंदिर बंद हैं. लोगों की सुरक्षा के लिए ही ऐसा कड़ा निर्णय लेना पड़ता है. हमारे राज्यपाल भगत सिंह फिलहाल गोवा के भी राज्यपाल हैं. गोवा सही अर्थों में देवभूमि है. मंगेशी, महालक्ष्मी, महालसा जैसे सारे देवस्थान गोवा में हैं. गोवा की राजनीति और अर्थनीति मंदिर और अन्य प्रार्थना स्थलों पर चलती है. गोवा में भी रेस्टॉरेंट्स चालू हैं और मंदिरों पर ताला लगा हुआ है. कुछ छोटे मंदिरों को खोलने की अनुमति दी गई है. फिर भी मंगेशी, महालसा, महालक्ष्मी और श्री कामाक्षी संस्थान जैसे बड़े देवस्थान बंद ही हैं. इस बार तो कामाक्षी देवस्थान की ओर से मनाया जानेवाला प्रसिद्ध दशहरा उत्सव भी रद्द कर दिया गया है. कारण साफ है. ये मंदिर भक्तों की बड़ी भीड़ वाले मंदिर हैं. इस विचार से ही मंदिरों को बंद किया गया है, ताकि भक्तों की भीड़ बढ़ने पर आम जनता कोरोना के जाल में न फंसे. यही भूमिका महाराष्ट्र शासन ने भी ली है. फिर मंदिर खोलने को लेकर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगने वाले राज्यपाल कोश्यारी गोवा के बीजेपी के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत से भी ऐसा सवाल क्यों नहीं करते?’’


शिवसेना ने कहा, ‘’ऐसे सवाल-जवाब सिर्फ महाराष्ट्र में ही शुरू हैं क्योंकि यहां बीजेपी का मुख्यमंत्री नहीं है. राज्यपाल की नीयत साफ होती तो वे गोवा और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों को एक साथ पत्र लिखकर चिंता व्यक्त करते. भारतीय जनता पार्टी के लोग राजभवन में जाते हैं और राज्यपाल पर दबाव बनाते हैं. जैसे इस पद की एक प्रतिष्ठा और शान है, उसी प्रकार मुख्यमंत्री पद की भी है. राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में यह जिम्मेदारी राज्यपाल पर ज्यादा है. हिंदुत्व का अपमान करनेवाले, जहां राजभवन है उस मुंबई को पाकिस्तान ‘बाबर सेना’ कहनेवाली एक नखरेबाज अभिनेत्री का स्वागत करते समय राजभवन में हिंदुत्व शर्मसार हुआ, इसकी चिंता राज्यपाल को नहीं हुई. ऐसा क्यों?’’


बीजेपी के ‘मुखपत्र’ वाले चैनल का तुगलकी मालिक सीएम पर तू-तड़ाक करता है- शिवसेना


शिवसेना ने कहा, ‘’इतना ही नहीं, बीजेपी के ‘मुखपत्र’ वाले चैनल का तुगलकी मालिक राज्य के मुख्यमंत्री पर तू-तड़ाक की भाषा में शाब्दिक हमला करता है. यह लोकनियुक्त मुख्यमंत्री का अपमान है. उन्होंने ऐसा कहते हुए बीजेपीई तुगलक के कान खींचे होते तो राज्यपाल का कद व सम्मान बड़ा होता. लेकिन गत कुछ महीनों से राजभवन की रोज अप्रतिष्ठा ही शुरू है. राज्यपाल कोश्यारी द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र भेजना अविवेकी कदम ही कहना पड़ेगा. इस पर मुख्यमंत्री ने एक ही मारा लेकिन सॉलिड मारा! यह शिवतेज देखकर मंदिरों के देवताओं ने भी आनंदपूर्वक घंटानाद किया होगा. यह घंटानाद प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंचा ही होगा, तब वे राजभवन की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए राज्यपाल को वापस बुलाएंगे. और ज्यादा क्या कहें?’’


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